मल्हार मीडिया भोपाल।
आर्टिफिशीयल लेग बनाना शुरू किया, नामिनल चार्ज से पा सकते हैं कृत्रिम पैर
अंगहीन व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, एम्स भोपाल के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग ने शरीर के निचले भाग के लिए कृत्रिम अंगों का निर्माण शुरू कर दिया है। इन कृत्रिम अंगों का पहला बैच शुक्रवार 3 जुलाई को एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने जरूरतमंद मरीजों को वितरित किया ।
प्रो. सिंह ने विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, "अगर मेरे प्रयासों से उनके जीवन में थोड़ा भी बदलाव आ सकता है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि है। मेरा प्रयास होगा कि ऐसे व्यक्तियों को सशक्त बनाकर समाज में उन्हें समुचित स्थान दिलाया जा सके।" प्रो. सिंह ने कहा कि दुर्घटना, डायबिटीज, पेरिफेरल वेस्कुलर बीमारी के कारण लोग अपना अंग गंवा देते हैं।
इस तरह के मामलों में 85% ऐसे मामले होते हैं जिसमें शरीर के निचले हिस्से को काट कर निकालना पड़ता है। प्रो. सिंह ने एम्स भोपाल द्वारा प्रदान किए गए कृत्रिम अंगों की लागत के बारे में बताते हुए कहा कि बाजार में इसी तरह के कृत्रिम अंगों की कीमत लगभग 15,000 से 20,000 रुपये है, जबकि एम्स भोपाल उन्हें 1,000 रुपये से भी कम में उपलब्ध कराता है। यह पहल समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को सुलभ बनाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
एम्स भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विट्ठल प्रकाश पुरी ने कहा, "इस सुविधा के साथ, हम यहां इलाज करा रहे मरीजों को सशक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं।" इसी के साथ एम्स भोपाल मध्य भारत में यह महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र सरकारी संस्थान बन गया है। कार्यक्रम में संकाय सदस्यों, रेजीडेंट्स, छात्रों और मरीजों के परिवारिक सदस्यों ने भी भाग लिया। यह मील का पत्थर अंगहीन व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और चिकित्सा उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए एम्स भोपाल की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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