मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भोपाल रेल मंडल के ADRM गौरव सिंह के खिलाफ दर्ज की गई बलात्कार की FIR जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर उन्हें निर्दोष घोषित किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि अनुकंपा नियुक्ति के बदले श्री सिंह ने कई बार उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ संबंध स्थापित किए।
कोर्ट में ट्रायल के दौरान स्पष्ट हुआ कि महिला ने अपने पति के कहने पर रेलवे अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज करवा दी थी।
ADRM गौरव सिंह ने उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज हो जाने के बाद, FIR को निरस्त करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी।
दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज कराने वाली महिला ने यह स्वीकार किया था कि उसने अपना वैवाहिक जीवन बचाने के लिए पति के कहने पर रेलवे अधिकारी के खिलाफ झूठा आरोप लगाया था।
महिला ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसका पति उसे प्रताड़ित करता है। वह कई बार पुलिस से मदद मांग चुकी है।
इस बयान पर गौर करने के बाद हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ किया कि महिला के अपने पति से शुरुआत से संबंध खराब थे, जिसकी शिकायत उसने हरदा व होशंगाबाद पुलिस में दर्ज करवाई थी।
महिला के पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति संबंधित प्रकरण को लेकर उसका संपर्क एडीआरएम भोपाल गौरव सिंह से हुआ था। जिसके बाद रेलवे में महिला को नौकरी प्राप्त हुई थी।
महिला ने आरोप लगाया था कि भोपाल रेलवे स्टेशन के रिटायरिंग रूम में रुकवा कर एडीआरएम ने उसके साथ दुष्कर्म किया। लेकिन सुनवाई के दौरान सबूत प्रस्तुत नहीं किए।
कोर्ट ने गोविंदपुरा पुलिस व होशंगाबाद पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब महिला पहले से अपने पति के खिलाफ मारपीट एवं दुर्व्यवहार की शिकायत कर रही थी तो उस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
इसके विपरीत महिला ने पति के दबाव में जैसे ही एडीआरएम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया तो तत्काल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एडीआरएम को उनके वरिष्ठ पद की वजह से प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया है। लिहाजा, प्रकरण निरस्त किया जा रहा है।
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