मल्हार मीडिया ब्यूरो वाराणसी।
उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी संसदीय सीट आजमगढ़ से इस्तीफा दे दिया है।
अखिलेश ने विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मंगलवार की दोपहर सौंप दिया।
इसके साथ ही अब वह मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधानसभा में विपक्ष की भूमिका को मजबूती से रखने के लिए यूपी की राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय होने जा रहे हैं।
इस सीट से अखिलेश यादव के हटने के बाद से पार्टी स्तर पर चर्चा है कि यहां से अब डिंपल यादव या धर्मेंद्र यादव को लोकसभा भेजा जा सकता है। जबकि पार्टी स्तर से इस बाबत जानकारी आने के बाद से ही आजमगढ़ में पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी अचानक इस फैसले को लेकर मंथन करने में जुटे हुए हैं।
आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ने के बाद अब यहां की 10 विधानसभाओं पर काबिज समाजवादी पार्टी ने बतौर विपक्ष विधानसभा में राज्य सरकार को दमदारी से घेरने की रणनीति तैयार कर ली है।
वहीं आजम खान भी अब प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे, उन्होंने भी लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया है। जबकि एक दिन पूर्व ही आजमगढ़ पहुंचकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जिले में सभी दस सीटों पर जीते विधायकों से मुलाकात कर जिले के मिजाज के बारे में जानकारी हासिल की।
इसके ठीक अगले दिन ही अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ के दौरे के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। अब वह प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने जा रहे हैं।
उधर आजमगढ़ में फूलपुर पवई विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुण यादव को एमलएसी चुनाव में भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही सपा और भाजपा के बीच आजमगढ़ में सेंधमारी को लेकर गहमागहमी बनी हुई थी।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अखिलेश ने पिता पुत्र की स्थिति को लेकर भी मंथन किया है और इस पर पार्टी के रुख से उनको अवगत भी करा दिया गया है। आजमगढ़ में सपा के दिग्गज नेता रमाकांत के घर में भाजपा की घुसपैठ को लेकर भी सपा प्रमुख चिंतित दिखे।
ज्ञातव्य है कि दो साल बाद लोकसभा चुनाव भी होना है, ऐसे में समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव की सीट पर किसी चर्चित चेहरे को ही उतारने की उम्मीद है। अब प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा का इंतजार पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी कर रहे हैं।
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