मप्र कांग्रेस:न नियुक्ति न निर्देश जीतू बने कार्यकारी अध्यक्ष, एक पार्टी,एक प्रदर्शन, दो मुद्दे

राजनीति            Mar 09, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश कांग्रेस अपनी असमन्वय और और पदों की रस्साकसी आम हो चुकी है। आलम यह है कि बिना किसी औपचारिक घोषणा के विधायक जीतू पटवारी ने खुद को कार्यकारी अध्यक्ष लिख डाला।

यह तो सर्वज्ञात है कि विधानसभा में विधायक जीतू पटवारी के निलंबन के मुद्दे को पीछे रख कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने टेबलेट वापसी की मुहिम और विषय को ज्यादा अहमियत दी।

इतना ही नहीं विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में खुद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ सहित अन्य कुछ विधायकों ने हस्ताक्षर ही नहीं किए थे।

इससे संदेश यह गया कि जीतू पटवारी सदन के बाहर अकेले पड़ गए हैं।

अलावा इसके 13 मार्च को होने वाले राजभवन के घेराव और विशाल मार्च को लेकर भी कांग्रेस की सूचना और विधायक जीतू पटवारी के बयानों में अंतर है।

कांग्रेस द्वारा जारी सूचना के अनुसार उक्त प्रदर्शन राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर किया जाना है लेकिन पटवारी द्वारा जारी बयान को मानें तो यह प्रादेशिक मुद्दों पर होगा।

ऐसा एक नहीं कई बार हो चुका है कि कांग्रेस नेताओं और पदाधिकारियों के बीच असमन्वय और बिखराव के कारण पार्टी के सामने अजीबोगरीब स्थिती पैदा हो जाती है।

एक प्रवक्ता जब तक उसे काउंटर कर करेक्ट करता है तब तक नेताओं के दूसरे बयान आ जाते हैं।

आज गुरूवार 9 मार्च को सुबह विधायक जीतू पटवारी की तरफ से प्रादेशिक मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री चौहान को पत्र जारी किया गया। जिसमें उन्होंने खुद को प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बताया है। विधायक पटवारी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्वयं के लिए प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद का उपयोग किया है।

उन्होंने मुख्ममंत्री को ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान की जानकारी देते हुए तत्काल सर्वे कराकर किसानों को राहत देने और तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने की मांग की है।

इस पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता डा.हितेष वाजपेयी ने ट्विट किया कि पटवारी वाकई में कांग्रेस के अध्यक्ष बनने लायक हैं, जिन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को चुनौती दे रखी है।

वे पहले ही कह चुके हैं कि मेरी नियुक्ति राहुल गांधी ने की है और मुझे हटाए जाने के कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

उधर, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी राजीव सिंह ने कहा कि केंद्रीय संगठन ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर सकता है। अभी प्रदेश उपाध्यक्ष और महामंत्री की नियुक्तियां की गई हैं।

दिलचस्प बात यह है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने संगठन चुनाव के बाद प्रदेश उपाध्यक्ष और महामंत्री की ही नियुक्ति की है,  प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष को लेकर असमंजस की स्थिति है।

न तो प्रदेश का संगठन स्थिति स्पष्ट कर पा रहा है और न ही प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल को केंद्रीय संगठन ने इस संबंध में कोई दिशानिर्देश दिए हैं।

अब राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि जीतू पटवारी और मप्र कांग्रेस के नेताओं में पद को लेकर खींचातानी मची हुई है। पटवारी के निलंबन का मुद्दा हाशिए पर जाता प्रतीत हो रहा है।  

वहीं भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने जीतू पटवारी द्वारा 13 मार्च को कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर जारी किए गए वीडियो के बारे में लिखा है श्री नाथ का पटवारी को एक और झटका

कांग्रेस का 13 मार्च का राजभवन घेराव का कार्यक्रम AICC का देशव्यापी कार्यक्रम है , उसके मुद्दे भी देशव्यापी हैं।

पटवारी ने वीडियो जारी कर इसे प्रदेश सरकार के मुद्दों से व ख़ुद के निलंबन से जोड़ा…

नाथ ने पीसीसी ने पत्र जारी करा कर हवा निकाल दी..

फिलहाल मामला 13 मार्च को कांग्रेस द्वारा राजभवन घेराव और विशाल मार्च को लेकर और विधायक पटवारी द्वारा सीएम को लिखे पत्र के कारण कांग्रेस में अजीबोगरीब स्थिती बन चुकी है।

एकतरफ पार्टी द्वारा जारी सूचना में राष्ट्रीय मुद्दों को इंगित किया गया है वहीं पटवारी वीडियो में प्रादेशिक स्तर पर सरकार को घेरने का आह्वान करते नजर आ रहे हैं।

सलूजा ने एक और ट्विट करते हुए लिखा है  यह समझ नहीं आ रहा है कि आंदोलन किसका है…? कांग्रेस का-कमलनाथजी का-विधायक दल का या जीतू पटवारी का…? कमलनाथजी का होता तो उनका ख़ुद का बयान आता.. कांग्रेस का होता तो संगठन के ज़िम्मेदार लोगों की तरफ़ से बयान आता.. विधायक दल का होता तो गोविन्द सिंह जी की तरफ़ से आता.. मतलब इनका है…

 



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