मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कुपोषण को लेकर सरकार और सरकारी तंत्र कितना संजिदा है उसकी बानगी देखने को मिली मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में जहां 5399 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं।
जी हां यह हम नहीं कह रहे हैं यह सरकार के पुर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर द्वारा विधानसभा में उठाए गए प्रश्न
के जवाब में महिला एव बाल विकास विभाग द्वारा दिए गए आकडो से उजागर हूआ। 5399 के अकडो के साथ प्रदेष में कुपोषण के मामले में खरगोन जिला पहले स्थान पर पहुच गया है।
अब सवाल यह उठता है कि प्रदेष सरकार द्वारा कुपोषण के नाम पर करोडो रूपये कहा खर्च कर रही है। यह सबसे बडा सवाल सामने आ रहा है। जिस उम्र में मासूमो को मॉ की गोद में किलकारीया भर अटखेलिया करने का समय है। एेंसे मासुम आज कुपोषण के चलतें एनआरसी केन्द्रो में जिंदगी और मोत से जुझ रहै है।
दौड़ने की उम्र में लड़खड़ा रहा बचपन। खुद विभागों के आकड़े बयां कर रहै हैं खरगोन जिले में कुपोषण का आंकडा लगातार बढ़ रहा है। यहां कुल बच्चों का 25.72 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। ये बच्चे सामान्य की अपेक्षा कमजोर है। अति कुपोषित बच्चों की संख्या जनवरी 2018 में 5117 थीं। यह बढ़कर मार्च में 5399 पर पहुंच गई।
जिले में कुल 1 लाख 83 हजार 543 बच्चों में से 41 हजार 847 बच्चे कम वजन के हैं। जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर एक पोषण पुनर्वास केंद्र खोलने के अलावा कोई भी काम प्रशासन ने नहीं किया है। अति कम वजन के 5399 बच्चों को सामान्य वजन की श्रेणी में लाने के लिए जिले के 9 एनआरसी में 120 बिस्तर ही हैं। केंद्रों पर जो इलाज चल रहा है उसमें भर्ती की 15 दिन की अवधि में बच्चे रिकवर नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा विभाग के पास इस संकट की स्थिति से निपटने का दूसरा कोई प्लान नहीं है।
मजाक देखिए...2016 में कुपोषण को लेकर सरकार द्वारा कमेटी का गठन किया गया था लेकीन क्या मॉनीटर करेगी तय नहीं किया गया विभागो की उदासिनता कहै या लापरवाही लाखो करोडो खर्च करने के बावजूद कोई सफलता ना पाना अपने आप मे विभाग के कामो की पोल खोलता नजर आ रहा है ।
दौड़ने की उम्र में लड़खड़ा रहा बचपनः कुल बच्चों के 25 प्रतिशत कुपोषित
जिम्मेदार विभाग महिला एव बाल विकास विभाग के अधिकारी सुनिल सांलंकी और कलेक्टर शशि भूषणसिंह से बात करना चाही तो वे इस मुददे से बचते नजर आए ओर कूछ भी कहने से मना कर दिया ।
पेबिल एजेंसी
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