मल्हार मीडिया भोपाल।
मुझे 1985 में राजीव गाँधीजी ने 38 वर्ष की आयु में मप्र कॉंग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। तब से टिकट वितरण प्रक्रिया से जुड़ा रहा हूँ। यह सबसे कठिन काम है।
इस चुनाव में लगभग ४००० उम्मीदवार चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। इनमें से केवल २३० का चयन होना है।
मापदंड क्या हो सकता है? जिला कॉंग्रेस से नाम लिए गए। वरिष्ठ कॉंग्रेस जनों से नाम लिए गए।
एआईसीसी के सचिवों ने हर विधान सभा क्षेत्र में जा कर कार्यकर्ताओं से चर्चा की। एआईसीसी की स्क्रीनिंग कमेटी ने भोपाल में आ कर सभी से मिलने का प्रयास किया।
निष्पक्षता से हर विधान सभा क्षेत्र का सर्वे करवाया गया।
प्रदेश कांग्रेस ने अलग अलग लोगों से सर्वे कराया।
फिर प्रयास किया है आम सहमति बने। अधिक से अधिक वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाए। महिलाओं व युवाओं को अवसर दिया जाए। फिर भी सभी को संतुष्ट करना संभव नहीं है। प्रत्याशियों में असंतोष होना स्वाभाविक है। क्योंकि हर उम्मीदवार यह समझता है केवल वही चुनाव जीत सकता है।
जनता बदलाव चाहती है। विकल्प केवल कॉंग्रेस है। जिनको उम्मीदवार नहीं बना पाए हैं उनको संघटन में स्थान दिया जाना चाहिए। यदि सरकार बनती है तो सभी योग्य लोगों को सम्माननीय स्थान पर अवसर मिलना चाहिए। मैं सभी टिकट प्राप्त करने में असफल रहे उम्मीदवारों से अपील करना चाहता हूँ आप धैर्य रखें। हम सभी को मिलजुल कर सरकार बनाना है। आप सभी से विनम्र अपील है आपको जो कहना है वह तथ्यों के आधार पर एआईसीसी के महासचिव, सचिव व पर्यवेक्षक जी को लिखित में अपना प्रतिवेदन दें। न्याय अवश्य मिलेगा।
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