मल्हार मीडिया डेस्क।
केंद्र सरकार द्वारा मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) इंडस्ट्री पर सख्त कार्रवाई के चलते पंजीकृत ऑपरेटर्स की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। नवंबर 2024 तक केवल 843 MSOs ही परिचालन में हैं, जो पिछले साल के 998 पंजीकृत ऑपरेटर्स की तुलना में काफी कम है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी सूची के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में 1,000 से अधिक MSOs के पंजीकरण या तो रद्द कर दिए गए हैं या ऑपरेटर्स ने खुद उन्हें सरेंडर कर दिया है। मंत्रालय ने पंजीकरण रद्द करने के पीछे अनुपालन न करना और संचालन में न रहना जैसे प्रमुख कारण बताए हैं। इसके अलावा, पिछले एक दशक में 114 MSOs के पंजीकरण आवेदन खारिज किए गए हैं।
अगस्त 2024 तक पंजीकृत MSOs की संख्या 850 थी, लेकिन मंत्रालय ने इसके बाद 7 और ऑपरेटर्स के लाइसेंस रद्द कर दिए, जिससे यह संख्या घटकर 843 रह गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि MSOs की संख्या में यह गिरावट सरकार के सख्त नियामक रवैये का परिणाम है। इस सख्ती का उद्देश्य इंडस्ट्री को सुव्यवस्थित करना और उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाना है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है, जिससे MSO इंडस्ट्री का परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है।
हालांकि MSOs की संख्या घटी है, लेकिन कुछ बड़े ऑपरेटर्स अब भी बाजार में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। 31 दिसंबर 2023 तक, 11 MSOs और 1 HITS ऑपरेटर के पास 1 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स थे। GTPL Hathway ने 8 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स के साथ शीर्ष स्थान पर अपनी स्थिति मजबूत रखी।
सरकार की कंसोलिडेशन पॉलिसी और कड़े नियम छोटे ऑपरेटर्स के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। वहीं, बड़े ऑपरेटर्स को बढ़ते बाजार हिस्सेदारी और आर्थिक पैमाने का लाभ मिलने की उम्मीद है।
सरकार की इस सख्ती और नियामकीय सुधारों से यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में MSO इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। यह प्रक्रिया उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने और इंडस्ट्री को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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