अनिल कुमार।
पूरनपुर जिला बाढ़ से प्रभावित था। बाढ़ समय से नहीं आने के चलते जिले के सरकारी कर्मचारियों को खासा नुकसान हो चुका था।
बाढ़ की देरी से उनके लिये ''का वर्षा जब कृषि सुखाने'' की तर्ज पर ''का बाढ़, जब सब काम रूक जाने'' हो गये थे।
बाढ़ की देरी ने सरकारी सिस्टम का मनोबल तोड़ दिया था, टूटे मनोबल के बावजूद सरकारी कर्मचारी बाढ़ में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिये सूखी सड़क पर चौकी लगाकर बैठ गये थे।
पूरनपुर के जिलाधिकारी मैनुअल कॉल एल भारी मन से मौके पर पहुंचे थे।
लखनपुर के वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में उन्हें जल्दी से घर से निकलना पड़ा, जबकि उन्होंने सुबह का नाश्ता जोमैटो से मंगवाया था, लेकिन डिलिवरी ब्वाय के आने के पहले उन्हें निकलना पड़ गया।
जब वह मौके पर पहुंचे तब मौका-ए-चौकी पर सकारात्मक पत्रकार रंगीले और नकारात्मक पत्रकार छबीले भी पहुंच चुके थे।
डीएम के कार से उतरते ही सकारात्मक पत्रकार रंगीले तीन बाढ़ पीड़ितों को धकियाते हुए लपककर उनका चरण स्पर्श किया।
डीएम साहब मुस्कुरा कर रंगीले को आशीर्वाद देते हुए नकारात्मक पत्रकार छबीले की तरफ हिकारत की नजर से देखा। डीएम साहब का मूड और ज्यादा खराब हो गया।
बाढ़ पीडि़त अपनी सुनाने लगे, ''साहब ई नहीं मिला, उ कम है। पानी हिंया भरा है, हुआं भरा है।''
मैनुअल साहब की सुलग गई, उन्होंने बाढ़ पीडितों को डंपटते हुए कहा कि हम यहां पिज्जा डिलिवरी सेंटर खोलकर नहीं बैठे हैं कि तुम लोगों को घर तक पहुंचाते फिरें? तैरना नहीं जानते तो भागो सालों।
सकारात्मक पत्रकार रंगीले ने खटाक से वाट्सअप ग्रुप में खबर डाली - 'पूरनपुर के डीएम की दिखी सदाश्यता। बाढ़ पीडितों की बदतमीजी के बावजूद डीएम साहब ने दांत नहीं काटा। दूसरा डीएम होता तो बकोट कर दांत काट लेता।
बाढ़ वाले इलाके में घर बनवाने के बावजूद पीडि़तों को केवल डांटकर भगाया। बड़ा दिल दिखाते हुए अरेस्ट नहीं करवाया। ऐसे संवेदनशील डीएम ही प्रदेश को आगे लेकर जा सकते हैं।'
नकारात्मक पत्रकार छबीले ने खबर लिखी - 'डीएम ने बाढ़ पीडितों के साथ की बदतमीजी, डांटकर भगाया।'
खबर जब सहाफी पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन को मिली तो वह डीएम साहब के ऑफिस पहुंचा और नकारात्मक पत्रकार छबीले की बत्तीस बुराई बताते हुए डीएम को सम्मानित करने का निर्णय लिया।
मंच सज गया, मुख्य अतिथि बेंजामिन टैंकची मंच पर बैठ गये, बैनर लग गया।
बैनर पर लिखा था - 'बाढ़ पीडि़तों की बदतमीजी के बावजूद दांत नहीं काटने पर पूरनपुर डीएम मैनुअल कॉल एल का सम्मान समारोह।'
सहाफी पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मांगेराम शर्मा ने भाषण देते हुए कहा, ''पत्रकारिता नकारात्मक हो चुकी है।
अवसाद ग्रस्त पत्रकार इस पेशे में आ चुके हैं। वह खबरों में सकारात्मकता खोजने की बजाय नकारात्मक चीजों को तलाशते हैं।
युवा आईएएस अधिकारी ने बाढ़ पीडितों को दांत नहीं काटा, बकोटा नहीं, गरियाया नहीं, ऐसी सकारात्मक खबरें लिखने के बजाय कुछ अवसादग्ररस्त नकारात्मक पत्रकार छल-प्रपंच करते हुए डांटकर भगाने जैसी नकारात्मक खबर को प्राथमिकता देते हैं।''
