मल्हार मीडिया भोपाल।
दिल्ली भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में ग्वालियर से भोपाल तक आए एक यात्री को नाश्ता नहीं मिला लेकिन इसके बदले में अब ₹10000 मिलेंगे।
उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को आदेशित किया है कि वह रेल यात्री को 10000 रुपए जुर्माना अदा करे।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित लोहिया सदन निवासी रघु ठाकुर ने जबलपुर रेलवे के जनरल मैनेजर, डीआरएम भोपाल, महाप्रबंधक उत्तर रेलवे के खिलाफ 2016 में याचिका लगाई थी।
शिकायत में लिखा था कि एक अप्रैल 2015 को शताब्दी एक्सप्रेस से एक्जीक्यूटिव क्लास की यात्रा के लिए सीट आरक्षण कराया था।
रेलवे की ओर से नाश्ता, भोजन व पानी उपलब्ध कराया जाना था, क्योंकि इसके लिए टिकट के साथ राशि ली गई थी, लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया।
जब उपभोक्ता ने कोच अटेंडेंट से नाश्ते की मांग की तो उसने बताया कि चाय व नाश्ता उपलब्ध कराने का समय खत्म हो चुका है।
अटेंडेंट द्वारा उसी कोच में बैठे हुए अन्य व्यक्तियों को चाय व नाश्ता उपलब्ध कराया गया, जिसके संबंध में उससे पूछे जाने पर बताया गया कि मंत्री हैं, इसलिए नाश्ता उपलब्ध कराया जा रहा है।
भोपाल पहुंचने के बाद भी उपभाेक्ता को चाय व नाश्ता उपलब्ध नहीं कराया गया।
रेलवे ने अपने तर्क में लिखा है कि रेलवे ने किसी यात्री से चाय व नाश्ता के लिए कितनी राशि ली है और कब और कहां लंच व डिनर देना है, यह नीतिगत मामला है।
इसका निराकरण का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता आयोग को नहीं है। इस तर्क के बाद आयोग ने रेलवे को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उपभोक्ता को यात्रा के दौरान राशि लेने के बाद खान-पान की व्यवस्था उपलब्ध न कराकर सेवा में कमी की है।
मामले में आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल, सदस्य सुनील श्रीवास्तव व प्रतिभा पांडेय की बेंच ने निर्णय सुनाया। रेलवे को निर्देश दिए कि दो माह के अंदर सेवा में कमी के लिए पांच हजार रुपये, मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए तीन हजार और वाद व्यय के लिए दो हजार रुपये देने का आदेश दिया।
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