मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्र सरकार ने लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान दावा किया कि देश भर में 18 लाख एकड़ जमीन रक्षा भूमि है, जिसमें से 11,152 एकड़ पर अतिक्रमण है। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्रालय से इस बारे में राज्यवार जानकारी मांगी गई थी कि देश भर में अभी कितनी रक्षा भूमि ऐसी है जिसका वर्तमान में उपयोग नहीं किया जा रहा, जिस पर अतिक्रमण है या मुकदमे लंबित हैं।
दरअसल, भारतीय सेना की सर्वाधिक जमीन पर अतिक्रमण मध्यप्रदेश में है। सेना के पास सर्वाधिक अनुपयोगी जमीन उत्तरप्रदेश में है। इसमें से सर्वाधिक 1733.206 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण मप्र में है। इसके बाद अतिक्रमण के मामले में उत्तरप्रदेश 1639.334 एकड़ के साथ दूसरे स्थान पर है। तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है, जहां 1543.781 एकड़ रक्षा भूमि पर अतिक्रमण है।
लोकसभा में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा-रक्षा भूमि का वास्तविक उपयोग सैन्य जरूरतों, सशस्त्र सेनाओं की रणनीति, सक्रियात्मक और सुरक्षा संबंधी जरूरतों के लिए किया जाता है। वर्तमान में रक्षा मंत्रालय ने देशभर में लगभग 45 हजार 905 एकड़ रिक्त पड़ी रक्षा भूमि की पहचान की है, जो भारतीय सेना की जरूरत से अधिक है।
भूमि की जानकारी केंद्र सरकार के विभागों के साथ साझा की गई है, ताकि वे इन भू-भागों की जरूरत का पता लगा सकें। इसमें सर्वाधिक 8840.69 एकड़ भूमि उत्तरप्रदेश में और 8693.573 एकड़ भूमि उत्तराखंड में है। महाराष्ट्र में भी ऐसी 6781.346 एकड़ भूमि मौजूद है।
बीते 10 महीने में उत्तरप्रदेश में 1020 एकड़ सेना भूमि से अतिक्रमण हटाकर मुक्त कर लिया गया है। वहीं मप्र में सिर्फ 25 एकड़ सेना भूमि से ही अतिक्रमण हट सका है। देशभर में भारतीय सेना की 8113 एकड़ जमीन पर कानूनी विवाद की स्थिति है, जिसको लेकर अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं।
अदालती मुकदमों से प्रभावित सर्वाधिक 1296.74 एकड़ सेना भूमि उत्तरप्रदेश में हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर 930.367 एकड़ विवादित सेना भूमि जम्मू-कश्मीर में और 727.28 एकड़ भूमि उत्तराखंड में हैं। मध्यप्रदेश में भी 112.946 एकड़ सेना भूमि अदालती मुकदमों में उलझी हुई है।
सेना के अधीन सभी भवनों की जियो टैगिंग सौ फीसदी पूरी हो गई है। देशभर में रक्षा मंत्रालय के अधीन 62 कंटोनमेंट क्षेत्र हैं, इनमें सर्वाधिक 13 उत्तरप्रदेश में हैं। जबकि मप्र में 5 कंटोनमेंट क्षेत्र हैं। इनमें जबलपुर, सागर, महू, मुरार (ग्वालियर), पचमढ़ी (नर्मदापुरम) हैं। इसके अलावा भोपाल के द्रोणांचल समेत मुरैना-श्योपुर, शिवपुरी, नीमच और मंदसौर जिलों में भी सेना की जमीनें हैं।
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