मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से उनकी नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं।
संवैधानिक बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्र ने गोयल की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज दिखाने पर आपत्ति जताई।
केंद्र का कहना था कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, लेकिन कोर्ट ने दो टूक कहा कि आप दस्तावेज पेश कीजिए।
अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हम देखेंगे कि नियुक्ति में कहीं कुछ गलत तो नहीं हुआ। वहीं इस मामसे की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कल यानी गुरुवार को करेगा।
चुनाव आयोग की शक्तियों की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक जिरह के दौरान मंगलवार को कहा था कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति को चाहता है।
कोर्ट ने कहा कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्तों के नाजुक कंधों पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं।
सुप्रीम कोर्ट) की राय है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल किया जाए। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में तटस्थता आएगी।
बता दें, गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सेवानिवृत्त नौकरशाह अरुण गोयल को शनिवार को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।
गोयल पंजाब कैडर के पूर्व अधिकारी हैं। नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के एक दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। पोल पैनल ने कहा कि गोयल ने सोमवार को पदभार ग्रहण किया।
जिसके बाद 1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे के साथ चुनाव पैनल में शामिल हो गए।
इससे पहले अरुण गोयल भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव थे। उन्होंने कैबिनेट की नियुक्ति समिति के एक आदेश के अनुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, जिसने उनकी जगह उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी कामरान रिजवी को नियुक्त किया था।
पहले उनके 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने की उम्मीद थी। 2019 में भारी उद्योग सचिव के रूप में नियुक्त होने से पहले, गोयल संस्कृति मंत्रालय के सचिव थे। उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।
बता दें, देश के शीर्ष चुनाव निकाय में तीसरा पद छह महीने से खाली था।देश के तीन सदस्यीय आयोग में एक चुनाव आयुक्त का पद 15 मई से खाली था।
जब तत्कालीन चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सुशील चंद्रा के पद से सेवानिवृत्त होने पर मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभाला था।
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