मल्हार मीडिया ब्यूरो।
अर्धसैनिक बलों को लेकर केंद्र सरकार दोहरी नीति अपना रही है। पहले खुद कहती है कि ये बल तो 'भारत संघ के सशस्त्र बल' हैं। जब दिल्ली हाईकोर्ट इसी आधार पर इन बलों को ओपीएस में शामिल करने का फैसला देती है तो केंद्र सरकार उसे नहीं मानती। केंद्र सरकार, उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली जाती है। मामले पर स्टे हो जाता है।
अब इसी तरह का एक अन्य मामला सामने आया है। वित्त मंत्रालय के 2008 में जारी एक कार्यालय ज्ञापन 'ओएम' में कहा गया था कि जिन कर्मियों का 4800 रुपये का ग्रेड पे है और उन्होंने चार साल की नौकरी कर ली है तो उनका ग्रेड पे 5400 रुपये हो जाएगा। लंबी अदालती लड़ाई के बाद केंद्र सरकार ने ग्रुप बी के कर्मियों को यह फायदा दिया, मगर इसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को छोड़ दिया। इस केस को आधार बनाकर आईटीबीपी के इंस्पेक्टर सुशील कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लंबे संघर्ष के बाद उनकी जीत हुई। अदालत ने उन्हें 5400 ग्रे पे देने का फैसला सुनाया। अब सीआरपीएफ और बीएसएफ के ऐसे इंस्पेक्टर 'जीडी', जो डेढ़ दशक से अधिक अवधि बीत जाने के बाद भी सहायक कमांडेंट नहीं बन सके हैं, वे अदालत में याचिका लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस शैलेंद्र कौर ने 9 सितंबर को यह फैसला सुनाया है। बता दें कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने 29 अगस्त 2008 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जिन कर्मियों का 4800 ग्रेड पे है और उन्होंने चार साल की नौकरी कर ली है, तो उनका ग्रेड पे 5400 हो जाएगा। इस मामले में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स 'सीबीडीटी' में कार्यरत कर्मियों को यह फायदा नहीं मिला। इस मामले में सीबीडीटी के इंस्पेक्टर एम सुब्रमणयम, '167/2009' कैट में चले गए। कैट ने भी इंस्पेक्टर के पक्ष में फैसला नहीं दिया। उसके बाद एम सुब्रमणयम, मद्रास हाईकोर्ट '13225/2010' में चले गए।
सरकार ने अदालत में कहा, आपको ये लाभ नहीं मिलेगा। जो पदोन्नत होकर आए हैं, उन्हीं को ये लाभ मिलेगा। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, उक्त कर्मचारी को यह लाभ दिया जाए। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, सरकार सुप्रीम कोर्ट 8883/2011 में चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद सरकार को लताड़ लगाई। मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा।
केंद्र सरकार, इसके बाद भी संबंधित कर्मचारी को फायदा देने के लिए तैयार नहीं हुई। सरकारी अपील भी 10 अक्तूबर 2017 को डिसमिस हो गई। सरकार ने एक नहीं, बल्कि दो रिव्यू दो पेटिशन किए थे। ये भी 23 अगस्त 2018 को डिसमिस कर दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस मामले में जो एसएलपी रिजेक्ट की गई थी, केस का वही स्टे्टस रहेगा। इसके बाद सीबीडीटी ने भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन रद्द होने के बाद केंद्र सरकार ने ग्रुप बी में यह आदेश लागू कर दिया। मतलब, वित्त मंत्रालय के 2008 में जारी कार्यालय ज्ञापन 'ओएम' के अनुसार, जिन कर्मियों का 4800 रुपये का ग्रेड पे है और उन्होंने चार साल की नौकरी कर ली है, उनका ग्रेड पे 5400 रुपये हो जाएगा, ये फायदा दे दिया। सरकार