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बहुत रूला गया पत्रकार जगत की अजीम शख्सियत का यूं जाना

मीडिया            Feb 14, 2019


गिरीश कोपरगांवकर।
पत्रकार जगत की अजीम शख्सियत महेंद्र बापना का अचानक यूं चला जाना सभी चाहने वालों को गहरे तक झकझोर गया। वे इतने मिलनसार शख्स थे कि हर कोई उनसे मिलने और उनका सान्निध्य पाने के लिए बेताब नजर आता था।

रविवार शाम अचानक एक सड़क दुर्घटना में वे हमेशा हमेशा के लिए इस नश्वर दुनिया को अलविदा कह गए। मेरा उनसे लगभग 35 सालों से आत्मीय संपर्क रहा। उनकी जागरूकता, जीवटता, कर्मठता एवं अपने कार्य के प्रति लगनशीलता का मैं भी शुरू से ही कायल रहा। वह दौर मेंैकभी नहीं भूल सकता।

जब वे सुबह 7 बजे घर से निकलकर अपने अखबार के लिए खबरें जुटाने में मशगूल हो जाया करते थे और देर रात तक शहर की हर घटना-दुर्घटना की जानकारी संग्रहित करते थे। इन्दौर शहर का कोई ऐसा कोना नहीं बचता था जहां वे नहीं पहुंच पाते थे।

किसी भी घटना-दुर्घटना की भनक लगते ही वे सबसे पहले मौके पर पहुंचने के लिए न केवल तत्पर रहते थे वरन् पहुंच भी जाया करते थे। इन्दौर के लगभग सभी ठियों पर उनका जाना रहता था और हर जगह उनके चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त हुआ करती थी।

आरंभ में लूना और फिर अंत तक स्कूटर पर विचरण करते हुए वे अपने कार्य को अंजाम देते थे। आपराधिक घटना-दुर्घटना हो या राजनीति का क्षेत्र अथवा सामाजिक, धार्मिक आयोजन सभी में उनकी गहरी पैठ हुआ करती थी। प्रशासनिक हलकों मैं भी उनका गहरा दखल था।

मुझे स्मरण हो आता है कि शहर के वरिष्ठ पत्रकार स्व. गोपीकृष्ण गुप्ता के बाद महेन्द्र बापना ही ऐसे कर्मठ पत्रकार थे, जो दिन-रात अपने कर्तव्य के प्रति आजीवन समर्पित रहे।

अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली कपड़ा मीलों की झांकियों के चल समारोह अथवा अन्य धार्मिक जलसे या फिर नगर निकाय से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव सभी की सविस्तार रिपोर्टिंग करने में उनको महारथ हासिल थी।

सांप्रदायिक दंगों या वर्ग संघर्ष अथवा गुटीय हिंसा अथवा अन्य आपराधिक वारदात सभी की स्पॉट रिपोर्टिंग वे न केवल बेखौफ होकर किया करते थे, बल्कि उसका फॉलोअप भी उतनी ही शिद्दत से करते थे। कई मौकों पर मैं स्वयं भी इसका साक्षी रहा हूं। अनेक मर्तबा हम देर रात राजबाड़े पर मिल जाया करते थे।

मेरे पास आई किसी सूचना को मैं उन्हें मुहैया करा दिया करता था और वे तुरंत उसके बारे में पता लगाकर उस खबर को संकलित कर लिया करते थे।

कई मर्तबा वे किसी नई खबर के बारे में मुझसे से भी सलाह-मशविरा कर लिया करते थे।

सुंदरकांड पाठ के प्रति उनका असीम लगाव था। स्व. रघुवीरसिंह चौहान का सुंदरकांड का पाठ हो अथवा नंदानगर रामायण मण्डल का या फिर तेजकुमार सेन व अन्य द्वारा कराया जाने वाला सुंदरकांड का पाठ हो या फिर एमटीएच कम्पाउण्ड स्थित माता मंदिर पर होने वाले साप्ताहिक भजनों का आयोजन हो सभी जगह वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराया करते थे।

अभी गत बुधवार को ही वे अन्नपूर्णा क्षेत्र की ब्रजविहार कालोनी (वैशाली नगर)निवासी मेरे एक मित्र के घर आयोजित सुंदरकांड पाठ में करीब 4 घंटे तक मौजूद रहे। स्पॉट रिपोर्टिंग में माहिर इन्दौर की पत्रकारिता जगत के ऐसे जागरूक, कर्मठ और लगनशील पत्रकार एवं निष्काम कर्मयोगी का अचानक यूं हमारे बीच से चला जाना हम सब एवं समुची पत्रकार बिरादरी के लिए किसी वज्रपात सेकम नहीं है।

यह अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई हो पाना नमुमकिन है। उनके अवसान पर मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।

 


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