मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर अनिश्चितता का दौर तीन दिनों की गहन मंत्रणा के बाद बुधवार (17 मई) को देर रात खत्म हुआ. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सतत प्रयास के साथ ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
सूत्रों का कहना है कि सीएम पद पर अपना मजबूती से दावा ठोक रहे शिवकुमार उस समय नरम पड़े जब खरगे और गांधी परिवार विशेषकर सोनिया गांधी ने उन्हें पूरा सम्मान मिलने और सभी चिंताओं का निराकरण करने का विश्वास दिलाया. कांग्रेस ने गुरुवार 18 मई की सुबह आधिकारिक रूप से यह घोषणा की कि सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार नयी सरकार में एकमात्र उपमुख्यमंत्री होंगे.
बेंगलुरु में रविवार 14 मई को कांग्रेस के तीनों पर्यवेक्षकों सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया ने विधायकों से मुलाकात कर और गोपनीय वोटिंग के माध्यम से उनकी राय ली थी।
इसके बाद सोमवार 15 मई से दिल्ली में मंथन का दौर आरंभ हुआ और 17 मई देर रात तक चलता रहा. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी बातचीत में निरंतर सक्रिय रहे।
आलाकमान ने सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों को दिल्ली बुलाया. सिद्धारमैया सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गए, लेकिन शिवकुमार उस दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिल्ली नहीं आए।
इसके बाद स्थिति पेचीदा दिखाई पड़ने लगी। अगले दिन मंगलवार (16 मई) को शिवकुमार दिल्ली पहुंचे।
खरगे, सुरजेवाला और वेणुगोपाल के साथ मंत्रणा के बाद बुधवार 17 मई को दिन में दोनों नेता कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और फिर बातचीत आखिर दौर में पहुंची।
सूत्रों का कहना है कि इन दिनों शिमला में मौजूद सोनिया गांधी ने भी सिद्धारमैया और शिवकुमार से बात की। उन्होंने खरगे और राहुल से मामले जल्द सुलझाने के लिए कहा। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी से बात करने के बाद शिवकुमार नरम पड़े।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए थे। उनका कहना था कि उन्होंने तीन वर्ष तक मेहनत की है और पार्टी को उनके अध्यक्ष रहते शानदार जीत मिली है, ऐसे में उन्हें सबसे महत्वपूर्ण पद मिलना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने दोनों नेताओं से कहा कि वे साथ बैठें और खरगे से मिलकर मामले को सुलझाए. इसके बाद खरगे, सिद्धरमैया और शिवकुमार से कहा कि वे वेणुगोपाल और सुरजेवाला से मिलें।
सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार इस भरोसे पर तैयार हुए कि सरकार में वह एकमात्र उपमुख्यमंत्री होंगे और अगले एक वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे तथा उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा।
शिवकुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने गांधी परिवार और पार्टी के प्रति अपने समर्पण के चलते झुकने का फैसला किया।
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