राजस्‍थान कांग्रेस के विधायक ने दिया इस्‍तीफा,दलित वर्ग के दर्द को बयां करना मुश्किल

राजस्थान            Aug 15, 2022


मल्‍हार मीडिया ब्‍यूरो।

जालौर मामले को लेकर राजस्थान की गहलोत सरकार घिरती जा रही है. गहलोत सरकार विपक्ष के साथ ही अब अपनों के निशाने पर भी आ गई है।

 इसी कड़ी में बारां से काग्रेंस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी प्रदेश के दलित वंचित वर्ग पर हो रहे अत्याचार से व्यथित होकर मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने विधायक पद से त्याग पत्र भेजा है।

राजस्थान के जालोर जिले में स्कूल टीचर की पिटाई से 9 साल के दलित छात्र की मौत के बाद कांग्रेस में खलबली है।सत्ताधारी पार्टी के बारां के अटरू से विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस घटना से आहत होकर पार्टी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

देश प्रदेश के सिस्टम को कटघरे में खड़ा करते हुए दलित कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने यह लिखित इस्तीफा सीएम को भेजा है।

उन्होंने अपने पत्र में साफ लिखा है कि भारत देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है।

देश आजादी के अमृत महोत्सव को पूरे हर्षोल्लास से मना रहा है। लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचारों हो रहे हैं।

पानाचंद ने कहना है कि ऐसी घटनाओं से मेरा मन काफी आहत है। मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है। उसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

अपने त्याग पत्र में विधायक पानाचंद मेघवाल ने लिखा कि प्रदेश में दलित और वंचितों को मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है।

जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमाकर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है।

राजस्थान के जालोर जिले में स्कूल टीचर की पिटाई से 9 साल के दलित छात्र की मौत के बाद कांग्रेस में खलबली है।

सत्ताधारी पार्टी के बारां के अटरू से विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस घटना से आहत होकर पार्टी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

देश प्रदेश के सिस्टम को कटघरे में खड़ा करते हुए दलित कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने यह लिखित इस्तीफा सीएम को भेजा है। उन्होंने अपने पत्र में साफ लिखा है कि भारत देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है।

 देश आजादी के अमृत महोत्सव को पूरे हर्षोल्लास से मना रहा है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचारों हो रहे हैं।

 पानाचंद का कहना है कि ऐसी घटनाओं से मेरा मन काफी आहत है। मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है। उसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

अपने त्याग पत्र में विधायक पानाचंद मेघवाल ने लिखा कि प्रदेश में दलित और वंचितों को मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है।

जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमाकर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है।

 



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