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स्टालिन, चंद्रशेखर, स्वामी प्रसाद गलत हैं तो रमेश बिधूडी कैसे सही हो सकते हैं ?

खरी-खरी            Sep 25, 2023


कौशल सिखौला।

उदय निधि स्टालिन , चंद्रशेखर और स्वामी प्रसाद गलत हैं तो रमेश बिधूडी कैसे सही हो सकते हैं ? अफसोस की बात है कि संसद में जब वे बसपा सांसद दानिश अली को उग्रवादी और आतंकवादी कहकर अत्यंत उग्र हो रहे थे तब सदन में बैठे भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता हंस रहे थे। किसी सांसद को सदन के भीतर यह कहना कि बाहर निकल देख लूंगा , विशुद्ध गुंडागर्दी है।

अच्छा किया राजनाथ सिंह ने जो दानिश अली से माफ़ी मांग ली। विधूड़ी को भाजपा ने नोटिस जारी किया है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी चेतावनी दी है । विधूड़ी जिस तरह संसद में आपे से बाहर हुए उससे लगता है कि दिल्ली की राजनीति में उनका आचरण कैसा रहता होगा । दानिश अली के साथ हुए इस व्यवहार की सभी को निंदा करनी चाहिए ।

सनातन , तुलसीदास और रामचरितमानस के खिलाफ जो आवाज उठा रहे हैं , वे सभी हिन्दू हैं । एक भी मुस्लिम नेता ने सनातन के खिलाफ न तो कोई भी अपशब्द बोला और न ही बयानबाजों का समर्थन किया । उल्टे मुस्लिम प्रवक्ताओं ने टीवी चैनलों तक पर कहा कि किसी को भी सनातन जैसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । रमेश विधूड़ी तेज तर्रार नेता हैं । ऐसा माना जा रहा था कि विधूड़ी को दिल्ली प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जाएगी । परंतु संसद में अपने व्यवहार से विधूड़ी अलग थलग पड़ गए हैं ।

गौरतलब है कि बसपा नेत्री मायावती का भाजपा के प्रति लंबे अरसे से सॉफ्ट कॉर्नर चल रहा है । लोकसभा चुनाव में भाजपा और बसपा के बीच चुनावी तालमेल की संभावना भी तलाशी जा रही है । विधूड़ी के बयान से भाजपा के ऐसे प्रयासों को धक्का लगा है । अच्छा हो विधूड़ी अपने अप्रिय शब्दों के लिए दानिश के घर जाकर माफी मांग लें । वे समझ तो गए होंगे कि सदन के बाहर और भीतर की गई बातों में कितना फर्क होता है । विधूड़ी का कहा हेट स्पीच माना जा सकता है । याद रहे कि सदन के बाहर हेट स्पीच से राहुल की सदस्यता चली गई थी ।

इस में कोई शक नहीं है कि हिन्दू धर्म के महापुरुषों और सनातन धर्म पर किए गए हमले से देश का माहौल खराब हुआ है। अफसोस कि डॉट इंडिया के किसी भी सदस्य ने स्टालिन की निंदा नहीं की , उल्टे समर्थन किया। खड़गे राहुल आदि ने होंठ सी लिए । उदय निधि स्टालिन के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट ने नोटिस जारी किया , यह अच्छा है । जिन नेताओं ने तुलसी और मानस के खिलाफ अनर्गल बातें कही कार्रवाई उनके खिलाफ भी होनी चाहिए ।

आज देश में जैसा माहौल है उसमें सुधार की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती । चूंकि देश में अब एक के बाद एक चुनाव होते रहेंगे , अतः शब्दों के बाण भी निरंतर चलते रहेंगे । देश में इन दिनों जितनी कटुता परस्पर आ गई उसकी कोई मिसाल अतीत में नहीं मिलती । अफसोस की बात है कि राजनीतिक ईर्ष्या चरम पर होने के बावजूद बाजार में मरहम मिलना बंद हो गया है । मुहब्बत की दुकान पर अभी तक मोटे मोटे ताले पड़े हैं ।

 

 

 

 

 



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