एक वोट की कमी ने हिटलर जैसा तानाशाह दुनिया को दिया

खरी-खरी            May 18, 2019


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।

इंदौर में 19 मई को मतदान है। वोट ज़रूर दीजिए। एक-एक वोट कीमती है।

याद है, 1999 में अटलजी की 13 माह पुरानी सरकार एक वोट से गिर गई थी। जयललिता के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय अन्नाद्रविड मुनेत्र कषगम ने समर्थन वापस ले लिया था। वाजपेयी ने संसद में विश्वास प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े और इस तरह 1 वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस के दिग्गज नेता सी. पी. जोशी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं, कांग्रेस की सरकार भी बनी, लेकिन जोशी सिर्फ 1 वोट से चुनाव हार गए। जोशी को 62 हजार 215 वोट मिले, जबकि भाजपा के कल्याण सिंह को 62 हजार 216 वोट।

राज्य में सरकार तो कांग्रेस की बनी, लेकिन जोशी पराजय के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन सके। जोशी का दुर्भाग्य देखिए कि इस चुनाव में स्वयं जोशी की माता, पत्नी और ड्राइवर ने वोट नहीं डाला था। यदि इनमें से किन्हीं दो व्यक्तियों ने भी वोट डाल दिया होता, तो जोशी कदाचित मुख्यमंत्री बन जाते।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2004 में जनता दल (सेकुलर) ए. आर. कृष्णमूर्ति को कांग्रेस के के. आर. ध्रुवनारायण ने 1 वोट से हराया था। कृष्णमूर्ति को 40 हजार 751, जबकि ध्रुवनारायण को 40 हजार 752 वोट मिले थे।

एक वोट ज़्यादा होता तो अमेरिका की मातृभाषा जर्मन होती।

अमेरिका में आज मातृभाषा अंग्रेज़ी है। वर्ष 1776 की बात है। यदि एक वोट अधिक पड़ता, तो अमेरिका की राजभाषा जर्मन होती। एक वोट की बदौलत ही अमेरिका में जर्मन की बजाए अंग्रेज़ी मातृभाषा हुई । अमेरिका में ही 1910 में रिपब्लिक उम्मीदवार की एक वोट से हार के बाद पार्टी की हालत खराब हो गई थी।

1878 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रदरफोर्ड बी हायेस ने सैमुअल टिलडेन को 1 वोट से हरा कर राष्ट्रपति चुनाव जीता। रुदरफोर्ड को 185 वोट मिले, जबकि टिलडेन के वोटो का आँकड़ा 184 पर अटक गया।

फ्रांस में तो 1 वोट ने सत्ता और तंत्र का रूप ही बदल डाला। 1875 में एक वोट की जीत से फ्रांस में राजाशाही समाप्त हुई और लोकतंत्र का उदय हुआ। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक वोट की शक्ति कितनी होती है। यदि यह एक वोट न होता, तो फ्रांस के लोग अब भी राजाशाही ढो रहे होते।

जर्मनी के लोग एक वोट की ताकत को बखूबी समझते-जानते हैं, क्योंकि 1923 में एडोल्फ हिटलर केवल 1 वोट की जीत से अपनी नाज़ी पार्टी का अध्यक्ष चुना गया और फिर जर्मनी का तानाशाह बना। हिटलर जैसा क्रूर तानाशाह 1 वोट की कमी ने दुनिया को दिया। जिसने लाखों लोगों की जानें लीं। जिसने परमाणु बम से नागासाकी और हिरोशिमा को तबाह किया।

... वोट अवश्य दें। आपका वोट कीमती है, हर वोट कीमती है।

 



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