राकेश कायस्थ।
पीएमसी बैंक घोटाले की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, ऐसा लगता है कि देश का पूरा वित्तीय तंत्र बारूद के ढेर पर बैठा है। इकॉनमिक टाइम्स और मुंबई मिरर जैसे अखबारों की ख़बरें बता रही हैं कि मामला सिर्फ अनियमितता का नहीं बल्कि एक खतरनाक आपराधिक षडयंत्र का है।
पूरा तंत्र आम नागरिकों का रक्त पिपासु है और हितों की रक्षा की उम्मीद आप किसी सरकार से नहीं कर सकते हैं।
शेयर की गई तस्वीर आज मुंबई मिरर ने छापी है। पीएमएसी का एक रोता-पीटता ग्राहक हाथों में तख्ती थामकर यह कह रहा है कि मोदीजी आपको वोट देने के फैसले पर शर्मिंदा हूँ। पोस्टर का पॉलिटकल मैसेज इस लेख का विषय नहीं है।
असली मुद्धा यह है कि बैंक के भोले-भाले ग्राहकों के साथ जो धोखाधड़ी हुई उसकी जिम्मेदारी किसकी है? सरकारी पक्ष से जो अलग-अलग बयान आ रहे हैं, उनसे यह साफ है कि जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।
आरबीआई का कहना है कि को-ऑपरेटिव बैंकों की व्यवस्था अलग हैं। वे राज्य सरकारों के सहकारिता विभाग और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाले सीआरसीएस यानी सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटी के प्रति उत्तरदायी हैं।
आरबीआई इन बैंकों पर निगरानी तो रखता है लेकिन ऑडिट या कोई अन्य जाँच उस तरह नहीं करता है, जिस तरह सरकारी या प्राइवेट बैंकों की जाती है।निगरानी के क्रम में आरबीआई को पीएमसी बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह के बारे में बहुत सी आपत्तिजनक बातें पता चली थी।
जिसके आधार पर आरबीआई ने सीआरसीएस को यह लिखा था कि वयराम सिंह चेयरमैन पद के लिए अयोग्य हैं।
आरबीआई का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने वयराम सिंह को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की तो वह क्या करे? मुंबई मिरर के मुताबिक कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के अधीन आनेवाले सीआरसीएस ने बार-बार पूछे जाने पर भी इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है।
पीएमसी बैंक के डूबने की सबसे बड़ी वजह दिवालिया हो चुकी रियल स्टेट कंपनी एचडीआईएल है।
बैंक के बैड लोन का 73 फीसदी हिस्सा यानी 6500 करोड़ सिर्फ इसी कंपनी को गया है। एचडीआईएल लंबे समय से डिफॉल्ट कर रहा था और यह बात बैंक के ऑडिटरों ने लगातार छिपाये रखी। इंटरनल ऑडिट के अलावा राज्य सरकार का सहकारी विभाग भी को-ऑपरेटिव बैंकों का ऑडिट करता है।
क्या अब भी यह समझना मुश्किल है कि इस चोरी में कौन-कौन शामिल रहा होगा?
एचडीआईएल किसकी कंपनी है? वरयाम सिंह लगभग एक दशक तक इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में रहे और पीएमसी बैंक में आने से पहले उन्होने एचडीआईएल के अपने तमाम शेयर बेच दिये। पीएमसी बैंक के बाकी बड़े अधिकारियों के भी दिवालिया हुए एचडीआईएल से करीबी रिश्ते थे। यानी लूट का पूरा तंत्र बेहद संगठित था।
पीएमसी बैंक के बोर्ड में रजनीत सिंह (संबंधित खबर की तस्वीर शेयर की गई है) भी शामिल थे, जिनके पिता तारा सिंह बीजेपी के टिकट पर चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। तारा सिंह की उम्र बयासी साल हो चुकी है। बताया जा रहा है कि रजनीत सिंह उनकी जगह मुलुंड सीट से चुनाव लड़ने वाले थे। लेकिन पीएमसी घोटाला सामने के बाद अब पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया है।
सवाल यह है कि अपना सब कुछ गँवा चुके निवेशकों का क्या होगा? मान लीजिये सरकार ने बहुत दरियादिली दिखाई और छह महीने बाद पूरी धनराशि लौटा दी। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यह पैसा कहाँ से आएगा? माल लूटकर ले गया कोई और इसकी भरपाई आपके एटीएम ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगाकर या मिनमिन बैलेंस जैसे हथकंडों से की जाएगी। खीरा चाकू पर गिरे या चाकू खीरे पर सबको पता है कि कटना किसे है।
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