मल्हार मीडिया ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हाल में घटी यह घटना सभी के लिए आंखें खोलने वाली है। पीठ ने कहा, “ये जगहें (कोचिंग सेंटर) ‘डेथ चैंबर (मौत का कुआं)’ बन गई हैं। कोचिंग संस्थान का तब तक ऑनलाइन संचालन किया जा सकता है, जब तक वे सुरक्षा मानदंडों और गरिमापूर्ण जीवन के लिए बुनियादी मानदंडों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित न करें। कोचिंग सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले अभ्यर्थियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 27 जुलाई को एक बड़ा हादसा हुआ था। यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली राव एकेडेमी के बेसमेंट में पानी में डूबकर तीन बच्चों की मौत हो गई। राष्ट्रीय राजधानी में 27 जुलाई की शाम अचानक हुई बारिश के कारण लाइब्रेरी में पानी भर गया था। मृतकों दो छात्र और एक छात्रा शामिल थे। तीनों यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। मृतकों की पहचान तेलंगाना निवासी तान्या सोनी, केरल निवासी नेविन डाल्विन और यूपी निवासी श्रेया यादव के रूप में हुई।
हादसे की वजह क्या पता चली?
29 जुलाई को दिल्ली के मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट को सौंपी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग संस्थान ने ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया था। साथ ही संस्थान में बचाव की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस रिपोर्ट में कई सवाल उठाए गए हैं।
एमसीडी की रिपोर्ट में कहा कि जिस प्रॉपर्टी में कोचिंग सेंटर चल रहा था, उसकी पार्किंग की ऊंचाई आसपास की प्रॉपर्टी के मुकाबले कम था। इलाके की अन्य इमारतों में भारी जलभराव की स्थिति में बारिश के पानी को पार्किंग एरिया और बेसमेंट में जाने से रोकने के लिए बैरियर वॉल लगाई गई थी। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कोचिंग सेंटर बिल्डिंग के सुरक्षा कर्मचारियों ने कोई निगरानी नहीं रखी, जिसके चलते पानी बिना रुके पार्किंग एरिया को पार कर बेसमेंट में घुस गया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने की है सख्त टिप्पणी
दुखद घटना में तीन छात्रों की मौत का मामला अदालत तक भी पहुंच चुका है। पहले 31 जुलाई फिर 2 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। पहले दिन की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबकर हुई तीन छात्रों की मौत पर अधिकारियों को फटकार लगाई थी। पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि एक अजीब जांच चल रही है, जिसमें कार चलाने वाले राहगीर के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है, लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अदालत ने पूछा था कि क्या अब तक किसी एमसीडी अफसर को हिरासत में लिया गया है? साथ ही यह भी पूछा कि क्या इस मामले में एमसीडी के अधिकारियों की जांच हुई?
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