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नीट रिजल्ट में ग्रेस मार्क्स सुप्रीम कोर्ट ने किए रद्द, 1563 छात्रों को दोबार देनी होगी परीक्षा

राष्ट्रीय            Jun 13, 2024


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

NEET परीक्षा रिजल्ट विवाद मामले में सप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. NEET एग्जाम में धांधली को लेकर दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई हुई. NTA ने नीट में ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया है.

इस तरह से अब 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देनी होगी. उनका स्कोर कार्ड रद्द कर दिया गया है. फिर से एग्जाम 23 जून को होगा और रिजल्ट 30 जून तक घोषित किया जाएगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

परीक्षा में छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स पर अदालत में दलील पेश की गईं.

 सुप्रीम कोर्ट- कितने केंद्रों पर छात्रों को समय का नुकसान हुआ?

एनटीए- 6 केंद्र

सुप्रीम कोर्ट - कितने उम्मीदवार?

एनटीए- 1563

सुप्रीम कोर्ट- फिर सब कवर हो गया?

जे साई दीपक: तो प्लीज उन लोगों पर भी विचार करें, जिनके समय का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने अदालत का रुख नहीं किया.

सुप्रीम कोर्ट- इसका मतलब है कि अंतिम क्षण तक इंतजार करते रहो. माफ करना लेकिन अब छात्र बहुत ज्यादा शिक्षित हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने याचिताकर्ताओं से कहा कि NTA ने आपकी बात मान ली है और वह ग्रेस मार्क्स को हटा रहे हैं. इन छात्रों को री-नीट एग्जाम में शामिल होने का विकल्प दिया गया है. ये छात्र या तो अब दोबारा एग्जाम दे सकते हैं या फिर ग्रेस मार्क्स वाली मार्कशीट के साथ NEET UG काउंसलिंग में शामिल हो सकते हैं.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर छात्र दोबारा परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा. दोबारा परीक्षा सिर्फ वही छात्र दे सकेंगे, जिसका समय कम कर दिया गया था. यहां पर CLAT का फैसला लागू नहीं हो सकता. वकील जे साई दीपक ने कहा कि 1563 छात्रों ने समय न मिलने को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन जो लोग कोर्ट आए ही नहीं उनका क्या. जिस पर कोर्ट ने कहा कि क्या वे छात्र यहां हैं या फिर आप उनती ब्रीफ देख रहे हैं फालतू में दायरा न बढ़ाएं.

'सरकार जवाब देने के लिए तैयार'

 सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "कोई पेपर लीक नहीं हुआ.  NEET परीक्षा में 24 लाख छात्र शामिल हुए. कोर्ट में चल रही सुनवाई का मामला करीब 1500 छात्रों से जुड़ा है. सरकार कोर्ट को जवाब देने के लिए तैयार है. इस खास मुद्दे पर विचार किया जा रहा है और इसके लिए कमेटी बानई गई है. सरकार इसकी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करेगी. NTA देश में प्रमुख परीक्षाएं यानी NEET, JEE और CUET सफलतापूर्वक करवाती है. हम इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.''

क्या है याचिकाकर्ताओं की दलील?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि ग्रेस मार्क्स देने में अनियमितता हुई है, इसीलिए परीक्षा रद्द कर दोबारा आयोजित करवाई जाए. ग्रेस मार्किंग को लेकर NTA ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, उनको दोबारा परीक्षा का विकल्प दिया जा रहा है. जो छात्र दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते उन्हें बिना ग्रेस मार्क्स के उनके ओरिजनल मार्क्स दिए जाएंगे.

तीन में से एक याचिका फिजिक्स वाला के सीईओ अलख पांडे ने दायर की है. उनका दावा है कि एनटीए का ग्रेस मार्क्स देने का फैसला मनमानी है. दूसरी याचिका SIO के सदस्य अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन ने अदालत में दायर की है. इन याचिकाओं में एग्जाम के नतीजों के वापस लेने और फिर से परीक्षा आयोजित करवाने की मांग की गई है.

क्यों दिए गए ग्रेस मार्क्स?

गौरतलब है कि 6 सेंटरों के 1563 अभ्यर्थियों को 'समय खराब होने' के चलते ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, जिन्हें दोबारा परीक्षा में शामिल होने अथवा ग्रेस मार्क्स के बिना वास्तविक मार्क्स के साथ रिजल्ट स्वीकार करने का विकल्प दिया गया है. ख़बर यह भी थी कि 720/720 मार्क्स स्कोर करने वाले 44 बच्चों को एक जवाब गलत होने के बावजूद 'कम्पन्सेटरी मार्क्स' दिए गए थे, क्योंकि 12वीं की पाठ्यपुस्तक में वह जवाब गलत ही प्रकाशित हुआ था.

सुनवाई के दौरान NTA ने कोर्ट को बताया कि 12 जून को कमेटी ने फ़ैसला किया था कि 1563 छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स वापस लिए जाएंगे, इन छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा., जो छात्र दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहें उन्हें ग्रेस मार्क्स काटकर अंक दे दिए जाएंगे. कोर्ट ने NTA की बात को मानते हुए आदेश दिया है.

NEET में 67 टॉपर कैसे?

गौरतलब है कि छात्रों को 720 में से पूरे 720 नंबर मिले हैं. अब तक इतने ज्यादा छात्रों ने नीट में कभी टॉप नहीं किया है. साल 2021 में 3 छात्रों ने एक साथ टॉप किया था. नॉर्मली 2 या 3 छात्र ही एक साथ टॉप करते हैं. लेकिन इस बार स्थिति अलग है. बड़ी संख्या में टॉपर हैं. हालांकि NTA की दलील है कि इस साल प्रश्न पत्र आसान था और ज्यादा अर्भयर्थियों ने एग्जाम दिया. इसी वजह से टॉप भी ज्यादा लोगों ने किया है.

 



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