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सप्रे संग्रहालय में युवा पीढ़ी हो रही इतिहास से रूबरू

मीडिया            May 17, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में जब हमने डेढ़ शताब्दी तक पुराने समाचारपत्रों की इबारत को पढ़ा तब ऐसा अनुभव हुआ मानो हम इतिहास के रू-ब-रू खड़े हो गए हैं।’’ यह अनुभूति है उन युवजन की जो सप्रे संग्रहालय में प्रदर्शनी का अवलोकन करने बड़ी संख्या में आ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के परिप्रेक्ष्य में दर्शकों का संग्रहालय आना बढ़ा है। युवा पीढ़ी विशेष रूप से हस्तलिखित पाण्डुलिपियों, दुर्लभ पोथियों, इतिहास के गवाह समाचारपत्रों, बर्रू की कलम-दवात समेत दुनियाभर से इकट्ठी की गई लेखनियों, डाक टिकटों और प्रथम दिवस आवरणों, करंसी नोट और सिक्कों, रेडियो, ग्रामोफोन और वायरलैस सेट तथा कैमरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में रुचि ले रही है। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के मोर्चे से डा. धर्मवीर भारती द्वारा लाए गए बम के खोल और आत्मसमर्पण दस्तावेज पर दस्तखत का दृश्य देखकर नौजवान पुलकित हो उठते हैं।

 दर्शकों का ध्यान जब 15 अगस्त, 1947 के  समाचारपत्रों पर केन्द्रित होता है, तब वे जोर-जोर से बाँचने लगते  हैं- इंडिया इज़ फ्री टुडे, शताब्दियों की दासता के बाद भारत में स्वतंत्रता का मंगल प्रभात, एक हजार वर्षों बाद भारत फिर स्वाधीन हो गया, इत्यादि। महात्मा गांधी की हत्या के समय देश-दुनिया ने कैसी मर्मांतक पीड़ा का एहसास किया होगा- माँ की छाती पर घोर वज्राघात, इस शीर्षक से पता चलता है। जब मानव के कदम पहले-पहल चन्द्रमा पर पड़े तब 21 जुलाई, 1969 के समाचारपत्रों का शीर्षक था- मैन लैण्ड्स ऑन मून। मजहब के फर्जी आधार पर भारत के दो टुकड़े करने की करतूत को जब 16 दिसंबर, 1971 को ठोकर मारी गई, तब अखबार ने लिखा- ढाका में पाक सेनाध्यक्ष जनरल नियाजी ने घुटने टेक दिए।

 युवा दर्शकों का एक समूह बहुत देर तक स्मारक सिक्कों और स्मारक डाक टिकटों का अवलोकन करने में जुटा रहा। कुछ ने तो उनके विषय और वर्ष भी लिख लिए हैं। भारत के पुराने सिक्कों- छेद वाला पैसा, बड़े आकार का पैसा, अधन्ना, इकन्नी, दुअन्नी, चवन्नी, अठन्नी, एक रुपया, ये ऐसे सिक्के हैं जो 1 नवंबर, 1956 को चलन से बाहर हो गए। दर्शकों में से अधिकांश का तो जन्म ही इसके काफी समय बाद हुआ।

 सप्रे संग्रहालय के कार्यकर्ताओं ने दर्शकों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्हें जानकारी दी गई कि सभी कार्य दिवसों में 10ः30 बजे से 4ः30 बजे तक कभी भी संग्रहालय का अवलोकन किया जा सकता है।

 

 



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