जगदीप संधु।
छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत से भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हुई थी आज भी सरकार कांग्रेस की है, पर पूरे राज्य में राज मोदी का चल रहा है।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का सत्तव्युत होने का एक बड़ा कारण बेलगाम अफसरशाही और शासन पे एक विशीष्ठ संविदा सेवा के अधिकारी का वर्चस्व था। उनकी दबंगई ऐसी थी की वो मुख्यमंत्री के भी निर्णय में संशोधन की ताक रखते थे। कांग्रेस ने इन परिस्थितियों का जमकर विरोध भी किया था।
पर खुद को छत्तीसगढ़ीया सरकार कहने वाली भूपेश सरकार उसी पथ पर अग्रसर है।
वर्तमान में मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया मोदी शासन तंत्र की धूरी बनी हुई है, शासन के सारे दस्तावेजों पर उनकी सहमति अनिवार्य है, सारे प्रशासनिक अधिकार उनके सामने बौने है।
बलौदाबाजार से कसारीडीह तक जाने वाली रेल्वे कारीडोर के गांवों से गुजरने वाले गांवों में कृषि भूमि खरीद रही है, श्रीमती मोदी पाटन की एस.डी.एम. रह चुकी हैं, इसलिए वो गांवों की स्थिति से अच्छे से वाकिफ है।
भूमि खरीदने वालों के आय के स्रोत्रों की जांच की जानी चाहिए, ऐसा क्या है कि उनके रिश्तेदार वहीं जमीन खरीद रहे हैं, जहां से रेल्वे लाइन को गुजरना है। ये बेनामी संपत्ति श्रीमती मोदी की ही है।
सबसे आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि इन्ही श्रीमती सौम्या चौरसिया मोदी ने एस.डी.एम. पाटन रहते हुए तात्कालनि पाटन विधायक एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. आशीष वर्मा पाटन ब्लाक कांग्रेसी नेता कौशल चंद्राकर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया था।
सौम्या चौरसिया मोदी की उपजिलाधीश पद पर हुई नियुक्ति का मामला भी सर्वोच्च न्यायलय में विचाराधीन है, 2005 के राज्य लोकसेवा आयोग के परीक्षा के परिणाम निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं आए थे।
ऐसी कौन सी उनकी प्रशासनिक क्षमता है, जिसकी वजह से वो पूरे राज्य के प्रशासन को अपनी मुट्ठी में रखी हुई हैं, वरिष्ठ अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के ऊपर एक राज्य सेवा के कनिष्ठ अधिकारी का दिशा-निर्देश देना क्या उचित है।
बेनामी संपत्ति स्थानतरण, पदस्थापना सबमें एकतरफा मर्ची चल रही है। छत्तीसगढ़ में सरकार तो कांग्रेस की है, पर ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की छत्तीसगढ़ में राज मोदी का चल रहा है।
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