तालियों की गडगड़ाहट से हॉल गूंज उठा, डीएम साहब के बगल में बैठे सकारात्मक पत्रकार रंगीले अपने चार साथियों के साथ उठा और डीएम साहब का चरण स्पर्श कर
बधाई दी। चारों ने सेल्फी ली और अपडेट किया - 'संवेदना की मिसाल पुरनपुर डीएम को सम्मानित होने पर मिलकर बधाई देकर प्रदेश के विकास पर चर्चा करते हुए।'
मांगे ने भाषण देने के लिये बेंजामिन को आमंत्रित किया।
बेंजामिन ने कहा, ''पत्रकारिता के पेशे में गलत लोगों के आ जाने से हम जैसे लोगों पर भी उंगली उठने लगी है। नकारात्मक पत्रकारिता चरम पर है।
भ्रष्टाचार की खबरों में भी हम बुराई तलाशते हैं, उससे कितनों का भला हो रहा है इस पर पत्रकार की नजर नहीं जाती। हमें नकारात्मक सोच बदलकर सकारात्मक सोचना होगा।''
फिर हॉल तालियों से गूंज उठा। सकारात्मक पत्रकार रंगीले फिर उठा और डीएम साहब का चरण स्पर्श कर बधाई दिया।
डीएम साहब को भाषण के लिये मंच पर बुलाया गया। रंगीले समेत पांच सकारात्मक पत्रकारों की टोली डीएम साहब को लेकर मंच पर पहुंची तथा उन्हें कुर्सी पर बैठाया।
रंगीले ने फिर डीएम साहब समेत मंच पर मौजूद सभी का चरण स्पर्श करबधाई दी।
डीएम साहब ने कहा, ''पत्रकारिता बेहद संक्रमण काल से गुजर रही है। छल-प्रपंची और अवसादग्रस्त लोग पत्रकार बन बैठे हैं।
पत्रकारिता को रंगीले जैसे ऊर्जावान एवं सकारात्मक सोच वाले पत्रकारों की जरूरत है। पत्रकारिता को बेंजामिन जी जैसे लीडर की जरूरत है, जो बिना कुछ लिखे-पढ़े भी पत्रकारिता कर सकता हो।''
हॉल इस बार तालियों की गूंज से गड़गड़ा उठा। बेंजामिन के मुंह में घुला पान खुशी के मारे होठों का किनारा पकड़ फ्रेंचकट दाढ़ी तक चला आया।
रंगीले की आंखों में आंसू आ गये। उसने खटाक से अपने आंसू भरे फोटो के साथ वाट्सएप ग्रुप में डाला- 'डीएम साहब द्वारा की गई तारीफ मेरे जीवन का हसीन पल है।
बहुत पत्रकारों का समूचा जीवन गुजर जाता है किसी डीएम से तारीफ नहीं मिलती।
डीएम साहब की संवेदना से सीख लेकर हम युवा पत्रकार आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। सकारात्मक पत्रकारिता के लिये आप हमको और बेंजामिन दादा को बधाई दे सकते हैं।
मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं।'' इसके बाद बेंजामिन ने शॉल, मोमेंटो, गुलदस्ता देकर डीएम साहब को सम्मानित किया।
सम्मान समारोह खत्म होते ही बेंजामिन, रंगीले सहित सात सकारात्मक पत्रकारों ने डीएम साहब को एक-एक पर्ची पकड़ा दी, जिसमें उनके रिश्तेदारों के कुछ टेढ़े-मेढ़े काम थे।
डीएम साहब ने पर्ची देखी। एक पर्ची देखकर डीएम साहब थोड़े भौंचक्के हो गये, जब मांगेराम शर्मा का रिश्तेदार असलम फिरोजी निकल गया।
डीएम साहब ने समझाया कि पत्रकारिता में इतनी सकारात्मकता भी ठीक नहीं है। रिश्तेदार का कोई काम है तो रिश्तेदार दूसरे धर्म का पकड़ने की बजाय अपनी जाति-धर्म का तलाशना चाहिए।
बेंजामिन का रिश्तेदार भी यादव निकल गया था, लिहाजा उन्होंने सफाई दी, ''डीएम साहब अपनी जाति में काम लायक रिश्तेदार तलाशना सकारात्मक पत्रकारिता जितना आसान नहीं है।''
एक बार फिर हॉल तालियों से गूंज उठा। रंगीले ने खटाक से डीएम साहब का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।
लेखक उत्तप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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