मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित परिवार भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। पीड़ित शुक्रवार से शहर के घंटाघर चौक पर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। इनका कहना है कि जीवनभर की पूंजी खत्म हो गई, प्रशासन ने उन्हें सवा लाख रुपए दिए हैं। इतने पैसे में वे अपना घर कैसे बनाएं।
पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें सही मुआवजा नहीं दिया। महिलाओं ने दोषी अफसरों पर केस दर्ज करने की मांग की। इधर, धरने पर बैठी तीन महिलाओं की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। भूख हड़ताल पर बैठने वालों में 6 लोग पीड़ित परिवार के और 6 शहर के अलग-अलग समाज के लोग शामिल हैं।
अनिश्चितकालीन धरने के दूसरे दिन शनिवार शाम करीब 4 बजे धरने पर बैठे कुछ लोग कलेक्टर से मिलने पहुंचे। इसके बाद उन्होंने धरना खत्म करने की बात कही। पीड़ित परिवार के कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं। इसके चलते वह अपना धरना खत्म कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने हादसे में मृतक के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5-5 लाख रुपए देने का भरोसा दिलाया है। साथ ही क्षतिग्रस्त मकानों का बाजार मूल्य के हिसाब से मुआवजा देने की बात कही है।
पीड़ित परिवार का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला
एसडीएम केसी परते का कहना है कि शनिवार को पीड़ित परिवारों का एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला। जहां उनकी बातें सुनने के बाद उन्हें नियमानुसार राहत राशि दिलाने का भरोसा दिलाया गया। इसके बाद उनका कहना है कि प्रशासन के आश्वासन से हम संतुष्ट हैं।
धरने में शामिल पीड़ित परिवार के देवी सिंह राजपूत का कहना है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, हमारा धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन्हें लगता है कि प्रशासन ने उनकी बातें मांग ली हैं, वो धरने से चले गए हैं। हम अभी भी धरने पर बैठकर अपनी मांगों को पूरा करने को लेकर डटे हुए हैं।
कांग्रेस नेता अवनी बंसल का कहना है कि एसडीएम पीड़ितों पर दबाव बना रहे हैं। लिखित में कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, केवल बोलकर वादे किए जा रहे हैं। बैतूल से कुछ साथी धरना देने के लिए आए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें वीपस लौटा दिया। ये भी पता चला है कि आरोपी राजेश अग्रवाल का ड्राइवर अमित प्रजापति को जमानत दे दी गई है। वह पीड़ितों पर दबाव बना रहा है। कलेक्टर-एसपी अलग-अलग ग्रुप में ले जाकर पीड़ितों से बात कर रहे थे। पीड़ितों में को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
पीड़ित महिलाएं बोलीं- कोई मुआवजा या मदद नहीं मिली
फूलवती सैना ने बताया, हादसे में परिवार के सभी लोगों को चोंट आई है। घर क्षतिग्रस्त हो गया। घर में रखे जेवर-रुपए सब चोरी हो गया। यशोदा बाई ने बताया, मैं विधवा हूं, दो बच्चे हैं। फैक्ट्री के पास किराए से रहती थी। ब्लास्ट में घर सामान बर्बाद हो गया। 16 दिन से खाली बैठी हूं। कोई मुआवजा या मदद नहीं मिली। बच्चों को कैसे पालूंगी समझ नहीं आ रहा।
19 दिन बाद भी शिवराज मामा मिलने नहीं आए
धरने के दूसरे दिन भूख हड़ताल पर बैठी पीड़ित परिवार की एक महिला की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद धरना स्थल पर डॉक्टर्स की टीम पहुंची थी। धरने में शामिल अधिकांश महिलाओं की मांग है कि उनसे मिलने शिवराज मामा हरदा आएं।
