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अमेरिका में अप्रवासियों को झटका देने की तैयारी में ट्रंप ग्रीन कार्ड पर चलेगी कैंची

राष्ट्रीय            Feb 09, 2017


मल्हार मीडिया डेस्क।

अप्रवासियों को अमेरिका में ट्रंप सरकार एक और झटका देने की तैयारी में है। पहले इमीग्रेशन बैन और अब ग्रीन कार्ड पर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की कैंची। सात मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगाने के बाद अब अमेरिका की संसद में एक संशोधन प्रस्ताव दिया गया है जिसके मुताबिक अमेरिका अगले 10 साल तक वहां कानूनी तौर पर रहने वाले इमीग्रेंट्स की संख्या को घटाकर आधी कर देगा।
अमेरिका के दो शीर्ष सीनेटरों ने आव्रजन का स्तर कम करके आधा करने के लिए सीनेट में एक विधेयक पेश किया है। इसे ग्रीन कार्ड हासिल करने या अमेरिका में स्थायी निवासी बनने की इच्छा रखने वालों के समक्ष संभावित चुनौती समक्षा जा रहा है।

रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर डेविड पड्रू ने रेज एक्ट पेश किया है जिसमें हर वर्ष जारी किए जाने वाले ग्रीन काडोर्ं या कानूनी स्थायी निवास की मौजूदा करीब 10 लाख की संख्या को कम करके पांच लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है।

ऐसा माना जा रहा है कि इस विधेयक को ट्रंप प्रशासन का समर्थन प्राप्त है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे उन लाखों भारतीय अमेरिकियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा जो रोजगार आधारित वर्गों में ग्रीन कार्ड मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में किसी भारतीय को ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए 10 से 35 साल इंतजार करना पड़ता है और यदि प्रस्तावित विधेयक कानून बन जाता है तो यह अवधि बढ़ सकती है। इस विधेयक में एच—1बी वीजा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।

दरअसल ग्रीन कार्ड नाम की कोई चीज नहीं होती। किसी दूसरे देश से आकर अमेरिका में बसे लोगों को वहां काम करने और रहने के लिए एक कार्ड बनाया जाता है जिसे यूनाइटेड स्टेट्स पर्मानेंट रेसिडेंट कार्ड कहा जाता है। यह कार्ड उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स लॉफुल पर्ममानेंट रेसिडेंसी के तहत दिया जाता है। पहले इसे एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड भी कहा जाता था। इसके तहत इमीग्रेंट्स को दिए जाने वाले कार्ड का रंग हरा होता है इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा। जिन लोगों को यह कार्ड मिलता है वो अमेरिका में हमेशा के लिए रह सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं।

ग्रीन कार्ड्स की वैलिडिटी 10 साल की होती है जिसके बाद इसे या तो रीन्यू कराना होता है या फिर यह नया जारी होता है। ग्रीन कार्ड एक इमीग्रेशन प्रोसेस को भी कहा जाता है जिसके जरिए इमीग्रेंट्स को वहां की पर्मानेंट सिटिजनशिप दी जाती है।

ग्रीन कार्ड्स की मुख्य बातें
- हर साल अमेरिका में 10 लाख लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं।

- ग्रीन कार्ड होल्डर अमेरिका के सिटिजन नहीं होते और न ही वोट कर सकते।

- ग्रीन कार्ड होल्डर्स को वहां के सिटिजन न होने तक अमेरिकी पासपोर्ट नहीं मिलता।

- ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी इनकम टैक्स फाइल करना होता है।

- ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अपनी प्राथमिक सिटिजनशिप अमेरिका की रखनी होती है।

- भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए करना होता है 10 से 35 साल का इंतजार।

- 50 लाख लोग अभी भी कर रहे हैं ग्रीन कार्ड का इंतजार।

भारत से अमेरिका जाकर कमाई करने वाले लोगों से उनकी सैलरी का लगभग 30 फीसदी तक पैसे बतौर टैक्स काट लिए जाते हैं। वो उन्हें वापस तब मिलता है जब वो वहां 5 साल तक काम करते हों। लेकिन इनमें से ज्यादातर 5 साल से पहले ही वापस आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में पैसा वहीं रह जाता है जो अमेरिका की जीडीपी में अहम रोल निभाता है।

साल 2015 में अमेरिका ने लगभग 63 हजार भारतीयों को ग्रीन कार्ड दिया था। जबकि इसी साल दुनिया भर के 7 लाख 30 हजार लोगों को अमेरिका की सिटिजनशिप देने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया। नई पॉलिसी आने के बाद इनकी संख्या आधी हो जाएगी और ऐसी स्थिति में जो भारतीय ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे उनका इंतजार लंबा हो जाएगा।



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