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मप्र महिला आयोग का फैसला 25 फीसदी से ज्यादा सिजेरियन तो डॉक्टर होंगे ब्लैक लिस्टेड

वामा            Jul 03, 2017


रवींद्र जैन।
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग डॉक्टरों पर लगाम कसने जा रहा है। आयोग ने सरकार के समक्ष रखी अनुशंसा में कहा है कि अब अगर कोई डॉक्टर निजी या सरकारी अस्पताल में 25 फीसदी से ज्यादा सीजेरियन डिलिवरी कराता है, तो उसे ब्लैक लिस्टेट किया जाए। उसका लाइसेंस निलंबित किया जाए और उसे अयोग्य मानकर पांच वर्ष तक प्रसव के काम से दूर रखा जाए। इसके साथ ही उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाने की बात भी कहीं गई है।

यह निर्णय आयोग ने पांच वर्षों में की गई नार्मल और सीजेरियन डिलीवरी के आंकड़े देखने के बाद यह सिफारिश की है। आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े ने पद संभालने के बाद आयोग में छह सलाहकार समितियां बनाईं। इन्हीं में से समिति जो इस विषय पर काम कर रही थी, उसने अपना अध्ययन आयोग को दिया, जिसके बाद उसे शासन को भेजा गया। इस समिति के प्रमुख सलाहकार प्रमोद दुबे हैं।

आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि अधिकतर डॉक्टर महिलाओं को डरा कर यह कहते है, बच्चे के गले में नाल दूसरे या तीसरे राउंड में कसी है, बच्चा पेट में उल्टा है, मां के पेट का पानी सूख गया है या नवजात ओवरवेट है। इसलिए नार्मल डिलिवरी नहीं हो सकती, आपको सीजेरियन ही कराना होगा।

इससे अभिभावक डर जाते हैं, और सीजेरियन कराने को तैयार हो जाते है, जबकि बरसों से ऐसे ही प्रसव हो रहे हैं। इसके साथ ही आयोग के प्रमुख सलाहकार दुबे का मानना है कि डिलीवरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन डॉक्टरों ने इसे नियंत्रित कर दिया है। पहले जन्म की बधाई दी जाती थी। अब संशय से पूछा जाता है कि डिलीवरी सीजेरियन है या नाॅर्मल। यह बदलाव 40 वर्षों में आया है।

सिफारिशों में यह बातें रहीं प्रमुख
5 लाख तक का जुर्माना हो
15% सीजेरियन स्वीकार्य, लेकिन इससे अधिक नहीं।
15 से ज्यादा और 20 से कम सीजेरियन है तो चेतावनी।
20 से अधिक 25% से कम है तो 5 लाख रुपए तक दंड।
सीजेरियन डिलीवरी के आंकड़े अस्पतालों में प्रदर्शित करने होंगे, ताकि गर्भवती महिला जान सके कि वह किस चिकित्सक के हवाले है।
-गर्भवती इससे यह चुन सकेगी कि किस डॉक्टर से वह इलाज कराए।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं यह खबर उनके फेसबुक वॉल से  ली गई है



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