मल्हार मीडिया ब्यूरो।
विपक्षी पार्टियों के दल I.N.D.I.A. के 20 सांसद इसी हफ्ते वीकेंड पर मणिपुर जा रहे हैं। ये लोग राज्य में हालात का जायजा लेंगे और वहां से लौटकर सरकार और संसद से मणिपुर समस्या के हल को लेकर सिफारिश करेंगे।
वहीं, सांसदों के दल के दल के मणिपुर जाने से पहले लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने मणिपुर मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की मांग की है। गोगोई के मुताबिक- भाजपा चाहती है कि मणिपुर में सब अच्छा-अच्छा ही दिखाया जाए, लेकिन वहां लगातार हिंसा हो रही है। इसलिए हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जांच करें कि कैसे वहां राज्य सरकार नाकाम रही। वहां लोगों को इतनी तादाद में हथियार कहां से मिले और प्रशासन क्या कर रहा है।
ये 20 सांसद जा रहे मणिपुर
अधीर रंजन चौधरी- कांग्रेस
गौरव गोगोई- कांग्रेस
सुष्मिता देव- टीएमसी
महुआ माझी- जेएमएम
कनिमोझी- डीएमके
मोहम्मद फैजल- एनसीपी
जयंत चौधरी- आरएलडी
मनोज कुमार झा- आरजेडी
एनके प्रेमचंद्रन- आरएसपी
टी थिरुमावलन- वीसीके
राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह- जेडीयू
अनील प्रसाद हेगड़े- जेडीयू
एए रहीम- सीपीआई-एम
संतोष कुमार- सीपीआई
जावेद अली खान- सपा
ईटी मोहम्मद बशीर- आईएमएल
सुशील गुप्ता- आप
अरविंद सावंत- शिवसेना (उद्धव गुट)
डी रविकुमार- डीएमके
फूलो देवी नेताम- कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर मामले की सुनवाई टली
इस बीच, मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (28 जुलाई) को होने वाली सुनवाई टल गई है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच को करनी थी, लेकिन वे तबीयत खराब होने के चलते कोर्ट नहीं आए। इस वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने लंबित मामलों की सुनवाई आज नहीं हुई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार (27 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर बताया कि मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले की जांच CBI को सौंप दी गई है। गृह मंत्रालय ने कोर्ट से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने की अपील की है।
इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। घटना का वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया था, उसे भी बरामद कर लिया गया है। पुलिस ने CBI को मोबाइल सौंप दिया है। वीडियो शूट करने वाले शख्स को भी अरेस्ट कर लिया गया है।
मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को कहा था- वीडियो देखकर हम बहुत परेशान हुए हैं। हम सरकार को वक्त देते हैं कि वो कदम उठाए। अगर वहां कुछ नहीं हुआ तो हम कदम उठाएंगे।
- केंद्र सरकार से SC ने सवाल किया था- अपराधियों के खिलाफ अब तक क्या कदम उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से पूछा है कि अपराधियों पर कार्रवाई के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं। CJI ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के दौरान महिलाओं का एक औजार की तरह इस्तेमाल कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह संविधान का सबसे घृणित अपमान है।
- याचिकाकर्ताओं से सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- हमारे पास ठोस समाधान लेकर आइए
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को भी मणिपुर केस पर सुनवाई की थी। मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के एडवोकेट कोलिन गोंजाल्वेज ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पिछली सुनवाई में हिंसा रोकने का भरोसा दिया था। मई में 10 मौतें हुई थीं, संख्या 110 पहुंच गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- आपके अविश्वास के बावजूद हम राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। आप हमारे पास ठोस समाधान लेकर आइए।
एक और याचिका दायर: मणिपुर मामले को लेकर 27 जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई। इस पर बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अदालत में पहले से ही इस मुद्दे पर गौर किया जा रहा है तो एक और याचिका की क्या जरूरत है।
उधर, दिल्ली के जंतर-मंतर पर शुक्रवार को कुकी समुदाय की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। वे मणिपुर के पहाड़ी जिलों में रहने वाली आदिवासी आबादी के लिए अलग प्रशासन की मांग कर रही हैं। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने 'अलग प्रशासन ही एकमात्र समाधान है' लिखी टी-शर्ट पहन रखी थीं। वहीं, कुछ महिलाएं पारंपरिक कपड़ों में भी नजर आईं।
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