मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक में आंधी से खंडित हुई मूर्तियों के मामले ने जोर पकड़ लिया है। इसके लिए कांग्रेस ने उज्जैन में जहां एक्सपर्ट बुलाए वहीं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने इस मामले में कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए इस मुद्दे को नया ही मोड़ दे दिया।
उनसे जब यह पूछा गया कि क्या कांग्रेस के कार्यकाल की जांच कराएंगे वे तब भी यही बोलते रहे कि हम कह ही नहीं रहे कि भृष्टाचार हुआ है। वे कह रहे हैं तो प्रमाण लाएं।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आज मंगलवार 30 मई को पत्रकार वार्ता में कहा कि हम नहीं कह रहे कि भृष्टाचार हुआ है। लेकिन उस समय कांग्रेस की सरकार थी और उसी समय टेंडर निकले, वर्कऑर्डर हुए और पेमेंट किए गए।
गौरतलब है कि रविवार को तेज आंधी तूफान से उज्जैन महाकाल लोक में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिरकर खंडित हो गई थी। वहीं सांदीपनि आश्रम के सामने पेड़ गिर गया। मुनिनगर तालाब पर बिल्डिंग का एलिवेशन गिर गया। महाकाल लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियों में से एक मूर्ति की गर्दन टूट गई जबकि दो मूर्तियों के हाथ टूट गए थे। ऐसे में कांग्रेस ने महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगाए थे।
मामले में मंत्री ने महाकाल लोक में हुई तबाही के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया है। मंत्री ने कहा कि महाकाल लोक में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। यदि कांग्रेस आरोप लगा रही है तो इसके प्रमाण भी दें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने बारिश और आंधी से महाकाल लोक में मूर्तियां खंडित होने के मामले में पत्रकार वार्ता कर सफाई दी कि महाकाल लोक में मूर्तियों के निर्माण में सरकार ने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मूर्तियों के निर्माण की स्वीकृति कांग्रेस सरकार में दी गई थी।
भाजपा सरकार ने कार्य में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में दो बार कांग्रेस ने भुगतान किया है।
यदि भ्रष्टाचार हुआ तो कांग्रेस सरकार ने किया होगा। बीजेपी सरकार ने नहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं किया। यदि कांग्रेस को आरोप लगाने है तो तथ्यों के साथ लगाए और प्रमाण पेश करे। इसके लिए प्रदेश की जनता से माफी भी मांगे।
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2022 को पीएम मोदी ने श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर में बने ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया था। इस दौरान लाखों- करोंड़ो का खर्चा किया गया था।
रक्षा सूत्र से बनाए गए 15 फीट ऊंचे शिवलिंग की प्रतिमा से मोदी ने रिमोट से आवरण हटाकर ‘महाकाल लोक’ को देश को समर्पित किया था। ऐसे में हवा-आंधी से मूर्तियों के खंडित होने पर कई उठ रहे हैं।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महाकाल मंदिर के पास श्रीमहाकाल महालोक में 100 से अधिक एफआरपी (Fiber Reinforced Polymer) की मूर्तियाँ स्थापित है। इनमें कई मूर्तियाँ 10 फीट से अधिक ऊँचाई तथा वृहद आकार की हैं। इन्हीं 100 से अधिक मूर्तियों में से एफआरपी से निर्मित सप्त ऋषियों की मूर्ति भी 10 फीट ऊँचे स्तंभ पर स्थापित थीं तथा इन 7 मूर्तियों की ऊँचाई लगभग 11 फीट की है।
इन सप्त ऋषियों की मूर्तियाँ रूद्रसागर, त्रिवेणी मण्डपम एवं कमल कुण्ड के बीच में स्थित होने से संभवत: यहाँ तेज आंधी एवं बारिश का बवंडर अधिक निर्मित हुआ तथा आंधी का प्रभाव अधिक रहा। इस प्राकृतिक आपदा के चलते इन सप्त ऋषियों की मूर्तियों में से 6 मूर्तियाँ पेडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गईं।
10 फीट ऊँचाई से गिरने तथा लगभग 3 क्विंटल वजनी होने के कारण यह मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हो गई। इस क्षेत्र में स्थापित अन्य एफआरपी की मूर्तियों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा।
