मल्हार मीडिया ब्यूरो।
लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच गुरुवार 18 दिसंबर को ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी ‘वीबी- जी राम जी’ बिल ध्वनिमत से पास हो गया।
इस बीच विपक्ष ने बिल के कागज़ फाड़कर फेंक दिए, जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विकसित भारत-जी राम जी में लोगों को काम मांगने के 15 दिनों में रोजगार नहीं मिलता है, तो खंड विकास अधिकारी क्लेम देंगे। यह भत्ता अधिनियम में तय मजदूरी के हिसाब से देनी होगी। 125 दिन कार्य मिलेगा, यह रोजगार उन दिनों में दिलाया जाएगा, जब किसान खेती के कार्यों से मुक्त रहता है। वहीं, सूखा, बाढ़ या आपदा में श्रमिकों को अतिरिक्त काम मिलेगा।
न्यूनतम मजदूरी बनी मनरेगा से दूरी
रोजगार दिलाने का माध्यम मनरेगा तो बना, लेकिन इसकी शुरुआत न्यूनतम मजदूरी से शुरू हुई थी, जो श्रमिकों की दूरियां का कारण बनी। जिले में लगभग साढ़े तीन लाख मनरेगा श्रमिक हैं। इन्हें प्रतिदिन 252 रुपये ही दिए जा रहे हैं। मनरेगा में मजदूर काम करना धीरे-धीरे बंद कर रहे हैं।
श्रमिक अमन वर्मा, उमाकांत ने बताया कि वह मनरेगा में काम नहीं करते हैं, क्योंकि इतने पैसों में घर कैसे चलेगा। वह बाहर लखनऊ और बाराबंकी में काम करते हैं, जहां उन्हें प्रतिदिन पांच सौ रुपये मिल जाते हैं। मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देने में फेल है। अब जी राम जी आ रहा है, उम्मीद है कि इस बार मजदूरों को ख्याल रखा गया होगा।
‘जी राम जी’ की विशेषताएं
-मनरेगा डिमांड बेस्ड था, नया बिल सरकार निर्धारित काम होगा।
-खेती के मौसम में रोजगार गारंटी को अस्थायी रूप से रोका जा सकेगा।
-125 दिन रोजगार देने का दावा
-मनरेगा में मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र देता था, अब राज्य की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
-अगर तय बजट से ज्यादा खर्च हुआ तो अतिरिक्त बोझ राज्य सरकार को उठाना होगा।
-रोजगार नियम राज्य, जिला, ब्लाक और पंचायत स्तर पर होगा।
-मौजूदा जाब कार्ड सिस्टम खत्म कर नया डिजिटल बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन होगा।
-मनरेगा गारंटी कानून था, ‘जी राम जी’ मिशन माडल पर आधारित होगा।
-काम न मिलने पर मांगे बेरोजगारी भत्ता
-महिलाओं को काम देना अनिवार्य।
-सूखा, बाढ़ या आपदा में अतिरिक्त मिलेगा रोजगार
-आधार, बायोमेट्रिक और आनलाइन सिस्टम पर निर्भरता बढ़ेगी
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