मल्हार मीडिया ब्यूरो रायपुर।
कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में करीब डेढ़ दशक बाद यह पहली बार हो रहा है कि मनरेगा के मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है।
ज्ञातव्य है कि रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत पूरे प्रदेश में 42 लाख 99 हजार से अधिक परिवार पंजीकृत हैं।
दरअसल छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्यरत सभी कर्मचारियों के द्वारा 2 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल में चले जाने से पूरे प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को रोजगार के लाले पड़ गए हैं।
आलम यह है कि आज की तारीख में पूरे प्रदेश में मनरेगा अंतर्गत एक भी मजदूरों को काम नहीं मिला है। जबकि पूरे प्रदेश में मनरेगा के तहत 4299897 परिवार पंजीकृत हैं एवं 10049404 मजदूर पंजीकृत हैं।
मनरेगा महासंघ के बैनर तले हो रहे हड़ताल पर जानकारी देते हुए संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 4 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल लगातार छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में चल रहा है जिसके कारण प्रदेश में यहा स्थिति निर्मित हुई है।
एक अनुमान के मुताबिक कबीरधाम जिले में ही हड़ताल पर कर्मचारियों के चले जाने से अब तक मनरेगा मजदूरों को लगभग 25 करोड़ रुपए का मजदुरी मूलक कार्य का नुकसान हुआ है जिससे पूरे राज्य की स्थिति समझी जा सकती है।
ज्ञातव्य है कि माह अप्रैल-मई एवं जून महीने में सबसे ज्यादा मनरेगा मजदूरों को काम में नियोजित किया जाता है।
क्योंकि इस दौरान ग्रामीण खेती किसानी के काम से दूर होते हुए रोजगार गारण्टी के कार्य में रोजगार प्राप्त करते हैं।
कर्मचारियों के हड़ताल से ग्रामीण मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्रदेशभर के कर्मचारी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।
भूपेश सरकार ने अपने जन घोषणापत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का भरोसा दिया था तथा वह अनियमित कर्मचारियों के मंच से सभी कर्मचारियों को सरकार बनते ही एक साल में नियमित करने का वादा किया गया था।
क्योंकि भूपेश सरकार ने अभी तक अपना वादा नहीं निभाया है इस कारण सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठे हुए हैं।
यह योजना 2005 से प्रारंभ हुई है तब से कर्मचारी संविदा के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
गत 3 वर्षों से कर्मचारियों की वेतन वृद्धि भी नहीं की गई है जिसके कारण इस महंगाई में कर्मचारियों को जीवन निर्वाह में बहुत दिक्कत आ रही है।
कर्मचारी संघ ने आगे बताया कि देश में छत्तीसगढ़ राज्य ही सर्वाधिक रोजगार देने वाला राज्य गत कई वर्षों से बना हुआ है। यह पहला अवसर है कि जब पूरे प्रदेश में मजदूरी मूलक कार्य पूर्णता बंद है एवं प्रदेश में एक भी ग्रामीणों को काम नहीं मिला है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के द्वारा हड़ताली कर्मचारियों के साथ अभी तक किसी भी प्रकार की संवाद स्थापित नहीं की गई है ना ही हड़ताल खत्म करने को लेकर कोई ठोस पहल की गई है इस कारण कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
महात्मा गांधी नरेगा अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के द्वारा दांडी यात्रा निकालकर सरकार को जगाने का प्रयास किया जा रहा है।
दंतेवाड़ा जिले के दंतेश्वरी मंदिर से राजधानी रायपुर तक 390 किलोमीटर की दूरी मनरेगा कर्मचारियों द्वारा पैदल चलकर की जा रही है।
दांडी यात्रा में कबीरधाम जिले से भी कर्मचारी सम्मिलित हुए हैं तथा वे पैदल चलकर राजधानी पहुंचेंगे।
यदि हड़ताल कुछ दिन और आगे जारी रहा तो ग्रामीणों के लिए अत्यंत विकट परिस्थितियां निर्मित होगी क्योंकि शादी विवाह के सीजन में ग्रामीणों को कोई काम नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण उनके जेब में जाने वाला मजदूरी की राशि से वंचित होंगे।
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