मल्हार मीडिया ब्यूरो।
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने एक और सूची बुधवार 10 अप्रैल को जारी कर दी। बीजेपी की ओर से जारी यह दसवीं लिस्ट है। इस सूची में यूपी से 7, पश्चिम बंगाल से 1 और चंडीगढ़ सीट से उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया गया है। भाजपा की इस सूची में 4 मौजूदा सांसदों का टिकट कटा है। इन 4 सांसदों में से तीन महिला सांसद हैं जिनका टिकट कटा है।
भाजपा की ओर से अब तक उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी हुई है उसमें महिला उम्मीदवारों की संख्या अधिक नहीं है। 2014 और 2019 के मुकाबले भले ही अधिक महिला उम्मीदवारों को इस बार बीजेपी ने अब तक मैदान में उतारा है लेकिन प्रतिशत के हिसाब से देखें तो घोषित उम्मीदवारों के हिसाब से 16 फीसदी के ही करीब महिला उम्मीदवारों की संख्या है।
बीजेपी की ओर से ही महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून पास कराया गया लेकिन पार्टी इस चुनाव में कम से कम उससे दूर दिख रही है। वर्तमान महिला सांसदों के टिकट काटे गए हैं ऐसे में सवाल है कि क्या पार्टी ने इन सीटों पर जीत की संभावना वाले फैक्टर का भी ध्यान रखा है।
दसवीं सूची में तीन महिला सांसदों का टिकट कटा
बीजेपी की एक और लिस्ट बुधवार को जारी हुई। इस लिस्ट में कुल 9 उम्मीदवारों की घोषणा हुई। इसमें तीन मौजूदा महिला सांसदों का टिकट कटा है। इलाहाबाद सीट पर मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट इस बार कट गया है। बीजेपी ने इस बार उनकी जगह केशरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं इलाहाबाद की बगल वाली सीट फूलपुर से भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार इस बार बदल दिया है। फूलपुर सीट से इस बार केशरी देवी पटेल की जगह पार्टी ने प्रवीण पटेल को मैदान में उतारा है। वहीं चडीगढ़ से बीजेपी ने इस बार किरण खेर की जगह संजय टंडन को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। किरण खेर पहली बार 2014 में चंडीगढ़ से सांसद बनी थीं। उन्होंने 2019 में चंडीगढ़ से फिर से जीत हासिल की।
पिछली बार के मुकाबले अधिक लेकिन फिर भी पीछे
इस बार बीजेपी की ओर से जो लिस्ट अब तक जारी हुई है उसे देखकर लगता है कि पार्टी ने अब तक पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है लेकिन इनकी संख्या अभी भी काफी कम है। बीजेपी की ओर से अब तक 427 उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है। जिनमें 67 महिला उम्मीदवार हैं।
यह संख्या 2009, 2014 और 2019 के मुकाबले अधिक है। साथ ही अभी और सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा बाकी है। ऐसे में यह संख्या और बढ़ सकती है।
पिछले चुनाव में बीजेपी ने जहां 53 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था उससे यह संख्या अधिक है लेकिन घोषित उम्मीदवारों के हिसाब से प्रतिशत देखें तो यह 16 फीसदी के करीब है। 33 फीसदी आरक्षण का कानून पास है और अगले चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या काफी बढ़ जाएगी लेकिन इस बार अभी पार्टी इस नंबर से काफी पीछे है।
हाल के विधानसभा चुनावों और इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से घोषणा पत्र तैयार करते वक्त महिलाओं का खासा ध्यान रखा जा रहा है। महिला वोटर्स की भूमिका काफी बढ़ी है। सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावी एजेंडे में महिलाएं ऊपर हैं लेकिन टिकट देने के मामले में राजनीतिक दल पीछे नजर आ रहे हैं।
पहले दो चरणों के चुनाव को देखें जहां नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है वहां महिला उम्मीदवारों की संख्या कम है। सभी दलों और निर्दलियों उम्मीदवारों की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो पहले चरण में सिर्फ 8 फीसदी महिला प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में हैं।
पहले चरण में कुल एक हजार 625 कैंडिडेट मैदान में हैं लेकिन इनमें महिला कैंडिडेट की संख्या केवल 135 है। वहीं दूसरे चरण की बात करें तो इस फेज में कुल एक हजार 210 उम्मीदवार मैदान में हैं। इतने अधिक उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों की संख्या केवल 107 है। सात चरणों में कुल लोकसभा चुनाव है लेकिन महिला उम्मीदवारों की फिलहाल संख्या को देखकर ऐसा नहीं लगता कि आगे इसमें काफी कुछ बदलाव होगा।
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