राकेश दुबे।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग तेज हो गई है, सरकार पर हर तरफ से दबाव आने लगा है। आमरण अनशन, अयोध्या कूच और अदालती निर्णय के इंतजार बीच कुछ और फैसले हिन्दू संगठनों ने लिए हैं जिनके अर्थ सरकार को समझना चाहिए।
हाल में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये बात साफ हो गई है कि अब इसमें जमीन विवाद की सुनवाई होगी लेकिन सुनवाई कैसे चलेगी, आगे का रास्ता क्या होगा और विवाद का अंत कब होगा, ये मुख्य सवाल अभी तक वहीँ के वहीँ खड़े हैं। सरकार अभी चुप है।
विश्व हिंदू परिषद की बैठक दिल्ली में खत्म हो गई, जिसमें फैसला लिया गया है कि केंद्र में काबिज मोदी सरकार पर अयोध्या में राम मंदिर के लिए कानून बनाने का दबाव डाला जाए।
परमहंस के अनशन व तोगड़िया के अयोध्या कूच के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या आकर राम मंदिर की ईंट रखने का ऐलान कर दिया है।
महंत जन्मेजयशरण ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। इस दौरान राममंदिर मुद्दे पर वृहद चर्चा हुई है। ठाकरे ने उन्हें आश्वासन दिया है कि दशहरा के बाद ठाकरे शिवसैनिकों के साथ अयोध्या की ओर कूच करेंगे। अयोध्या आने की तिथि दशहरा सम्मेलन में उद्धव ठाकरे घोषित करेंगे।
आमरण अनशन के पांचवें दिन किन्नर समाज के लोगों ने अयोध्या की तपस्वी छावनी में पहुंचकर अनशन कर रहे परमहंस दास से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण की मांग की। किन्नरों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मंदिर बना दो सरकार वरना अच्छा नहीं होगा।
विश्व हिन्दू परिषद की बैठक में हिस्सा ले रहे संतों ने मांग की है कि केंद्र सरकार जल्दी ही राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाये और अगले संसद के सत्र में अध्यादेश पर क़ानून बनाये।
उनका कहना है कि इसी सरकार के समय गोरक्षा का कानून बने, धारा 370 हटे, समान नागरिक संहिता का कानून बने और लेकिन अभी श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण प्राथमिकता है, अब कोई देरी में इसमें स्वीकार नहीं है।
दूसरी ओर संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में कई संतों ने राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार के रूख पर नाराज़गी जताई और कहां कि अगर केंद्र सरकार अगर कोर्ट में लंबित होने के बाद एस सी एस टी एक्ट को संसद से क़ानून बना सकती है, ट्रिपल तलाक़ बिल पर अध्यादेश ला सकती हैं तो राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश क्यों नहीं ला सकती है? प्रश्न वाजिब है।
31 जनवरी और 1 फरवरी को इलाहाबाद कुंभ में विश्व हिन्दू परिषद एक धर्म संसद आयोजित करेगी। जिसमें 30 हजार संत शामिल होंगे। अध्यादेश न आने पर वहीं आगे की रणनीति तय करेंगे।
विश्व हिन्दू परिषद का कहना है कि हमने कोर्ट के फैसले का इंतजार सितंबर तक किया है, लेकिन अब देर हो रही है। वहीं इशारों में राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 'जनेऊधारी' भी हमारा समर्थन करें। कांग्रेस तो इस मुद्दे को लपकने को तैयार है, इंतजार सरकार के जवाब का है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और प्रतिदिन पत्रिका के संपादक हैं।
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