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फिल्म समीक्षा : मर्डर बेस्ड डाॅक्यु-ड्रामा बदला

पेज-थ्री            Mar 09, 2019


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

फिल्म बदला एक मर्डर बेस्ड डाॅक्यु-ड्रामा है। एक वकील और उसकी युवा, सुंदर, पढ़ी-लिखी, पावरफुल और अनैतिक कार्य करने वाली मुवक्किल के बीच। तमाम झोल के बावजूद फिल्म लगभग 2 घंटे दर्शकों को बांधे रखती है और बताती है कि झूठ के पंख कैसे होते है।

अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन रिलीज हुई इस फिल्म में महिला की नकारात्मक शक्ति दिखाई गई है, जो बताती है कि एक महिला अपने अनैतिक कार्य को छुपाने के लिए किस हद तक नीचे गिर सकती है।

अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, अमृता सिंह और कहानी इस फिल्म की जान है। एक स्पेनिश फिल्म पर आधारित इस फिल्म का पूरा ताना-बाना ब्रिटेन का है, लेकिन पात्र भारतीय है।

फिल्म के कुछ संवाद यादगार है, जैसे - सबसे बुरा नशा ताकत का होता है, जिसके पास ताकत होती है, वह अपने गलत काम को भी सही दिखाना चाहता है।

हर बार बदला लेना जरूरी नहीं है, लेकिन हर बार माफ करना भी जरूरी नहीं होता। हर एक का अपना-अपना सच होता है, जो बात किसी एक के लिए सच है, दूसरे के लिए सच नहीं हो सकती। उस व्यक्ति से झगड़ा करने में कोई फायदा नहीं, जिसके पास कुछ भी न हो।

बिना कोर्ट और कठघरे के यह फिल्म एक कोर्ट रूम स्टोरी कही जा सकती है। फिल्म पिंक की जोड़ी - अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू इसमें हैं और इसमें भी अमिताभ वकील और तापसी मुवक्किल के रूप में है।

यहां तापसी एक बेहद सफल महिला उद्यमी हैं, जो अपने पति और बिटिया के होते नाजायज संबंधों के कारण हत्या के मामले में फंस जाती हैं। कहानी में इतने मोड़ और घुमाव है कि हर पल फिल्म के दर्शक की रूचि इसी बात में रहती है कि फ्लैशबैक में क्या हुआ होगा?

एक वकील के रूप में अमिताभ बच्चन सारे दृश्य फिर से क्रिएट करते जाते है। सुजाय घोष ने वाकई शानदार निर्देशन किया है।

कई बार लगता है कि अमिताभ बच्चन वकील की भूमिका में है या जासूस की भूमिका में। 10 साल से इस फिल्म की कहानी सुजॉय घोष के पास लिखी रखी थी, लेकिन वे बदला टाइटल के लिए ही अड़े थे, जो किसी और के पास था।

तापसी पन्नू वाली भूमिका में विद्या बालन को होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वे यह फिल्म नहीं कर पाई। नसीरुद्दीन शाह भी पहले इस फिल्म में लिए गए थे, लेकिन वे भी आउट हो गए। फिल्म को शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलिस ने बनाया है, लेकिन शाहरुख इस फिल्म में नहीं है।

तापसी पन्नू ने कुछ फिल्मों में शानदार अभिनय करके अपने आप को स्थापित कर लिया है और सुजाॅय घोष भी कहानी जैसी फिल्म बनाकर चर्चित हो चुके है। आज कल बॉलीवुड में फॉर्मूला फिल्में फ्लॉप हो रही है और अच्छी कहानी वाली फिल्में दर्शकों द्वारा पसंद की जा रही है।

अच्छी कहानी के कारण इस फिल्म को भी दर्शक पसंद करेंगे। 118 मिनट की फिल्म में दर्शक पूरे समय कुर्सी से चिपके बैठे रहते है। बिना नाच-गाने और फॉर्मूले की फिल्में है। सिनेमा घर में इसे देखना दिलचस्प लगता है।

 



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