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पद्म विभूषण तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे

राष्ट्रीय            Dec 15, 2024


मल्हार मीडिया डेस्क।

पद्म विभूषण मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को 73 साल की उम्र में निधन हो गया। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से रविवार रात यह खबर आई, जहां उन्हें एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उन्हें रक्तचाप की समस्या थी। उस्ताद जाकिर हुसैन उस्ताद अल्ला रक्खा खां के पुत्र थे। तबले की तालीम उन्होंने पिता से ही ली थी। उस्ताद जाकिर हुसैन की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया। यानी तकरीबन 62 साल तक उनका और तबले का साथ नहीं छूटा। उन्होंने तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते। पद्म विभूषण से भी नवाजे गए। तबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में उनका अहम योगदान रहा।

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 में मुंबई में हुआ था। जाकिर हुसैन ने महज तीन साल की उम्र में अपने पिता से पखावज बजाना सीख लिया था। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी। 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया और साल 1973 में 'लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड' नाम से अपना पहला एलबम लॉन्च किया। उनके इस एलबम ने जनता की खूब वाहवाही बटोरी थी।

 संगीत की दुनिया में मिले कई पुरस्कार

जब तबले का जिक्र आता है तो सबसे बड़े नामों में उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां की पंजाब घराने (पंजाब बाज) की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि तबले के शास्त्रीय वादन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले गए। उस्ताद को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड 1992 में 'द प्लेनेट ड्रम' और 2009 में 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' के लिए मिला। इसके बाद 2024 में उन्हें तीन अलग-अलग संगीत एलबमों के लिए एकसाथ तीन ग्रैमी मिले। 1978 में जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की थी। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी।

 इन फिल्मों में भी अभिनय किया

1983 में जाकिर हुसैन ने फिल्म 'हीट एंड डस्ट' से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद 1988 में 'द परफेक्ट मर्डर', 1992 में 'मिस बैटीज चिल्डर्स' और 1998 में 'साज' फिल्म में भी उन्होंने अभिनय किया।

 तबले को इस तरह आम लोगों से जोड़ते थे...

उस्ताद जाकिर हुसैन तबले को हमेशा आम लोगों से जोड़ने की कोशिश करते थे। यही वजह थी कि शास्त्रीय विधा में प्रस्तुतियों के दौरान बीच-बीच में वे अपने तबले से कभी डमरू, कभी शंख तो कभी बारिश की बूंदों जैसी अलग-अलग तरह की ध्वनियां निकालकर सुनाते थे। वे कहते थे कि शिवजी के डमरू से कैलाश पर्वत से जो शब्द निकले थे, गणेश जी ने वही शब्द लेकर उन्हें ताल की जुबान में बांधा। हम सब तालवादक, तालयोगी या तालसेवक उन्हीं शब्दों को अपने वाद्य पर बजाते हैं। ...गणेश जी हमारे कुलदेव हैं।

देश के दिग्गजों ने किया 'उस्ताद' को नमन

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें नमन करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- जाकिर हुसैन जी के तबले की तान ने सीमाओं, संस्कृतियों और पीढ़ियों को पार करते हुए एक सार्वभौमिक भाषा बोली। उन्होंने अपने पोस्ट में एक वीडियो भी साझा किया, जिसके बारे में लिखा - यह क्लिप परिभाषित करती है कि हम उन्हें कैसे याद करेंगे, और उनकी विरासत का जश्न कैसे मनाएंगे। उनकी लय की ध्वनि और कंपन हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेगी। हमेशा गूंजेगा, वाह ताज! उनके परिवार, प्रशंसकों और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। ओम शांति।

 केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर लिखा- सुप्रसिद्ध तबला वादक पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। जाकिर हुसैन जी का जाना देश के कला-संगीत क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। कला के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान है। अपनी कला के प्रति उनका समर्पण भाव और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों तथा प्रशंसकों को संबल दे। ॐ शांति!

 यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा-  विश्व विख्यात तबला वादक, 'पद्म विभूषण' उस्ताद जाकिर हुसैन जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल परिजनों और शोक संतप्त प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!

 असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया, "उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के निधन से हमारी संस्कृति की दुनिया और भी क्षीण हो गई है। अपनी उंगलियों को दायां और बयान पर नचाते हुए उन्होंने भारतीय तबले को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और हमेशा इसकी जटिल लय के पर्याय बने रहेंगे। संगीत के एक दिग्गज, रचनात्मकता के एक दिग्गज जिनके काम ने उन्हें पीढ़ियों तक लोगों के बीच लोकप्रिय बनाए रखा। उनके जाने से एक ऐसा शून्य पैदा हो गया है जिसे भरना मुश्किल होगा। उनके परिवार, शिष्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।"

 वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- दुनिया ने एक सच्चे संगीतज्ञ को खो दिया है। संगीत की दुनिया में ज़ाकिर हुसैन के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा- महान तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। उनका जाना संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेगी।

 

 

 

 


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