आशीष चौबे,भोपाल।
आम चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम सामने हैं। देश के बुद्धिजीवी और ज्ञानवान पत्रकार जीत की वजह तलाशते हुए उलट—पुलट हो रहे हैं। फैसला तो गुरु जनता जनार्दन का है। राहुल गांधी,ममता बनर्जी,नायडू जैसे नेताओं ने असलियत को स्वीकार कर लिया है लेकिन भगवान जाने दिमागी पीड़ित लोग स्वीकार करने को क्यों तैयार नहीं?
इन तथाकथित बुद्धिजीवियों/पत्रकारों के लेख/टिप्पणियां/पोस्ट पढ़कर गुस्सा तो ठीक शर्म भी आ रही है। भाई लोग लिख रहें हैं कि मुस्लिम वोटर इस बार एक जुट न हो पाया। हिन्दू वोट 2014 के बाद से एक तरफा वोट कर रहा है।
एक बड़े पत्रकार साहब लिखते हैं कि इस देश मे हिंदुओं की संख्या अधिक है इसलिए मोदी की झोली में जीत होती है। अब समय है कि दलित/मुस्लिम एक जुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट करें तभी परिणाम जुदा होंगे।
एक जनाब और अपने दिमाग के अजीर्ण का परिचय देते हुए लिखतें है कि यूपी में यादव/दलित समाज वोट को लेकर भटका है,जिसकी वजह से बड़ा नुकसान महागठबंधन को हुआ।
अरे दिमाग के पीरों ..हम सब मिलकर सियासी दलों पर आरोप लगाते हैं कि वो जाति, मजहब,वर्ग की राजनीति करते हैं। लोगों को बांटने का काम करते हैं तो आप जो ज़हर फैला रहे हो वो क्या है ?
सियासी दल तो अपने नफे के लिए एकता-अखंडता की जड़ों को खोखला कर ही रहे हैं लेकिन आप जो कर रहे हो वो तो और भी शर्मनाक है। समझिए ज़रा! आप पर आम लोग भरोसा करते हैं।
आपकी कही बात को गंभीरता से लेते हैं लेकिन #उफ़्फ़ आप ही लोगों के भटकाने काम कर रहे हो। सच कहूं तो आप ही सबसे बड़े अपराधी हो।
ओह्ह..अक्ल के जमींदारों...! ज़रा आंकड़े देखो। चौंक जाओगे ।
देश बदल रहा है। इस देश में अब युवाओं का बोलबाला है ।
यूपी में जातीय समीकरणों को ठोकर पर रखा गया। बुआ- बबुआ फुस्स हो गए। बंगाल में 20 % से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली 96 सीटों में से 46 पर भाजपा का कब्जा हो गया तो वहीं 40 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली सीटों में भाजपा को 29 सीट हासिल हुयी।
यहाँ कांग्रेस की हालत का ज़िक्र करने का कोई मतलब नहीं। जाति/धर्म/वर्ग को दरकिनार कर आम मतदाता ने अपने विवेक से निर्णय कर मतदान किया। आज का युवा समझदार भी है और अपने निर्णय करने की काबलियत भी रखता है।
इंटेरनेट के इस दौर में युवाओं को बरगलाना आसान नहीं। जानकारी और समझदारी से भरपूर है आज की पीढ़ी।
अब प्रभु इन आंकड़ों पर भी अपनी तीखी नज़र डाल लो। हासिल आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण और शहरी युवा लगातार भाजपा की ओर बढ़ा है। आप जितना मोदी को गरिया रहे हो उतना ही लोग करीब जा रहे हैं| 2014 की तुलना में इस बार 20 फीसदी नए वोटर्स कांग्रेस से भाजपा की ओर मुड़े हैं।
भाजपा का सबसे ज्यादा नकारात्मक पक्ष रखा जाता है तो वो है ..धर्म/घृणा की राजनीति। अरे बुद्धि के देवताओं तो आप क्या कर रहे हो ?
भाजपा का पक्षधर नहीं बल्कि कोफ्त इस बात की है कि बुद्धि मालिकों को तो मूल मुद्दों की बात करना चाहिए लेकिन वो भी उसी रास्ते पर अपना गधा दौड़ाए पड़े हैं,जो कि एक देश के लिए बेहतर सोच नहीं मानी जा सकती।
आश्चर्य होता है दोहरे मापदंड को लेकर। आप राम,कृष्ण को लेकर कुछ भी बोलने के अधिकारी हैं...? आप आतंकी कसाब,अफ़ज़ल का पक्ष ले सकतें हैं..क्योंकि आप स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक है।
आपकी सोच और आपके विचार प्रकट करने पर कोई रोक नहीं। लेकिन साहब आप गांधी पर चर्चा नहीं कर सकते ? बंगाल में यदि ममता सार्वजनिक तौर पर बोल दे कि जिसने जयश्री राम बोला तो उसको जेल भेज दिया जाएगा।
इन मुद्दों पर बोलना बुद्धिजीवियों की निगाह में गुनाह। खूब राम पर बोलो ..लपक कृष्ण को टटोलो..लेकिन इतनी भी हिम्मत रखो कि गांधी के सकारात्मक पक्ष पर चर्चा हो तो नकारात्मक पक्ष से भी पल्ला न झाड़ा जाए। ममता बनर्जी जैसी नेत्री यदि हवा में राजनीति करती हैं तो आइना दिखाया जाए।
आज हिन्दू हो या मुस्लिम ...दलित हों या पिछड़े ...उनके लिए रोजगार,विकास जैसे अन्य मुद्दे अहम हैं न कि हल्की सोच। सबसे बड़ा उदाहरण हाल में आया हुआ जनादेश है।
बुद्धि मालिकों यदि वाकई भाजपा की जीत की वजह खोजना है तो सबसे बड़ी वजह तो आप खुद हो। हर जगह अपनी टूटी टांग फंसाकर भाजपा को इतना मजबूत कर दिया कि सिर्फ सोशल मीडिया पर सिर पटकने के अलावा तुम्हारे पास कुछ न बचा।
समाचार पत्रों/टीव्ही पर तुम्हारी चुरचुरी तो मोदी चलने न देगा। यहाँ सारा मीडिया मोदी की गोद में बैठकर लल्ला लल्ला लोरी गायेगा ।
बुरा लगेगा ...शायद मिर्ची लगाने के मकसद से ही पहला काम आज यही किया है। अपनी बुद्धि को बस्ते से निकाल अब उपर वाले माले में शिफ्ट कर दो प्रभु...वरना मोदी 2019 में तो भनभना कर आ ही गया। 2024 में भी सनसना कर आ धमकेगा ।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
Comments