राघवेंद्र सिंह।
मसला चाहे विधानसभा सत्र का हो विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का हो या अगले साल 2023 दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव का हो।
क्या भाजपा और क्या कांग्रेस विधानसभा ही खूब सुर्खियां बटौर रही हैं।
सदन में ध्वनि मत से औंधे मुंह गिरा अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस में प्रदेश कांग्रेस के माई बाप याने कमलनाथ की मंशा पर ही सवाल खड़े कर गया।
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के माताजी की तबीयत खराब होने के कारण सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास जताने वाले डॉक्टर सिंह दूसरे दिन सीएम शिवराज सिंह का जवाब सुनने सदन में मौजूद नहीं थे।
लेकिन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व विधायक कमलनाथ का सदन में नहीं आना विधानसभा भाजपा को मजबूत कांग्रेस को कमजोर सा कर गया।
इसके पीछे क्या गलत है और उसका उत्तर क्या होगा यह तो कांग्रेस में संभावित फेरबदल के बाद ही पता चल पाएगा।
लेकिन कांग्रेस के शुभचिंतकों ने इसे अच्छा शगुन नहीं माना है।
खबरें यह भी हैं नए साल में कांग्रेस के भीतर को उलटफेर हो सकते हैं लेकिन कमलनाथ बड़े कद के नेता हैं और कांग्रेस में उनके मुताबिल कोई दिखता नहीं है।
इसलिए बहुत संभव है सदन में उनकी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गैर हाजिरी पर उनका बाल भी बांका ना हो।
जहां तक इस मुद्दे पर भारत जोड़ो यात्रा के शिल्पी और सूत्रधार दिग्विजय सिंह खामोशी अख्तियार किए हुए हैं।
असल में भाजपा और शिवराज सरकार के खिलाफ दिग्विजय सिंह, उनके समर्थक नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह कड़े तेवर दिखाते रहते हैं तो दूसरी तरफ कमलनाथ की शिवराज सरकार से जुगलबंदी की खबरें भी राजनीतिक गलियारों में अक्सर पंख लगाए उड़ती रहती हैं।
नाथ की अनुपस्थिति को इसी से जोड़कर देखा जाए तो किसी को हैरत नहीं होगी।
कुल मिलाकर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सदन में प्रतिपक्ष की बहुत किरकिरी हुई ऐसी दुर्गति पहले कभी नहीं देखी गई।
वैसे भी नाथ सदन की कार्यवाही को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, ऐसा गाहे-बगाहे चर्चा में उनकी टीका टिप्पणियों से लगता भी है।
मसलन सदन की कार्यवाही समय की बर्बादी... भी कह चुके हैं।
पूरे मामले में अविश्वास प्रस्ताव को भी जोड़ा जाए तो कहा जा सकता है बहुत शोर सुनते थे अविश्वास प्रस्ताव का लेकिन चर्चा में देखा तो बहुत कुछ ना निकला...
Comments