मल्हार मीडिया डेस्क।
जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी के दावों को मान्य करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी दक्षिण और पूर्वी भारत में अपनी सीट एवं मत प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी.
कर्नाटक को छोड़कर इन दो क्षेत्रों में पार्टी बहुत कमजोर है. किशोर ने 'पीटीआई' के संपादकों के साथ बातचीत में यह भी कहा कि भाजपा के स्पष्ट प्रभुत्व के बावजूद, न तो पार्टी और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजेय हैं.
उन्होंने रेखांकित किया कि विपक्ष के पास भाजपा के रथ को रोकने की तीन विभिन्न और यथार्थवादी संभावनाएं थीं, लेकिन आलस्य और गलत रणनीतियों के कारण उन्होंने अवसरों को गंवा दिया.
किशोर ने कहा, "वह (भाजपा) तेलंगाना में पहली या दूसरी पार्टी होगी जो एक बड़ी बात है. वह निश्चित रूप से ओडिशा में नंबर एक होगी." उन्होंने कहा, "आपको आश्चर्य होगा क्योंकि मेरी राय में पूरी संभावना है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में नंबर एक पार्टी बनने जा रही है."
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में भाजपा का मत प्रतिशत दोहरे अंक में पहुंच सकता है. तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और केरल में लोकसभा की कुल 204 सीट हैं, लेकिन भाजपा 2014 या 2019 में इन सभी राज्यों में 50 सीट भी नहीं जीत सकी थी. उसने इन राज्यों में 2014 में 29 और 2019 में 47 सीट हासिल की थीं. देश में लोकसभा की कुल 543 सीट हैं.
हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भाजपा के अपने लक्ष्य के मुताबिक, 370 सीट जीतने की संभावना नहीं है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि वहां मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के लिए सत्ता में वापस आना 'बहुत मुश्किल' होगा. किशोर ने 2019 में रेड्डी के लिए काम किया था और तब रेड्डी की वाईएसआरसी पार्टी ने तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) को हरा दिया था. तेदेपा अब भाजपा की सहयोगी है.
किशोर ने कहा कि रेड्डी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह, लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के बजाय अपने मतदाताओं के लिए 'प्रदाता' मोड में चले गए हैं. उन्होंने स्थिति की तुलना पुराने राजाओं से की, जो अपनी जनता की देखभाल सहायता और उदारता से करते थे, लेकिन इससे अधिक कुछ नहीं करते थे. किशोर ने कहा कि इसी तरह रेड्डी ने लोगों को नकद हस्तांतरण सुनिश्चित किया है, लेकिन नौकरियां प्रदान करने या राज्य के रुके हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है.
19 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि भाजपा को तभी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा जब विपक्ष, खासकर कांग्रेस, यह सुनिश्चित कर सके कि वह उत्तर और पश्चिम भारत के अपने गढ़ों में कम से कम लगभग 100 सीट हार जाए और यह होने नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा, ''कुल मिलाकर, भाजपा इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रख पाएगी.'' भाजपा ने दक्षिण और पूर्वी भारत में पार्टी का विस्तार करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में बड़ा और स्पष्ट प्रयास किया है और मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह जैसे उसके शीर्ष नेताओं ने इन राज्यों का लगातार दौरा किया है. दूसरी ओर, विपक्ष ने इन राज्यों में बहुत कम प्रयास किए हैं.
किशोर ने कहा कि यह गिनें कि पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी या सोनिया गांधी या किसी अन्य विपक्षी नेता की तुलना में तमिलनाडु के कितने दौरे किए हैं. जाहिर तौर पर राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, "आपकी लड़ाई उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में है लेकिन आप मणिपुर और मेघालय का दौरा कर रहे हैं, तो फिर आपको सफलता कैसे मिलेगी." साल 2019 में स्मृति ईरानी के हाथों हार के बाद राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की अनिच्छा के बारे में पूछे जाने पर किशोर ने कहा कि विपक्षी पार्टी सिर्फ केरल जीतकर देश नहीं जीत सकती.
