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पुरातात्विक महत्व की प्रतिमा किसको क्या तकलीफ दे रही थी?

राष्ट्रीय            Jan 29, 2017


रमेश शर्मा।
बस्तर में हमेशा से सक्रिय बारूदी मिजाज़ वाली ताकतें हर उस चीज को भस्मीभूत करती आई हैं जो उनके रास्ते में बाधक है। चाहे वो इंसान हो या स्कूल घर। इस बार उन चरमपंथी ताकतों ने गणपति बाप्पा की 1100 साल पुरानी प्रतिमा को 2500 फ़ीट ऊंची ढोल्कल पहाड़ियों से लुढ़का कर आदिवासी आस्था के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।

पुरातात्विक महत्व की प्रस्तर प्रतिमा को गिराने पर राष्ट्रीय मीडिया में भी इक्का दुक्का खबरें हैं और शायद दिल्ली वालों को अफगानिस्तान में बामियान बुद्ध की प्रतिमा टूटने पर जो तालिबानी कृत्यक अफ़सोस हुआ था वैसा गणपति बप्पा की ऐतिहासिक प्रतिमा के ध्वंस से नहीं हो पाया हो। जिन नक्सलियों पर आरोप लग रहे हैं वे भी मौन हैं वरना बस्तर में उनकी विज्ञप्तियां जारी होती रहती हैं और उनके पैरोकार मानवाधिकार पर दिल्ली में भी मुखर रहते हैं।

सदियों से हर मौसम की मार झेल कर पहाड़ियों पर अडिग सजी प्रतिमा यकायक गिरा दी गई तो कोई बताएगा कि पुरातात्विक महत्व की प्रतिमा किसको क्या तकलीफ दे रही थी? स्मारकों के भग्न अधिकार भी होते हैं या नहीं ..और पहाड़ से चुपचाप उसे गिराकर कौन सा पवित्र मकसद हासिल कर लिया गया?

फेसबुक वॉल से।



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