आशुतोष कुमार।
कुंए से बचने के लिए खाई को वोट देना और खाई से घबरा कर फिर कुंए को दे देना रणनीतिक मतदान कहलाता है। इससे कुंआ भी खुश रहता है और खाई भी आबाद रहती है। वोटर भी मस्त रहता है कि परिवर्तन तो हो रहा है।
इस दुष्चक्र से निकलने का एक ही रास्ता है सकारात्मक वोटिंग। किसी को हराने के लिए नहीं, सब से बेहतर को जिताने के लिए वोट दीजिए।
यूपी में इस दुष्चक्र को चुनौती देने के लिए वामदल 140 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। बिहार को देखिए। वहाँ माले के तीन विधायक हैं तो दलितों, खेतमजदूरों और गरीबों पर हो रहे हमलों और सरकारी नाकामी के ख़िलाफ़ जनता की आवाज़ सड़क से लेकर सदन तक बुलंद हो रही है। यूपी विधानसभा में भी कुछ लाल झंडे वाले होंगे तो नए नवाब चैन से सो नहीं सकेंगे।
अतीत में वाम ने भी गलतियां की हैं, लेकिन गरीबों के शोषण , जातीय उत्पीड़न , साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी प्रतिबद्धता पर उनके विरोधी भी उंगली नहीं उठा पाते। पैसे और परिवार की राजनीति उन्होंने नहीं की। लोकतंत्र अच्छे विपक्ष से मजबूत होता है , पक्ष से नहीं।
भारत में वाम विपक्ष का निर्माण करना लोकतंत्र को पटरी पर रखने के लिए जरूरी है।
माले के प्रत्याशी:
17 और दूसरी सूची के 18 उम्मीदवारों को मिलाकर अब तक पार्टी कुल 35 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है।
मिर्जापुर जिले में मड़िहान से वसंत कोल, छानबे (अ.जा.) से सुरेश कोल, चंदौली में चकिया (अ.जा.) से अनिल पासवान, मुगलसराय से शशिकांत सिंह, गाजीपुर में जखनियां (अ.जा.) से लाल बहादुर, गाजीपुर सदर सीट से योगेंद्र भारती, देवरिया में भाटपार रानी से अमरनाथ शाह, बरहज से कलक्टर शर्मा व सलेमपुर (अ.जा.) से अरुण कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
इसी प्रकार गोरखपुर में गोरखपुर ग्रामीण सीट से राजेश साहनी, मऊ में मऊ सदर सीट से वसंत राजभर, आजमगढ़ में मेंहनगर (अ.जा.) से सुदर्शन, भदोही में भदोही सीट से रामजीत यादव, इलाहाबाद में कोरांव (अ.जा.) से पंचमलाल, लखीमपुर खीरी में पलिया से आरती राय, बांदा में बांदा सदर सीट से रामप्रवेश यादव, फैजाबाद में अयोध्या से अखिलेश चतुर्वेदी और गाजियाबाद में साहिबाबाद से हरेराम यादव भाकपा (माले) के प्रत्याशी होंगे।
फेसबुक वॉल से।
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