मल्हार मीडिया ब्यूरो।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शुक्रवार को अगले छह महीने में मासिक रिटर्न दाखिल करने की नई पद्धति शुरू करने और जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का स्वामित्व ग्रहण करने का फैसला लिया। हालांकि काउंसिल ने चीनी उपकर लगाने और डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहन देने को लेकर फैसला टाल दिया।
जीएसटी परिषद की 27वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए परिषद के अध्यक्ष व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि परिषद ने चीनी उपकर लगाने और डिजिटल भुगतान पर दो फीसदी प्रोत्साहन देने के मसले पर विचार करने के लिए पांच वित्तमंत्रियों के दो अलग-अलग समूहों का गठन करने का फैसला लिया है। दोनों मंत्रिसमूह अपनी सिफारिश देगी।
जेटली ने कहा, "जीएसटी परिषद ने जीएसटीएन संरचना के स्वामित्व में परिवर्तन पर विचार-विमर्श किया। मूल संरचना के अनुसार 49 फीसदी हिस्सेदरी सरकारी की है और 51 फीसदी अन्य कंपनियों की।"
उन्होंने कहा, "मैंने सुझाव दिया कि 51 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सरकार को स्वामित्व ग्रहण करना चाहिए और इसे राज्यों और केंद्र के बीच वितरित किया जाना चाहिए। इस प्रकार केंद्र सरकार के पास 50 फीसदी और राज्यों के पास सामूहिक रूप से 50 फीसदी हिस्सेदारी होनी चाहिए। इसमें राज्यों का अनुपात जीएसटी संग्रह के अनुसार तय होगा।"
जेटली ने कहा कि लागत में इजाफा होने से गन्ना उत्पादक गंभीर संकट में हैं इसलिए परिषद ने दो दिन के भीतर पांच मंत्रियों के एक समूह का गठन करने का फैसला लिया है जो वस्तु की लागत विक्रय मूल्य से अधिक होने की स्थिति से निपटने के तरीकों को लेकर अपनी सिफारिश देगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिसमूह की समिति अपनी रिपोर्ट दो हफ्ते के भीतर देगी।
जीएसटी परिषद ने पांच मंत्रियों का एक और समूह बनाने का फैसला लिया है जो डिजिटल भुगतान पर दो फीसदी प्रोत्साहन देने पर विचार कर अपनी सिफारिश देगा। हालांकि डिजिटल भुतान पर दो फीसदी छूट की ऊपरी सीमा 100 रुपये प्रति लेन-देन है।
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने नए जीएसटी के सरलीकृत नए मॉडल के बारे में बताया, "कंपोजिशन डीलर और शुन्य लेन-देन करने वाले डीलर तीन महीने में एक बार रिटर्न दाखिल कर सकेंगे।"
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