ने कहा, यह आदेश केवल ग्रुप बी वालों के लिए ही लागू होगा। हालांकि यह पे ग्रेड तो ग्रुप ए में भी आता है, लेकिन ग्रुप बी में ही ये फायदा दिया गया। इसके पीछे वजह बताई गई कि ग्रुप बी में कमजोर वर्ग है, उन्हें आर्थिक तौर पर सफल बनाना है। केंद्र सरकार ने उस वक्त एक नई शर्त लगा दी। सरकार ने कहा, सभी को ये फायदा नहीं मिलेगा, केवल पदोन्नति वालों को ही दिया जाएगा। खास बात है कि केंद्र सरकार ने सभी विभागों में यह फायदा दिया, लेकिन अर्धसैनिक बलों को इससे बाहर रखा। ग्रुप बी 'सिविल' वालों को लाभ मिला, लेकिन सीएपीएफ को नहीं दिया।
आईटीबीपी इंस्पेक्टर 'फार्मासिस्ट' सुशील कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई। उसमें कहा गया कि मद्रास हाईकोर्ट ने इस केस में फैसला दिया है। हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट ने भी इस केस में फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित रखा है। सुशील कुमार ने उक्त फैसलों के आधार पर 21 जूुन 2020 को आईटीबीपी को लीगल नोटिस भेजा था। बल ने उसे 18 सितंबर 2020 को रिजेक्ट कर दिया। उसके बाद 43321/2021 रिट पेटिशन किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहकर पेटिशन को डिस्पोज कर दिया कि विभाग इस रिट पेटिशन को ही प्रतिवेदन मानें। इसी पर एक विस्तारित आदेश जारी करें। इसके बावजूद विभाग ने प्रतिवेदन को 24 सितंबर 2021 को रिजेक्ट कर दिया। उसके बाद रिट पेटिशन हाईकोर्ट में लगाई गई। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने आईटीबीपी से कहा है, आठ सप्ताह में याचिकाकर्ता को वित्त मंत्रालय के 2008 में जारी कार्यालय ज्ञापन 'ओएम' के अनुसार, फायदा दिया जाए। ये फायदा, छह जुलाई 2019 से देना होगा।यानी बाकी अवधि का एरियर भी मिलेगा।
इस फैसले के बाद सीआरपीएफ और बीएसएफ के सैंकड़ों इंस्पेक्टरों को उम्मीद बंध गई है। इन बलों में ऐसे बहुत से इंस्पेक्टर हैं, जिन्हें 4800 के ग्रेड पे चार साल हो गए हैं, लेकिन उन्हें 5400 रुपये का ग्रेड पे नहीं मिला। दोनों बलों में कार्यरत इंस्पेक्टर, अब अपने विभाग को प्रतिवेदन देने की तैयारी कर रहे हैं। अगर विभाग उसे रिजेक्ट करता है तो वे भी दिल्ली हाईकोर्ट की शरण लेंगे। सीएपीएफ के तहत कई अर्धसैनिक बलों के विभिन्न वर्गों में पदोन्नति को लेकर बड़ा संकट है। कैडर रिव्यू और पदोन्नति को लेकर अदालतों में मामले चल रहे हैं।
सीआरपीएफ और बीएसएफ में सिपाही से लेकर निरीक्षक तक और कैडर अफसर, खासतौर पर सहायक कमांडेंट, पदोन्नति के लिए परेशान हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दिनों सीआईएसएफ में इंस्पेक्टर (एग्जीक्यूटिव) और सहायक कमांडेंट (एग्जीक्यूटिव) की पदोन्नति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट के समक्ष बताया गया कि सीआईएसएफ में इंस्पेक्टर से सहायक कमांडेंट बनने की योग्यता 5 वर्ष है, मगर पदोन्नति मिलने में 19 साल लग रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस शैलेंद्र कौर की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय/सीआईएसएफ को आदेश दिया था कि चार माह में पदोन्नति के रास्ते खोजें। इस मामले में यूपीएससी/डीओपीटी के द्वारा समय-समय पर जारी कार्यालय ज्ञापन के आधार पर मामले का निपटारा करें।
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