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विधानसभा में उठा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षा का मुद्दा

मध्यप्रदेश            Jul 05, 2024


 मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायक अभिलाष पांडेय ने आज 5 जुलाई को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना-प्रबंधन का अधिकार खत्म करने का अशासकीय संकल्प पेश किया। सदन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षा समेत कई मुद्दे उठाए गए। भाजपा विधायक अभिलाष पांडेय ने संविधान के अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए अशासकीय संकल्प पेश किया। यह मदरसों जैसी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार समाप्त करने से जुड़ा है। सरकार से इस पर रिव्यू की मांग की गई।

इस पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा, 'नई तालीम से नया तालिबान खड़ा मत करो। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सबको शिक्षा और रोजगार मिले। मदरसा यदि मजहब की बात करता है, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होता है तो यह दुर्भाग्य है। मदरसा यदि डॉक्टर-इंजीनियर देता है तो समझ में आता है। एक अकेले उर्दू के बलबूते पर सभी शिक्षाएं नहीं मिल सकती है।'

 मध्य प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की कार्यवाही के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यसूची में अशासकीय संकल्प को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय द्वारा अशासकीय संकल्प लाया जाएगा। यह अशासकीय संकल्प अल्पसंख्यकों को धार्मिक या भाषाई आधार पर शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार समाप्त करने के लिए लाया जाएगा। इस मामले पर बीजेपी विधायक उषा ठाकुर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि मदरसों को बंद करना ही ठीक है। रामेश्वर शर्मा ने भी इसका समर्थन किया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष ने इस बारे में कहा कि वो ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं करना चाहते जो जनता के मुद्दों को भटका दें।

अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय द्वारा अशासकीय संकल्प लाया जा रहा है। इसे लेकर अभिलाष पांडेय ने कहा कि ‘मैंने कई जगह पढ़ा सुना है कि जो भी बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10वीं-12वीं में ओपन स्कूल से पढ़ाई करनी पड़ती है। हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात करते हैं, समान शिक्षा की बात करते हैं। मैं चाहता हूँ कि अल्पसंख्यक बच्चे भी समान शिक्षा नीति के साथ पढ़ाई करें। साथ ही उनका भविष्य उज्जवल बने। उनको अच्छी शिक्षा मिले, इस दिशा में मेरा ये कदम हैं।’

विधानसभा में अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय के अशासकीय संकल्प पर सियासत छिड़ गई है। इसे लेकर बीजेपी विधायक उषा ठाकुर ने कहा है कि ‘आयोग ने मदरसों का निरीक्षण करने पर पाया कि छोटे छोटे कमरे में कई बच्चे रहते हैं। कई मदरसे मदरसा बोर्ड और शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना चल रहे हैं। बिना अनुमति के बच्चे पाए, तो मानव तस्करी और बँधुआ मज़दूरी का संकेत मिलता है। बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं। उनका जीवन सुरक्षित हो उन्हें राष्ट्रवादिता से जोड़ा जाए ये किसी भी सरकार की पहली शर्त है और उसी दिशा में ये कदम है।’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर, असम में मदरसों की गतिविधियों को देखकर लगता है कि मध्य प्रदेश में भी मदरसों को बंद किया जाना चाहिए। यहाँ कई देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है और इनका बंद किया जाना अनिवार्य है। वहीं बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि मदरसे हों या कोई भी स्थान हो, शिक्षा देना मना नहीं है। लेकिन भारत की शिक्षा पद्धति में भारत का सम्मान, बाबा साहब अंबेडकर का संविधान, सेना के प्रति सम्मान, भारत माता की जय जयकार, राष्ट्रगान ये सब करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार किया
हालांकि इस मुद्दे पर जब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘मैं ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं करना चाहता हूँ, जो जनता के मुद्दे हैं, उनसे भटककर बात होती है। मैं विश्वास नहीं करता हूँ कि इन बातों का जवाब दूँ।’ इस तरह उन्होंने फ़िलहाल इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

इस पर कांग्रेस विधायक आतिफ अकील ने कहा- नर्सिंग घोटाले से ध्यान भटकाने के लिए सत्ता पक्ष के विधायक मदरसों का मुद्दा उठा रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने मप्र विनियोग क्रमांक 4 विधेयक को पारित करने के वित्त मंत्री के प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया तो नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और और कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा समेत अन्य ने डिवीजन की मांग की। इसे स्वीकार नहीं किया गया और विनियोग क्रमांक 4 विधेयक पारित कर दिया गया।

विपक्ष का कहना था कि डिवीजन मांगना विपक्ष का अधिकार है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अपने समय से डिवीजन नहीं मांगा।

 



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