मल्हार मीडिया भोपाल।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता और बोध विकसित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के 12 वकीलों को ‘विकास संवाद संविधान फैलोशिप 2022’ प्रदान की गई है। ये 12 अधिवक्ता इस फैलोशिप के दौरान संवैधानिक मूल्यों पर संवाद, व्यवहारिक पहल, पैरवी और संविधान के प्रति आत्म बोध विकसित करने की दिशा में कार्य करेंगे।
एक सामाजिक विकास, शोध, दस्तावेजीकरण और संवाद समूह के रूप में कार्यरत संस्थान विकास संवाद यह फैलोशिप प्रदान की है। फैलोशिप के लिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त एवं आमंत्रित आवेदनों में से विषय विशेषज्ञों की जूरी तथा संवाद प्रक्रिया उपरांत 12 वकीलों का चयन किया गया।
विषय विशेषज्ञों की जूरी में मप्र हाईकोर्ट की अधिवक्ता सुश्री मनजीत चक्कल (जबलपुर) तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री अभिमन्यु श्रेष्ठ (नईदिल्ली) ने आवेदकों के अवधारणा नोट तथा उनके अनुभव, संवैधानिक मूल्यों के प्रति समझ और इस दिशा में अब तक किए गए कार्यों के आधार पर फैलोशिप के लिए वकीलों का चयन किया है।
तीन वर्ष की ‘विकास संवाद संविधान फैलोशिप 2022’ के लिए कमलेश पाटीदार, उमेश पाटीदार (बड़वानी), शेख मुइन (हरदा), नवेंदु मिश्रा (सिवनी), अमीन खान (ग्वालियर), सुषमा कैथल (अनूपपुर), उर्मिला अहिरवार (छतरपुर), पल्लवी खरे, प्रमेंद्र सिंह, दिशा सिंह, (जबलपुर) तथा अमोल श्रीवास्तव व प्रत्युष मिश्रा (इंदौर) का चयन हुआ है।
विकास संवाद के निदेशक एवं सचिव सचिन जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित है कि, संविधान की स्थापना का मूल उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, प्रतिष्ठा, अवसर की समानता तथा स्वतंत्रता प्रदान करना है।
मगर यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि समान न्याय व्यवस्था, समानता, स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों का क्रियान्वयन होने में अब भी कई पड़ाव शेष हैं।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति सजगता हमारे आम क्रियाकलापों में शामिल नहीं होती है। इस अंतर को पाटने के लिए सक्रिय संवेदनशील वकीलों के समूह की भी आवश्यकता महसूस की गई है जो कि वंचित एवं शोषित वर्गों के हक की आवाज को बुलंद कर सकें।
उनके संवैधानिक मूल्यों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सके। संवैधानिक मूल्य क्या हैं यह जानेंगे और इन्हें समझेंगे तो संविधान को सर्वोच्च दर्जा देने के लिए समाज को प्रेरित कर पाएंगे।
यह फैलोशिप संवैधानिक मूल्यों पर सोचने, समझने, संवाद करने, सीखने-समझने के लिए दो तरफ़ा प्रक्रिया होगी, जिसमें फेलो वकील साझा तरीके से संवैधानिक मूल्यों के प्रति चेतना और अपना कथानक विकसित कर पाएंगे।
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