सियासत और सियासतदानों की दशा: हलवाई खुद मिठाई खाने लगे हैं

राजनीति            Dec 27, 2021


राघवेंद्र सिंह।


भारतीय जनता पार्टी में जिन संगठन मंत्रियों के जिम्मे कार्यकर्ताओं को तराश कर नेता बनाने का काम था वे खुद ही नेता बनने में लग गए हैं। अर्थात हलवाई खुद मिठाई खाने लगे हैं।

इसलिए आने वाले दिनों में कुछ और भी गुल—गुलगपाड़ा हो तो सदमें में आने के बजाय दिल थाम कर बैठिए।

पिछले दिनों निगम मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर 25 नेताओं की नियुक्ति की गई है। उससे तो ऐसा ही होता दिख रहा है। कांग्रेस भी इन नियुक्तियों पर टीका टिप्पणी कर भाजपा के वफादारों के मजे ले रही है।

भाजपा के एक नेता ने अलबत्ता कहा है कि लंबे समय तक संगठन में काम करने वाले व्यक्तियों को लाभ का पद मिलने पर बधाई

यद्यपि इस आशय की सामान्य सी पोस्ट को बाद में सोशल मीडिया से हटा लिया गया। अब इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं।

निगम मंडलों में नियुक्तियों की पहली सूची के बाद एक पुराने नेता ने कहा है कि जो संगठन और सरकार में हैं वे अपनी पूरी ऊर्जा सुधार करने बजाए अपनी इज्जत और पद बचाने में लगा रहे हैं।

भाजपा में ताजा हालात को लेकर छाए सन्नाटे पर एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर पुराने जमाने का एक किस्सा सुनाया। बात उस समय की है जब मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह भंडारी हुआ करते थे।

संगठन चुनाव के दौरान हुई गुटबाजी से तंग आ गए थे। एक बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि यहां की गुटबाजी कैसे खत्म की जाए? इस पर एक कार्यकर्ता ने हाथ उठाया उन्होंने उसे मंच पर बुलाया इसके बाद जो कुछ कहा गया उससे गुटबाजी के किस्से प्याज के छिलके की तरह उतरते चले गए।

कार्यकर्ता ने कहा अगर टंकी में कचरा हो तो टोटियां साफ करने से दूर नहीं होगा। असल में गुटबाजी ऊपर के नेताओं में है हम तो किसी ना किसी नेता से जुड़े होते हैं इसलिए उस हिसाब से काम करते हैं।  

हमारे ही जिला अध्यक्ष के निर्वाचन में विवाद था। शिकायत आप तक पहुंची थी। आप जो निर्णय करने वाले होते थे वह हमें पहले ही पता चल जाता था। क्योंकि आपने फोन पर जिन कार्यकर्ताओं को कार्यवाही करने के बारे में बताया था वह हमें बता दिया करते थे क्योंकि हम कार्यकर्ता तो नीचे एक हैं गुटबाजी ऊपर हैं बेहतर हो टंकी साफ करें टोटियां साफ करने या बदलने से कुछ नहीं होगा।

इसके बाद भंडारी जी ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश का मामला है और यहां के संबंध में बोलने और निर्णय करने के पहले मैं कई बार सोचूंगा।

जब उनसे पूछा गया अब ऐसा क्यों नहीं होता तो नेताजी का जवाब था पहले कुशाभाऊ ठाकरे जी और प्यारेलाल खंडेलवाल जी जैसे संगठन में काम करने वाले थे जो कार्यकर्ताओं की बात सुनते थे और सही होने पर अमल भी करते थे।

लेकिन अब जातिवाद और पसंद ना पसंद इतनी हावी है कि पार्टी हित किनारे हो गए। यही वजह है कि संगठन में काम करते हुए जिन संगठन मंत्रियों को भ्रष्टाचार और गुटबाजी के अलावा अन्य तरह के गंभीर आरोपो के चलते पद से हटाया गया था निगम मंडलों में महत्वपूर्ण पदों से नवाजा गया है।

एक भाजपा नेता ने तो कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण हम सरकार में हैं इसलिए उनके समर्थकों को मंत्री बनाने और निगम मंडलों में नियुक्त करने का फैसला एक तरह से तर्कसंगत माना जा सकता है।

लेकिन लंबे समय तक संगठन में काम कर पार्टी में गुटबाजी और गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों को सरकारी पदों से नवाजना ठीक नहीं लगा।

विंध्य क्षेत्र के रीवा सीधी और सतना में खासी नाराजगी है। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर पूर्व संगठन मंत्री और देवास से ताल्लुक रखने वाले जयपाल छाबड़ा को लेकर स्थानीय नेता व कार्यकर्ताओं में असंतोष है।

इसी तरह कभी होशंगाबाद के संगठन मंत्री रहे जितेंद्र लिटोरिया पर भी टिकट वितरण में गड़बड़ी भ्रष्टाचार और गुटबाजी का आरोप लगे थे।

दो अन्य पूर्व संगठन मंत्री में शामिल आशुतोष तिवारी और शैलेंद्र बरुआ पर भी गंभीर आरोप थे इसी के चलते उन्हें संभागीय संगठन मंत्री के पद से मुक्त किया गया था।

भाजपा ने संभागीय संगठन मंत्री के कामकाज दोषपूर्ण होने पर इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया। अब जिनके चलते व्यवस्था को बदलना पड़ा उन्हें निगम मंडलों में पद देना भाजपा के मैदानी नेता और कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रहा है।

अब कार्यसमिति में तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल के बाद न तो विस्तार से राजनीतिक प्रस्ताव आते हैं और न विस्तार से मंडल स्तर तक के कार्यक्रम तय होते हैं। साथ ही न ही कार्यकर्ताओं के सुझाव लिए जाते हैं।

इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि जिले और मंडल में संगठन हित में क्या काम हो रहा है इसकी भी कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा रही और जो थोड़ी बहुत होती है उस पर सुधार संबंधी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सियासत और सियासतदानों की दशा पर जनता और कार्यकर्ताओं की तरफ से गुलज़ार साहब का यह शेर बड़ा मौजू लगता है...
जो हैरान है मेरे सब्र पर
उनसे कह दो जो आंसू
जमीन पर नहीं गिरते
वह दिल चीर जाते हैं...

 



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