ममता मल्हार।
वे शिवराज सिंह चौहान हैं! वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं! वे बच्चों के मामा हैं! बहनों और भाईयों के भाई हैं।
वे माफी मांग लेते हैं और माफ भी कर देते हैं।
शिवराज की अति सरल और उदार छवि इस तरह पहली बार सामने आई है।
पिछले हफ्ते दो घटनाक्रम एक साथ घट रहे थे।
एक इंदौर में अप्रवासी भारतीय सम्मेलन जारी था और भोपाल में करणी सेना आंदोलन का झंडा लेकर भोपाल के जंबूरी मैदान में एकत्र हो रही थी।
अप्रवासी भारतीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने माफी मांगी एक नहीं दो-दो बार माफी मांगी उस बदइंतजामी के लिए जो आयोजन के प्रबंधन में लगे जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा थी।
3 हजार रजिस्ट्रेशन और हाल की क्षमता 2000 प्लस, उसमें भी स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता और सरकारी लोग उस दिन पहले से ही सीटों पर जाकर जम गए, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन सत्र को संबोधित करने आये।
नतीजा कई विशिष्ट अतिथियों सहित सैकड़ों अप्रवासी भारतीय रजिस्ट्रेशन के बावजूद हॉल में प्रवेश नहीं कर पाए।
एनआरआईज की नाराजगी स्वभाविक थी, उनका गुस्सा फूट पड़ा।
शिवराज ने सिस्टम के जिम्मेदारों द्वारा बरती गई लापरवाही से उपजी बदइंतजामी के लिए प्रदेश के मुखिया और मेजबान होने के नाते दो-दो बार माफी मांगी।
उम्मीद है लापरवाह अफसरों पर यदाकदा बरसने वाले शिवराज इस बड़ी लापरवाह खामी के जिम्मेदारों को बख्शेंगे नहीं, क्योंकि यहां प्रदेश की साख दांव पर थी।
पर एक जिम्मेदार मेजबान की भूमिका में उन्होंने मेहमानों को बकायदा देशी अंदाज में दोनों हाथ जोड़कर यही कहकर विदा किया कि कमी रह गई हो तो माफ करें।
दूसरा घटनाक्रम उसी दौरान भोपाल में घटा जब करणी सेना के कुछ तथाकथित राजपूतों ने मुख्यमंत्री का नाम लेकर गंदी गालियां बकते हुए नारेबाजी की।
उस दिन से प्रशासन सन्नाटे में था, क्यों था? यह बड़ा सवाल है।
उन गालीबाज करणी सदस्यों पर तुरंत कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
सरेआम पुलिस की मौजूदगी में मुख्यमंत्री को मां की गाली दी जा रही हो बकायदा नारों के साथ तो क्या पुलिस प्रशासन वहां झांझ बजाने में व्यस्त था?
प्रदेश के गृहमंत्री तक तो यह वीडियो पहुंच ही गया होगा फिर इतनी देर क्यों?
प्रदेश भाजपा सहित अन्य कहीं से भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया तो छोड़िए निंदा तक का बयान बमुश्किल आया हो, ऐसा क्यों?
और सबसे अहम सवाल शिवराज को गाली देने वाला हरयाणा से करणी सेना के आंदोलन में शामिल होने आया था क्यों?
जब करणी सेना राज्य सरकार से राज्य की सीमा के भीतर की मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही थी तो दूसरे राज्य के लोग यहां कैसे और क्यों शामिल हो गए।
ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब जल्द ही सामने आने चाहिए।
खैर शिवराज सिंह मुख्यमंत्री हैं इस प्रदेश के,वे चाहते तो कोई भी कार्यवाही करने करवाने में सक्षम,स्वतंत्र थे, व्यक्तिगत तौर पर भी, सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर भी।
पर शिवराज ने उदारता दिखाते हुए कहा गालीबाज करणी सदस्यों को माफ करने की बात कही।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, मुख्यमंत्री की आलोचना का अधिकार है लेकिन जिस माँ का स्वर्गवास वर्षों पहले मेरे बचपन में ही हो गया था। उनके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल अंतरात्मा को व्यथित कर गया।
शिवराज ने आगे लिखा कि इस मामले में क्षमा मांगी गई है, मैं भी अपनी मां से प्रार्थना करता हूं कि वह जहां भी हों अपने इन बच्चों को क्षमा करें और मेरे मन में भी अब उनके लिए कोई गिला शिकवा नहीं है।
आप सब अपने हैं और अपना भी कोई गलती कर दे तो उसको अपने से अलग नहीं किया जा सकता।
सीएम शिवराज ने आगे लिखा,ए मैं सबसे स्नेह करता हूं। सबके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हूं और समाज के सभी वर्गों के विकास का काम किया है और आगे भी करता रहूंगा।
सहज सरल छवि वाले शिवराज का अति उदार चेहरा है, जो इस तरह सामने आया है। पिछले कुछ महीनों के विपरीत इंदौर-भोपाल के घटनाक्रमों पर उनकी प्रतिक्रिया बहुत शांत अंदाज में सामने आई है।
पर फिलहाल शिवराज के इस अति उदार रवैये ने करणी सेना को बैकफुट पर जाने मजबूर कर दिया है।
यहां सवाल यह भी उठता है कि करणी सेना के प्रदर्शन के ठीक एक दिन पहले सरकार के मंत्री अरविंद भदौरिया ने मुख्यमंत्री निवास में राजपूतों का सम्मेलन करवाया था। मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में तमाम घोषणाएं की थीं।
करणी सेना के सदस्यों का अनशन भी अरविंद भदौरिया ने ही तुड़वाया तो फिर अरविंद भदौरिया ने उस कार्यक्रम में करणी सेना के लोगों को बुलाकर बता क्यों नहीं की?
करणी सेना वाकई प्रदर्शन किन्हीं वाजिब मांगों को लेकर कर रही थी या यह मामला ही कुछ और था?
भोपाल और इंदौर के घटनाक्रम कोई सामान्य खामी नहीं हैं, इस पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज विचार तो कर ही रहे होंगे।
क्योंकि इन्वेस्टर समिट में उन्होंने खुद को सीईओ तो कह दिया पर सीईओ शिवराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो अफसरशाही है।
सरकार की घाघ नौकरशाही इस हद तक लापरवाही कर सकती है कि प्रदेश की साख तक का ख्याल न रहे, यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है पर सत्य है।
दो बड़े आयोजनों के बाद तीसरा अंतर्राष्ट्रीय आयोजन जी-20 शिखर सम्मेलन सर पर है। कल 16 जनवरी से 17 जनवरी तक इसकी बैठकें भोपाल में होनी हैं।
सीएम शिवराज ने कल तमाम हिदायतों के साथ तैयारियों की समीक्षा की है, ठीक उसी तरह जिस तरह अप्रवासी भारतीय सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा की थी।
पर अब सीईओ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चौकस रहने की भी जरूरत है।
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