Breaking News

सप्रे संग्रहालय एवं शोध संस्थान में ग्रंथालय सेवा के तीन प्रारूप कार्यरत

मीडिया            Jun 28, 2024


 मल्हार मीडिया भोपाल।

ई-लाइब्रेरी

ज्ञानतीर्थ माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल में ई-लाइब्रेरी कार्यरत हो गई है। इंटरनेट आधारित इस अध्ययन सुविधा से शोधार्थियों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों को भी लाभ मिलेगा। विद्यार्थी उपयोगी वेबसाइटों का लाभ उठा सकते हैं। नर्मदा चैरिटेबल पब्लिक ट्रस्ट ने हरदा के प्रतिष्ठित समाजसेवी पं. रामेश्वर दास गार्गव की स्मृति में ई-लाइब्रेरी की स्थापना में सप्रे संग्रहालय को सहयोग प्रदान किया है। ट्रस्ट के प्रमुख डा. एन.डी. गार्गव ने इसकी पहल की।

डिजिटल लाइब्रेरी

भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से सप्रे संग्रहालय में 25 लाख पृष्ठ दुर्लभ संदर्भ सामग्री डिजिटल स्वरूप में पठन-पाठन के लिए तैयार है। कम्प्यूटर स्क्रीन पर शोध छात्र इसका लाभ उठा रहे हैं। डिजिटलीकरण की यह परियोजना इस वित्त वर्ष के अंत तक पूर्ण हो जाएगी। इस परियोजना के अंतर्गत डिजिटलीकृत महत्वपूर्ण पाठ सामग्री में भारतीय नवजागरण काल की ऐतिहासिक परिघटनाओं का प्रामाणिक वृत्तांत दर्ज है। अर्थात स्वाधीनता आंदोलन, समाज सुधार आंदोलन, स्वदेशी और स्वावलंबन आंदोलन का विस्तार से प्रामाणिक अध्ययन करना है, तब उसका विवरण इन्हीं डिजिटल पन्नों में मिलेगा। लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी के साहित्य और पत्रिकाओं का संग्रह शोध-अध्ययन का महत्वपूर्ण आधार है। पुराने गजेटियर  और भारतेन्दुकालीन साहित्यकारों और संपादकों की पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ दुर्लभ और लगभग अप्राप्य हैं। हिन्दी की युग निर्माता पत्रिकाएँ-सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, विशाल भारत, माधुरी, मधुकर, मर्यादा, चाँद, सुधा, गृहलक्ष्मी, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान, हंस, विश्वमित्र, प्रभा, श्रीशारदा, गंगा, विज्ञान, विद्यार्थी, भूगोल, हिन्दू, पंच, महारथी, प्रेमा, वाणी, त्यागभूमि, सैनिक, माडर्न रिव्यू, कर्मयोगी, कर्मवीर, इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, ग्वालियर स्टेट गजट, होल्कर स्टेट गजट, मालवा अखबार, जयाजी प्रताप, अभ्युदय, कल्याण, अलहिलाल, जमाना इत्यादि ऐसी संदर्भ सामग्री से भरी हुई हैं जिनसे पिछले 150 वर्षों के भारत का सर्वांगीण अध्ययन किया जा सकता है। इनके अलावा मनीषियों के दस हजार पत्रों का भी संकलन है। सकल सामग्री पाँच करोड़ पृष्ठों से अधिक है।  

परंपरागत पुस्तकालय

सप्रे संग्रहालय शोधार्थियों को भोपाल गैस रिसन त्रासदी से लेकर कोविड महामारी तक तमाम बड़ी घटनाओं के अध्ययन के लिए संदर्भ सामग्री सुलभ कराता है। भारत में जनगणना और आम चुनाव, जनजातीय संस्कृति और समाज, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य, कला और संस्कृति, जनपदीय संस्कृति एवं साहित्य, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, विज्ञान एवं अभियांत्रिकी तथा हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, सिंधी आदि भाषाओं का विपुल साहित्य संग्रह सप्रे संग्रहालय को समृद्ध बनाता है। देश-विदेश के शोधकर्ताओं के साथ-साथ रचनाकार और पत्रकार इस संग्रह का लाभ उठा रहे हैं। यह भोपाल का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। यहाँ बैठकर अध्येतागण परंपरागत पुस्तकालय सेवा का लाभ चार दशक से उठा रहे हैं। सन 2023 तक देश-विदेश के 1238 शोधार्थी डी.लिट्., पीएच.डी. और एम.फिल. उपाधि के लिए अपनी थीसिस सप्रे संग्रहालय की संदर्भ सहायता से पूरी कर चुके हैं। 

 

(विजयदŸा श्रीधर)

संस्थापक-संयोजक

सप्रे संग्रहालय, भोपाल-462003

मोबाइल. नं. 7999460151, 9425011467

 

 

 



इस खबर को शेयर करें


Comments