महिलाओं का कहना है कि जब वो अपने आप को बहनों का भैया होने का दावा करते हैं तो फिर हादसे के 19 दिनों के बाद भी उनसे मिलने क्यों नहीं आए। महिलाओं का आरोप है कि सीएम डॉ. मोहन यादव हरदा जरूर आए, लेकिन उनसे मिलने नहीं आए और अभी तक उनकी जायज मांगों को नहीं माना गया है, जिसके चलते अधिकांश पीड़ित परिवारों की महिलाएं अपने बच्चों को लेकर धरने पर बैठी हुई हैं।
पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित लोग न्याय की गुहार लगाने बीते तीन दिनों से शहर के घण्टाघर चौक पर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हैं। जिसमें पीड़ित परिवार के साथ सर्व समाज के लोग भी प्रशासन से उन्हें न्याय दिलाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
रविवार को धरना स्थल पर मंडी व्यापारी संघ व व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने पीड़ित लोगों के साथ धरने पर बैठे सर्व समाज के लोगों के साथ चर्चा की गई। वहीं 25 फरवरी सोमवार को सर्व समाज के आह्वान पर हरदा बंद करने को लेकर अपना समर्थन प्रदान किया है।
कांग्रेस नेत्री व अधिवक्ता अवनि बंसल का कहना है- यह कोई किसी राजनीतिक दल या संगठन की लड़ाई नही है। यह धरना ब्लास्ट से पीड़ित परिवारों को उनके क्षतिग्रस्त मकानों का बाजार मूल्य की हिसाब से मुआवजा देने व मृतकों को 15 लाख की राशि देने का लिखित आश्वासन देने की मांग प्रशासन से कर रहे है। हालांकि, 3 दिनों से जारी भूख हड़ताल के बाद भी कलेक्टर पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं आए हैं।
उधर प्रशासन के द्वारा हादसे के दिन से पीड़ित परिवार के लोगो को आईटीआई में राहत शिविर बनाकर रखा गया है।जहां शनिवार रात को कलेक्टर आदित्य सिंह ,एसपी अभिनव चौकसे एवं जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया ने पीड़ित परिवार के लोगो के साथ भोजन किया।वही रविवार सुबह पहुंचकर उनके साथ नाश्ता किया। साथ ही पीड़ित लोगों से चर्चा कर उन्हें नियम के मुताबिक राहत राशि देने की बात कही है।
कलेक्टर श्री सिंह ने पीड़ित परिवारों से कहा कि मुआवजा वितरण को लेकर शासन ने सर्वे कर लिया गया है। उन्होंने इस मामले में किसी भी प्रकार से भ्रमित नहीं होने की अपील पीड़ित लोगों से की है। गौरतलब है कि धरने पर बैठे कुछ लोग शनिवार को कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे। जिसके बाद उन्होंने प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद धरने से दूरी बना ली है।
यह है प्रमुख मांगें
मृतकों के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5 लाख मुआवजा दिया जाए।
जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनके निर्माण की बाज़ार भाव से लागत मिले।
किराएदारों के लिए ढाई लाख रुपए राहत दें।
विकलांगों एवं मृतकों के परिजन-आश्रित को रोज़गार मिले।
मृतकों के सही आंकड़े जानने के लिए विशेष टीम गठित करें।
पूछताछ, शिनाख़्त, सर्वे, फॉरेंसिक जांच, डिटेल स्टडी के ज़रिए मृतकों की सही संख्या पता लगाया जाए।
विस्फोट की तीव्रता, विस्फोटकों के प्रकार और अन्य जानकारी के लिए, नई और विशेष फॉरेंसिक टीम का गठन और स्वतंत्र लैब में जांच हो।
राजेश अग्रवाल एवं मुख्य आरोपियों पर दर्ज मामलों में एनएसए, बाल श्रम समेत हत्या के अन्य तर्कसंगत धाराएं जोड़ी जाएंI
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एसआईटी और फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन हो, जिसमें फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज द्वारा हो और पीड़ितों की तरफ़ से प्रतिनिधि शामिल होंI
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