मीडियाकर्मी अपनी सीबिल ठीक रखें,लोन में आसानी होगी

मीडिया            Sep 25, 2017


 मल्हार मीडिया भोपाल।
भारतीय समाज में बैंकिंग का व्यवहार बढ़ता जा रहा है। शून्य आधारित लाखों जन-धन खातों ने कतार में सबसे पीछे खड़े लोगों की बैंकों तक पहुँच आसान बनाई है। बैंकिंग के बारे में समाज में व्याप्त अनेक भ्रांत धारणाओं का भी निराकरण हुआ है। मसलन, यह धारणा निराधार और निरर्थक है कि गरीबों के ऋणों और किसानों की कर्ज माफी जैसे कदमों से बैंकों की हालत खस्ता होती है। जबकि कड़वी सचाई यह है कि उँगलियों पर गिने जा सकने वाले बड़े-बड़े कर्जदारों के कारण बैंकों की आर्थिक सेहत बिगड़ती है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में ‘सरोकार’ के अंतर्गत 25 सितंबर को ‘मीडिया और बैंकिंग’ विषय पर मीडिया और बैंक अधिकारियों के मध्य परस्पर संवाद का आयोजन हुआ। सप्रे संग्रहालय द्वारा मीडिया में बैंकिंग की समझ बढ़ाने के लिए यह अनुष्ठान ‘सरोकार’ नाम से शुरू किया गया है। मीडिया क्षेत्र के लोगों को जिन विषयों से रोज जूझना होता है, उनकी अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आयोजनों की यह शृंखला प्रारम्भ की गई है।

कार्यक्रम में सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया के वरिष्ठ प्रबन्धक श्री राकेश कुमार जैन ने मीडिया के लोगों को ऋण सरलता से कैसे मिले प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी कि अब ऋण मिलना अत्यंत सुलभ प्रक्रिया हो गई है। विकसित देशों की भाँति भारत के बैंक भी अब सीबिल के माध्यम से लोन देने के पहले उपभोक्ता के पूर्व ऋण उसके द्वारा लोन लौटाने की पद्धति का अध्धयन करते हैं। अब यदि आपका सीबिल ठीक है तो ऋण उपलब्ध है, वो बात पुरानी हो गई जब लोन की प्रक्रिया से कुछ व्यवसाय वंचित थे।

उन्होंने बताया कि यह भ्रान्ति है कि ऋण माफी या कमजोर वर्ग के कारण लोन डूबता है। उन्होंने कहा कि यह तो बड़े ऋण का एक छोटा सा हिस्सा होता है। गृह ऋण, वाहन ऋण की उपलब्धता और उसे शीघ्र प्राप्त करने के उपाय पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। बैंक के माध्यम से सस्ता बीमा और गृह निर्माण पर सब्सिडी की भी उन्होंने जानकारी दी।

कार्यक्रम में मीडिया की ओर से आए अनके प्रश्नों के उत्तर बैंकों से आए अन्य अधिकारियों ने भी दिए। मीडिया और बैंकिग पर आयोजित संवाद में दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे के प्रश्नों का समाधान किया गया। कार्यकम में मीडिया और बैंक प्रतिनिधियों के अतिरिक्त भी श्रोता उपस्थित थे। इनमें वरिष्ठ पत्रकार चन्द्रकांत नायडू, विचारक किशन पन्त, प्रो. रत्नेश, लोक संस्कृति मर्मज्ञ वसंत निरगुणे आदि उल्लेखित हैं।  कार्यक्रम का संचालन सेंट्रल बैंक के पूर्व महाप्रबन्धक श्याम कस्तूरे ने किया।

 



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