उन्होंने कहा, "अगर आप उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में नहीं जीते तो वायनाड से जीतने से कोई फायदा नहीं. रणनीतिक रूप से, मैं कह सकता हूं कि उस स्थान (अमेठी) को छोड़ देने से केवल गलत संदेश जाएगा." किशोर ने कहा कि मोदी ने 2014 में अपने गृह राज्य गुजरात के अलावा उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने का फैसला किया था 'क्योंकि आप भारत को तब तक नहीं जीत सकते जब तक आप हिंदी पट्टी को नहीं जीतते या हिंदी पट्टी में महत्वपूर्ण उपस्थिति नहीं रखते.'
भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों के एक साथ आने और 'इंडिया' गठबंधन बनाने पर उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को हराने के लिए गठबंधन न तो वांछनीय है और न ही प्रभावी है क्योंकि लगभग 350 सीट पर सीधी लड़ाई है. उन्होंने कहा कि भाजपा इसलिए जीत रही है क्योंकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे दल अपने क्षेत्र में उसका मुकाबला करने में असमर्थ हैं.
किशोर ने कहा कि उनके पास कोई विमर्श, चेहरा या एजेंडा नहीं है. हालांकि, किशोर ने इन कयासों को खारिज किया कि लगातार तीसरी जीत से भाजपा के प्रभुत्व के लंबे युग का रास्ता साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पतन 1984 में अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज करने के बाद शुरू हुआ और तब से वह अपने दम पर केंद्र की सत्ता में नहीं आ पाई. उन्होंने मोदी के नेतृत्व में भाजपा की कथित अजेय यात्रा के बारे में कहा, 'यह एक बड़ा भ्रम है.' किशोर ने यह भी कहा कि 2014 के बाद जब भी सत्तारूढ़ दल बैकफुट पर रहा, विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, इसका फायदा उठाने में विफल रही.
2015-16 में निराशाजनक था बीजेपी का चुनावी दौर
किशोर ने कहा कि 2015 और 2016 में भाजपा के लिए चुनावी दौर काफी निराशाजनक रहा, जब वह असम को छोड़कर कई विधानसभा चुनाव हार गई, लेकिन विपक्ष ने उसे वापसी करने का मौका दिया. नोटबंदी के बाद 2017 में पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की लेकिन इसके बाद पार्टी का प्रदर्शन फिर से खराब रहा, जब वह गुजरात में हारते- हारते बची थी और 2018 में कई राज्यों में हार गई थी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 'गलती' की. साल 2020 में कोविड के प्रकोप के बाद मोदी को अपनी 'एप्रूवल रेटिंग' में गिरावट का सामना करना पड़ा और भाजपा पश्चिम बंगाल में नहीं जीत पाई.
उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की चुनौती देने के बजाय विपक्षी नेता अपने घरों में बैठ गए, जिससे प्रधानमंत्री को राजनीतिक वापसी करने का मौका मिल गया. किशोर ने कहा, "अगर आप कैच छोड़ते रहेंगे तो बल्लेबाज शतक बनाएगा, खासकर अगर वह अच्छा बल्लेबाज हो."
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीसरी बार सत्ता में आने पर "बड़े फैसले" लेने की बात कहे जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भाजपा समर्थक आने वाले बदलाव से खुश हैं, और जो लोग वैचारिक रूप से या अन्य आधार पर पार्टी का विरोध करते हैं, वे चिंतित हैं कि क्या बड़े फैसले संविधान या लोकतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे.
किशोर ने 2014 से भाजपा, कांग्रेस और विभिन्न विचारधारा वाले क्षेत्रीय क्षत्रपों सहित कई प्रमुख दलों के लिए काम किया है, लेकिन एक नयी राजनीति की शुरुआत करने के घोषित लक्ष्य के साथ अक्टूबर 2022 से उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार में अपनी जन सुराज यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया है.
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