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सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी किया

राष्ट्रीय            May 15, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को 30 साल पुराने गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी कर दिया। इसी मामले में सिद्धू को पहले तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

न्यायाधीश जे.चेलमेश्वर और न्यायाधीश संजय किशन कौल की पीठ ने सिद्धू को रोडरेज के दौरान गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी कर दिया है लेकिन जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले में दोषी ठहराते हुए उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

अदालत ने एक अन्य आरोपी उनके कजिन रुपिंदर सिंह सिद्धू को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया है।

यह घटना 27 दिसंबर 1988 की है, जब सिद्धू और उनके कजिन ने गुरनाम सिंह और दो अन्य की बर्बरता से पिटाई की थी। इसे रोड रेज का मामला बताया गया था, जिसमें गुरनाम सिंह की बाद में मौत हो गई थी।

पंजाब सरकार ने इस साल 12 अप्रैल को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सिद्धू को दोषी ठहराने के फैसले का समर्थन किया था। पंजाब सरकार ने शीर्ष अदालत को यह बताया था कि सिद्धू के पहले मुक्के में ही पीड़ित गुरनाम सिंह (65) की मौत हो गई थी।

राज्य सरकार ने कहा था कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है, ब्रेन हेमरेज से नहीं।

1999 में पटियाला की निचली अदालत ने यह कहते हुए सिद्धू और उनके कजिन को मामले से बरी कर दिया था कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार गुरनाम सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक था।

उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2006 में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था, जिसमें कहा गया कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से नहीं हुई थी बल्कि टेम्पोरल लोब में चोट लगने की वजह से उनकी मौत हुई थी। सिद्धू को गैर इरादतन हत्या में दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी।



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