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दूबरे और दो आषाढ़,खेती में तबाही की मार और पीएमआवास योजना के धोखे ने ली किसान की जान

खास खबर            Jul 10, 2017


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।
दूबरे और दो अषाढ़ की कहावत मध्यप्रदेश में किसानों पर चरितार्थ होती दिखा रही है। यहां किसानों की तकलीफों की कोई सीमा नहीं है। खेती धोखा दे जाती है, सरकारी योजनाओं के छलावे का सदमा उसकी मौत का कारण बन जाता है। छतरपुर विधानसभा के गांव कीरतपुरा में 40 वर्षीय सुंदरलाल चढार ने प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले धोखे के कारण आत्महत्या कर ली। मृतक पर करीब 2 लाख का कर्ज होना बताया गया है। पिछले बीस दिन में किसान की आत्महत्या का बुंदेलखंड में 13 वां मामला है।

बुंदेलखंड में एक और किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। कारण खेती में तबाही, बीमारी की मार और बाद में प्रधानमंत्री आवास योजना से मिला छलावा। सभी ने उसे कर्ज के तले दबा दिया था। घटना नौगांव थाना के ग्राम कीरतपुरा की है। जहां 6 जुलाई की दोपहर किसान सुदरलाल चढार ने जहरीला प्रदार्थ खा लिया। उसके परिजन इलाज हेतु ग्वालियर ले जा रहे थे कि रास्ते में ही उसने दम तोड। जानकारी के मुताबिक पिता के बटवारे में सुंदर सहित उसके दो भाईयो का मकान में हिस्सा मिला था। एक भाई को पक्का मकान मिला लेकिन सुंदर अपने कच्चे मकान में ही गुजर कर रहा था।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् उसका मकान स्वीकृत हुआ और पहली किश्त के रूप में 40 हजार रूपये मिले। सुंदर ने कच्चा मकान गिराकर पक्का निर्माण कार्य कराना शुरू कर दिया। गांव में सर्वे टीम पंहुची तो उसने सुंदर के प्रकरण को निरस्त कर दिया। इधर आवास योजना में स्वीकृति के बाद सुदंर ने गांव से कर्ज भी ले लिया। अचानक आवास योजना का कुटीर निरस्त होने से वह कर्ज में दब गया। जानकारी के अनुसार यह किसान पहले से भी कर्ज में दबा हुआ था। पिता की ढाई एकड जमीन पर उसने एक लाख रूपये क्रेडिट कार्ड से निकलवा रखे थे। खेती का बटवारा तीनो भाईयो के अलग अलग साल में खेती करने की शर्त पर हुआ।

बताया गया कि सुदंर चढ़ार कई वर्षो से पेट की बीमारी से ग्रसित था। ग्वालियर, झांसी, छतरपुर में वह इलाज कराता रहा। इस कारण बैंक सहित अन्य से लिया गया कर्ज पहले से ही बीमारी की भेंट चढ गया था। इधर आवास प्रकरण स्वीकृत होने के बाद अचानक निरस्त हो जाने से कर्ज में डूबे किसान सुदंर को इस कदर सदमा पंहुचा कि उसने आत्महत्या कर ली। इस मामले में जिला कलेक्टर रमेश भंडारी का कहना है कि उन्हे सुंदर चढार के आवास संबधी मामले के निरस्त होने की जानकारी मिली थी लेकिन उन्होने उसका प्रकरण स्वीकृत

 



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