बताई गई सरकारी जानकारी के अनुसार कार्य की निविदा 4 सितम्बर 2018 को जारी की गई थी। इसकी स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी की 7 जनवरी 2019 को हुई 11वीं बोर्ड मीटिंग में दी गई थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को तथा कार्यादेश 7 मार्च 2019 को जारी किया गया था। इस कार्य के लिये जारी निविदा में सफल निविदाकार को महाकाल रूद्र सागर एकीकृत विकास क्षेत्र (मृदा) फेज-1 में शामिल विभिन्न कार्यों को स्कोप ऑफ वर्क (SCOPE OF WORK) एवं स्वीकृत दरों पर करने के निर्देश दिये गये थे। यह कार्य कान्ट्रेक्ट में अनुमानित लागत से 0.76 प्रतिशत कम के थे। साथ ही इस कार्य में मृदा क्षेत्र में प्लाजा का विकास करना सम्मिलित था। स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊँचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियाँ शामिल थीं तथा इस कार्य की लागत 7 करोड़ 75 लाख रूपये प्रावधानित थी। सफल निविदाकार को प्लाजा क्षेत्र के आर्ट वर्क का अनुमोदन स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराया जाना था। सफल निविदाकार ने प्लाजा क्षेत्र में सम्पूर्ण आर्ट वर्क का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया, जिसमें इन एफआरपी मूर्तियों की स्थापना भी सम्मिलित थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा 18 जून 2019 की बैठक में प्रस्ताव के परीक्षण के बाद प्लाजा क्षेत्र के इस सम्पूर्ण आर्ट वर्क का अनुमोदन किया गया।
निविदा की शर्तों के अनुसार एफआरपी (Fiber Reinforced Polymer) से संबंधित कार्यों में भुगतान का शेड्यूल निम्नानुसार नियत था।
- सामग्री प्रदाय पर - 20 प्रतिशत
- डिजाइनिंग, मूर्तिकला, नक्काशी, फिनिशिंग होने पर - 40 प्रतिशत
- मूर्ति स्थापित करने पर - 25 प्रतिशत
- कार्य पूर्ण हाने के बाद हस्तांतरण पर - 15 प्रतिशत
निविदा के उक्त शर्तों के तहत मूर्तियों की सामग्री की आपूर्ति का भुगतान 13 जनवरी 2020, डिजाइनिंग, नक्काशी आदि का भुगतान 28 फरवरी 2020 तथा मूर्ति स्थापना के कार्य का 31 मार्च 2021 को भुगतान किया गया था।
इस निविदा में सफल निविदाकार की यह जिम्मेदारी थी कि वह एफआरपी सामग्री का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करवा कर उसकी रिपोर्ट स्मार्ट सिटी कम्पनी से संबंधित प्रोजेक्ट इंजीनियर को प्रस्तुत करेगा। इस शर्त के तहत मूर्तियों के इस कार्य में उपयोग होने वाली एफआरपी सामग्री का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन प्रतिष्ठित संस्था सिपेट भोपाल से करवाया गया था। सिपेट की टेस्ट रिपोर्ट 12 फरवरी 2022 में यह एफआरपी सामग्री मानकों के अनुसार पाई गई थी।
उक्त के साथ-साथ उज्जैन स्मार्ट सिटी कम्पनी ने तकनीकी पर्यवेक्षक टीम, जिसमें अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री एवं उप यंत्री शामिल हैं तथा इनके सहयोग हेतु प्रोजेक्ट डेवलपमेंट एण्ड मॉनिटरिंग कंसलटेंसी के रूप में राष्ट्रीय स्तर की कम्पनी आईपीई ग्लोबल भी नियुक्त थी। आईपीई ग्लोबल की ओर से टीम लीडर, आर्किटेक्ट, साईट इंजीनियर, क्वालिटी इंजीनियर आदि द्वारा भी कार्यों का मूल्यांकन, सत्यापन एवं पर्यवेक्षण किया गया था।
आंधी, तूफान एवं बारिश की इस प्राकृतिक आपदा के तहत क्षतिग्रस्त हुई मूर्तियों को डीएलपी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने के कारण संबंधित ठेकेदार द्वारा अतिशीघ्र मूर्तियाँ पुन:स्थापित की जाएंगी। शेष मूर्तियों का भी ऐहतियात के तौर पर परीक्षण कराया जा रहा है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि मूर्तियों के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग होता आया है। उदाहरण स्वरूप महाराष्ट्र के पंढरपुर शेगाँव में, दिल्ली स्थित किंगडम ऑफ ड्रीम, अक्षरधाम मंदिर, कुरूक्षेत्र में, सिक्किम स्थित मंदिरों तथा बाली इंडोनेशिया के धार्मिक स्थल के साथ-साथ देश के अन्य स्थानों पर समय-समय पर मूर्तियों एवं प्रतिमाओं के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग किया जाता रहा है और वर्तमान में भी किया जा रहा है। इसी तर्ज पर उज्जैन श्रीमहाकाल महालोक में भी मूर्तियों के निर्माण में निविदा शर्तों के तहत एफआरपी सामग्री का उपयोग किया गया तथा यह एफआरपी सामग्री थर्ड पार्टी निरीक्षण में गुणवत्तापूर्ण पाई गई थी।
तेज आंधी-तूफान, बारिश की प्राकृतिक आपदा के चलते हवा के दबाव में 3 क्विंटल वजनी यह मूर्तियाँ 10 फीट ऊपर से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसका तुरंत संज्ञान लिया गया है और शीघ्र ही इन मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है।
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