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गांगुली बंधुओं को याद करने का दिन

वीथिका            Oct 13, 2017



अशोक मनवानी।
आज आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार की आज पुण्य तिथि है। किशोर दा हमसे तीस साल पहले विदा हो गए थे। उन जैसी शख्सियत भले हमारे साथ भौतिक रूप से आज न हो, लेकिन दिलों में हमेशा कायम रहती है। इसके साथ ही 13 अक्टूबर का जन्म किशोर कुमार के बड़े भाई श्री कुमुद कुमार गांगुली अर्थात जाने-माने चरित्र अभिनेता अशोक कुमार का जन्मदिवस भी है। किशोर कुमार को रफ़ी साहब और मुकेश जी की तरह जिंदगी के छठे दशक में संसार छोड़ना पड़ा।

यह मध्य प्रदेश का सौभाग्य ही है कि प्रतिभा संपन्न पार्श्व गायक किशोर कुमार ने गायन और अभिनय दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उन्होंने गायन के साथ ही अभिनय की दुनिया में भी बहुत कम वक्त में झंडे गाड़ दिए। जन्म भूमि खंडवा के लिए किशोर जी के मन मे असीम प्रेम था। आज उनके चाहने वाले यह विचार करते हैं कि जब किशोर कुमार हमारे मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल के हैं, तब क्या खंडवा में उनकी समाधि के अलावा कोई ऐसा संग्रहालय नहीं होना चाहिए जहाँ किशोर जी के गाये सभी गीत हों,उनकी फिल्मों की तस्वीरें हों और साथ ही किशोर कुमार अभिनीत और निर्देशित सभी फिल्में भी संकलित हों।

साथ ही यह भी किया जा सकता है कि केके और एके दोनों भाइयों की याद में एक शानदार संग्रहालय बने। अशोक कुमार भी जीवन भर मध्य प्रदेश से जुड़े रहे। उनकी स्मृतियाँ प्रदेश से जुडी हैं. किशोर जी की स्मृतियाँ तो अनोखी और संग्रह योग्य हैं ही। दोनों भाइयों की याद में उनके कृतित्व को दर्शाते एक म्यूजियम बनाया जा सकता है।

किशोर कुमारके नाम से मध्य प्रदेश सरकार की ओर से काफी जतन किए गए हैं। पूरे देश मे किशोर जी को सम्मानीय स्थान मिला है। भोपाल और खंडवा में आयोजित समारोहों में राष्ट्रीय स्तर पर किशोर कुमार राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह आयोजित हुए हैं।

प्रदेश की धरती पर आभास कुमार गांगुली के रूप में 13 अक्टूबर 1929 में जन्म लेने वाले किशोर कुमार की खास गायन शैली अपनाकर हजारों गायक अपनी जीविका चला रहे हैं। यह क्या कम महत्व की बात है। दरअसल स्पष्ट उच्चारण और हाई पिच में गाने की प्रतिभा और भी कई गायकों में रही है लेकिन गीत गायन में वसी विविधता कोई न कर सका जो किशोर कुमार ने पैदा की। मध्य प्रदेश के लोगो ने अपनी सम्मान भावना मध्य प्रदेश से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े रहे महान कलाकारों के लिए समय-समय पर व्यक्त की है।

सिर्फ किशोर कुमार के सन्दर्भ में बात करे तो ऐसा लगता है मध्य प्रदेश के लोगों ने इस विलक्षण और मनमौजी गायक पर वो नाज नहीं किया, जो किया जाना चाहिए. इस सम्बन्ध में यह भी जरुरी है कि किशोर कुमार की समाधि पर खंडवा नगर में साल में सिर्फ एक बार नमन करने की बजाय उनके नाम पर गायन के क्षेत्र में स्कालरशिप शुरू की जाएँ और गायन प्रशिक्षण अकादमी भी कार्य करे जिससे हम और भी किशोर कुमार पैदा करें। गायन और अभिनय के आयाम स्थापित करने वाले किशोर कुमार के बारे में कहते हैं कि वे बहुत कंजूस थे।

हालांकि इसे बहुत लोग गलत बताते हैं। जो भी हो,यहाँ के लोगों को यह जरूर संतोष रहेगा कि पांच दशक की सुदीर्घ कला साधना के लिए वरिष्ठ सिने कलाकार किशोर कुमार के नाम से मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग ने देश के अनेक अभिनेताओं, गायकों और सिने निर्देशकों को मध्य प्रदेश की धरती पर सम्मानित किया है। किशोर कुमार सम्मान राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुका है।

सामाजिक स्तर पर ऐसी पहल होना चाहिए। सिर्फ खंडवा या भोपाल में किशोर जी की जन्म वर्षगांठ मना लेना काफी नहीं। अन्य नगरों से भी उत्साह दिखाई दे। तभी मध्य प्रदेश को गांगुली बन्धुओ पर गर्व है, यह माना जायेगा।

किशोर दा, जिन्दगी भर कहते रहे, दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जायेंगे। अपने पिता की कर्म भूमि के लिए अपनेपन की इस भावना को समझने की जरुरत है। किशोर जी ने आखिरी यात्रा खंडवा में पूरी की, यह उनकी इच्छा भी रही थी।

यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि किशोर जी के गायक बेटे अमित कुमार खुद मध्य प्रदेश से लगाव कायम रखते हैं। तभी तो अमित ने साल 2016 में पिता की जयंती पर भोपाल में परफार्म किया। बस इतना तो मध्य प्रदेश के बाशिन्दों को करना ही होगा कि प्रदेश की प्रतिभाओ के परिजनों से संपर्क और संवाद बनाये रखें।

दरअसल किशोर कुमार एक विश्व स्तरीय शख्सियत हैं। बेजोड़ था किशोर दा का गायन कई भारतीय भाषाओं में गाने वाले किशोर जी को जिन गीतों के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया उनमें मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह, हमें और जीने की चाहत न होती।अगर तुम न होते, हजार राहें मुड़कर देखीं। खाई के पान बनारस वाला, पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी, दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा, सागर किनारे दिल ये पुकारे शामिल हैं।

इसके अलावा रिमझिम गिरे सावन,सुलग सुलग जाए मन और 1969 में आई फिल्म आराधना का मस्त गीत जो किशोर साहब की मस्तमौला वाली शख्सियत से मेल खाता है। शायद आप सभी इसे गुनगुनाते रहे होंगे,रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना भूल कोई हमसे न हो जाए। सिने प्रेमियों को याद होगा कि इस गीत का फिल्मांकन भी राजेश खन्ना और शर्मिला जी के साथ बेजोड़ बन पड़ा था। इस तरह अनेक गीत किशोर कुमार के सु-मधुर गायन की वजह से यादगार बन गए।

 



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