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1402 में से 200 हाजियों को मिली मक्का रूबात में ठहरने की इजाजत

भोपाल            Apr 27, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की मोती मस्जिद में आयोजित कुर्रा में मक्का स्थित रूबात के लिए कुर्रा किया गया। इसमें भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले के 1402 हाजियों के नामों की पर्ची से निकाले गए 200 हाजियों को मक्का रूबात में मुफ्त ठहरने की इजाजत मिली है।

मक्का मदीना में नवाब भोपाल द्वारा तैयार करवाई गईं शाही रूबात (धर्मशाला) इस बार भी भोपाल रियासत के हाजियों के लिए मायूसियों का सबब ही बनीं। रियासत के 3 जिलों से हज पर जाने वाले 1402 हाजियों से महज 200 लोगों को मुफ्त ठहरने की जगह मिल पाई है। औकाफ ए शाही ने शनिवार सुबह इसके लिए कुर्रा (लॉटरी) द्वारा नामों का चयन कर लिया है।

राजधानी भोपाल की मोती मस्जिद में आयोजित कुर्रा में काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी, शहर मुफ्ती मोहम्मद अब्दुल कलाम खान कासमी, सचिव शाही औकाफ आजम तिरमिजी की मौजूदगी में मक्का स्थित रूबात के लिए कुर्रा किया गया। भोपाल रियासत के 3 जिलों भोपाल, रायसेन और सीहोर के करीब 1402 हाजियों के नामों की पर्ची से निकाले गए नामों के मुताबिक हाजियों को मक्का रूबात में मुफ्त ठहरने की इजाजत मिल गई है। इस सुविधा से प्रत्येक हाजी को हज खर्च में करीब 55 हजार रुपये की रियायत मिल जाएगी।

करीब डेढ सौ साल पहले मक्का और मदीना में नवाब भोपाल द्वारा तैयार करवाई गई रूबात में मदीना में करीब 5 बिल्डिंग मौजूद हैं। जिनमें करीब 2500 लोगों के ठहरने के इंतजाम हैं। पिछले पांच साल पहले तक भोपाल रियासत के हाजियों को यहां मुफ्त ठहरने और खाने आदि की सुविधा मिलती आई है। लेकिन, औकाफ ए शाही की अव्यवस्थाओं और आर्थिक गड़बड़ियों के चलते अब इसे रूबात सऊदी सरकार ने अपने आधिपत्य में ले लिया है। सऊदी अदालत में चल रहे इस मामले के चलते देश का अरबों रुपया भी फ्रीज पड़ा है। साथ ही रियासत भोपाल के हाजियों को इन रूबात में ठहरने की जगह नहीं मिल पा रही है।

मदीना रूबात में ठहरने पर रियासत के करीब 2500 हाजियों को प्रति हाजी 35 हजार रुपये से ज्यादा की बचत होती है। इस लिहाज से 8 करोड़, 75 लाख रुपए का सालाना नुकसान भारतीय मुद्रा को उठाना पड़ रहा है। बीते 5 सालों से रुकी इस व्यवस्था के चलते अब तक प्रदेश के हाजियों पर 43 करोड़ 75 लाख रुपए का अतिरिक्त भार पड़ चुका है।

मक्का मदीना की रूबात की व्यवस्था सम्हालने वाला शाही औकाफ पिछले 5 सालों में सऊदी अरब सरकार से अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया है। इस संस्था की मुतवल्ली (केयर टेकर) नवाब पटौदी की बेटी सबा अली अपनी व्यस्तताओं के चलते न तो इस मामले को निपटा पा रही हैं और न ही उनके पूर्वजों की रियासत के हाजियों के लिए कोई सुविधाजनक स्थिति बना पा रही हैं। मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाले शाही औकाफ को बोर्ड द्वारा कई नोटिस भी दिए जा चुके हैं। लेकिन हज सीजन गुजर जाने के बाद न तो बोर्ड को इन रूबात की फिक्र रह जाती है और न ही शाही औकाफ बोर्ड के किसी नोटिस का जवाब देने पहुंचता है।

औकाफ ए शाही आजम तिरमिजी, सचिव का कहना है सऊदी अदालत में चल रहे मामले के चलते मदीना रूबा में हाजियों को जगह नहीं मिल पा रही है। मक्का रूबात के लिए नाम तय कर दिए गए हैं।

 



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