पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत को मिला सप्रे संग्रहालय का महात्मा गांधी सम्मान

मीडिया            Oct 02, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के  चिंतन केंद्र में  भारत दृष्टि है। वे यह मानकर चलते थे कि मानवता की रक्षा का आधार ही भारतीय चिंतन  है। बापू मनुष्य की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। उन्होंने मनुष्य और प्रकृति में कभी भेद नहीं किया बल्कि वे मानव को प्रकृति का ही हिस्सा मानकर चलते थे।

 यह कहना है  सुप्रसिद्ध विचारक एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति आचार्य गिरीश्वर मिश्र का। वे बुधवार को गांधी जयंती के अवसर पर ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम में ‘महात्मा गांधी की सर्वकालिक प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। संग्रहालय के सभागार में आयोजित समारोह में प्रो. रत्नेश की अध्यक्षता में संग्रहालय की ओर से दिए जाने वाले राष्ट्रीय सम्मान भी प्रदान किये गये। तीन चरणों में हुए कार्यक्रम में व्याख्यान,सम्मान के साथ ही विहान नाट्य मंडली के कलाकारों ने सांगीतिक प्रस्तुति ‘गांधी गाथा’ की प्रस्तुति दी।

 अपने व्याख्यान में आचार्य मिश्र ने आगे कहा कि  गांधी ने अपने जीवन में जो भी सीखा अपने अनुभवों से ही सीखा। वे किसी के बताये मार्ग पर नहीं चलते थे बल्कि अपने जीवन में मिले अनुभवों से अपना मार्ग चुनते थे। उनकी यात्रा ‘सत्य’ से चलकर ‘अहिंसा’ तक की है। ‘सत्य’ की रक्षा के लिए ‘अहिंसा’आवश्यक है। उन्होंने अपने रचनात्मक कौशल से ऐसे शब्द गढ़े जो कोई दूसरा नहीं गढ़ सकता था। ‘सत्याग्रह,सविनय अवज्ञा’ जैसे शब्द इसीका प्रमाण है।

  बॉक्स- विरोधी के प्रति भी रखा मनुष्यता का भाव

 आचार्य मिश्र ने कहा कि बापू ने अंग्रेजों को उनके घर में जाकर ही लताड़ा, लेकिन उन्होंने इस दौरान भी अपने भीतर मनुष्यता का भाव रखा। उनका कहना था कि विरोधी से वैचारिक मतभेद रखें किंतु किसी के प्रति घृणा का भाव कतई नहीं रखें।

 संभव है एक साथ चुनाव

   कार्यक्रम में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने ‘एक देश,एक चुनाव’ विषय पर व्यख्यान दिया। उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा कि भारत में एक साथ चुनाव कराये जा सकते हैं। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि संविधान में करीब पांच संशोधन कराने होंगे तथा राजनीतिक दलों की सहमति से यह हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो देश को पूरे पांच साल तक चुनाव का बोझ नहीं ढोना होगा। उन्होंने कहा कि अभी हो यह रहा है कि आये दिन देश में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं नतीजतन हमारे राजनेताओं का ध्यान वहीं रहता है। ऐसे में जनहित से जुड़े कई अहम मुद्दे पीछे चले जाते हैं। यह जनता और देश के हित में कतई नहीं कहे जा सकते।

  मतदाता और राजनेता दोनों परिपक्व

 पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारत का मतदाता और राजनेता दोनों परिपक्व हैं। वोटर अपने वोट की कीमत जानता है। उन्होंने कहा कि वोटरों पर पैसा लेकर वोट डालने के आरोप जरूर लगते हैं, लेकिन मतदाता राजनेताओं से पैसा लेता होगा किंतु वोट अपनी मर्जी से ही डालता है। उन्होंने बताया कि एक साथ चुनावों को लेकर जब भी हमारी राजनेताओं से चर्चा हुई उसमें देश की चिंता झलकती है।

 देश में पहले एक साथ होते रहे चुनाव

 रावत ने बताया कि आजादी के बाद वर्ष 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं। फिर बाद में राजनीतिक परिस्थतियों से स्थितियां बदलती गईं। साल 2005 से फिर यह चर्चा शुरु हुई। उन्होंने विधानसभा भंग होने की स्थिति पर स्पष्ट किया कि वहां अगले आमचुनाव तक बचे समय के लिए चुनाव कराये जा सकते हैं।

पुरस्कार भी प्रदान किये गये

 समारोह में सप्रे संग्रहालय द्वारा दिये जाने वाले प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्रदान किये गये। इसके तहत  संग्रहालय के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से भारत के पूर्व मुख्य चुनावआयुक्त ओमप्रकाश रावत को उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विभूषित किया गया। ‘डा. हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान’ हिन्दी की विदुषी प्राध्यापक और भाषाविद् डा. शोभा जैन, इंदौर को तथा ‘डा. लक्ष्मीनारायण गुप्त महाकोशल पत्रकारिता पुरस्कार’  संस्कारधानी जबलपुर के प्रतिभावान पत्रकार तरुण मिश्र को प्रदान किया गया। साथ ही  तपोनिष्ठ पं. सुंदरलाल श्रीधर स्मृति राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया  गया। इसके तहत आशुतोष मालवीय प्रथम, कु. पूर्णिमा पटेल द्वितीय, कु. प्रतिभा घागरे को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वहीं,कु. रिया सिंह को विशेष पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। आरंभ में संग्रहालय के संस्थापक निदेशक ने स्वागत् वक्तव्य देते हुए विषय प्रवर्तन किया। संचालन सुप्रसिद्ध टीवी पत्रकार राजेश बादल ने किया तथा प्रशस्ति वाचन निदेशक डॉ. मंगला अनुजा ने किया।

       ‘विरासत: सप्रे संग्रहालय’ लोकार्पित

 समारोह में संग्रहालय पर केंद्रित वृत्त चित्र ‘विरासत: सप्रे संग्रहालय’ का लोकार्पण भी किया गया। वृत्तचित्र का लोकार्पण अतिथियों ने रिमोट दबा कर किया। लोकार्पण के बाद इसका प्रदर्शन भी किया गया। वृत्तचित्र का निर्माण माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सिनेमा अध्ययन विभाग द्वारा किया गया है।  विभागाध्यक्ष डा. पवित्र श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विभाग के विद्यार्थियों ने इस वृत्तचित्र का निर्माण किया है। इसमें ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय के चार दशक की  विकास यात्रा को बहुत ही सहज-सरल रूप में प्रदर्शित किया गया है। इसमें संग्रहालय में रखी गई सामग्री, शोधार्थियों के अनुभव तथा अन्य प्रबुद्धों के विचार समाहित हैं।  

 ‘गांधीगाथा’ का मंचन

 समारोह के तीसरे चरण में विहान ड्रामा वक्र्स  के कलाकारों ने संगीत नाटिका ‘गांधीगाथा’ का मंचन किया। करीब एक घंटे की इस प्रस्तुति में गीत-संगीत के बीच कलाकारों ने बापू की पूरी जीवन यात्रा को  बुंदेली बोली में बड़े ही रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया। इसका निर्देशन सौरभ अनंत ने किया था।

 


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